July 16, 2025 11:42 pm

New delhi- भारत बंद 2025: ‘मजदूरों का महासंग्राम’ 9 जुलाई को देश थमेगा, सड़कों पर गरजेंगे किसान-मजदूर!

New delhi- भारत बंद 2025: ‘मजदूरों का महासंग्राम’ 9 जुलाई को देश थमेगा, सड़कों पर गरजेंगे किसान-मजदूर!

नई दिल्ली /भारत एक बार फिर ऐतिहासिक बंद की दहलीज़ पर खड़ा है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच, देशभर के किसानों और ग्रामीण श्रमिकों के संगठनों के साथ मिलकर 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने जा रहा है। इस बंद को “मजदूरों और किसानों का महासंग्राम” कहा जा रहा है, जिसकी गूंज न केवल राजधानी दिल्ली में, बल्कि देश के हर कोने में सुनाई देगी।

बंद का मकसद:
हड़ताल का उद्देश्य केंद्र सरकार की उन नीतियों का विरोध करना है, जिन्हें “कॉर्पोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी” बताया जा रहा है। यूनियनों का कहना है कि यह नीतियां श्रमिकों के अधिकारों, किसानों की आजीविका और आम जनता की बुनियादी जरूरतों पर हमला कर रही हैं।

कौन-कौन हैं इस बंद के पीछे?

देश की सबसे प्रमुख यूनियनें इस हड़ताल में शामिल हैं:

• INTUC (भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस),

• AITUC (अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस),

• HMS (हिंद मजदूर सभा),

• CITU (भारतीय ट्रेड यूनियनों का केंद्र),

• AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC सहित अन्य संगठनों ने भी समर्थन दिया है।

इन यूनियनों का कहना है कि 25 करोड़ से अधिक श्रमिक और किसान इस हड़ताल में भाग लेंगे, जिनमें शहरी मजदूर, खेतिहर मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, कारखाना कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी और बैंककर्मी शामिल होंगे।

क्या-क्या रहेगा बंद?
यह हड़ताल कई प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित करेगी:

बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं:
बंद आयोजकों के मुताबिक, सार्वजनिक और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। शाखाएं बंद, चेक क्लीयरेंस में देरी, ग्राहक सहायता सेवाएं बाधित — यह सब इस बंद का हिस्सा हो सकता है।

डाक और संचार विभाग:
डाक सेवाएं भी ठप पड़ सकती हैं। पार्सल, मनी ऑर्डर, पोस्ट ऑफिस सेवाएं प्रभावित होंगी।

खनन और उद्योग क्षेत्र:
कोयला खनन, इस्पात संयंत्र, एनएमडीसी और अन्य खनिज उद्योगों में हड़ताल का व्यापक असर होगा। कई कारखानों के कामकाज ठप रहने की संभावना है।

राज्य परिवहन सेवाएं:
बसें, राज्य परिवहन निगम की सेवाएं, और शहरों के अंदर की सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। यात्री मुश्किल में पड़ सकते हैं।

सरकारी विभाग:
केंद्र और राज्य सरकार के कई कार्यालयों में ताले लग सकते हैं, कर्मचारी सामूहिक रूप से हड़ताल में शामिल होंगे।

विरोध की चेतावनी: “यह शुरुआत है, क्रांति अभी बाकी है!”
हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा,

“यह सिर्फ एक हड़ताल नहीं, जन असंतोष की चेतावनी है। सरकार को मजदूरों और किसानों की आवाज़ सुननी ही होगी। देश का श्रमिक और अन्नदाता अब और शोषण नहीं सहेगा।”

ट्रेड यूनियनों ने यह भी साफ किया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानीं, तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। “बंद नहीं रुकेगा, सरकार को झुकना पड़ेगा।”

आम आदमी पर असर: “बंद का असर हर जेब पर पड़ेगा”

• बैंक बंद होने से आम उपभोक्ताओं को नकद लेन-देन में कठिनाई होगी।

• ग्रामीण क्षेत्रों में किसान मंडियों में कामकाज नहीं होगा।

• शहरों में ट्रैफिक जाम, सार्वजनिक परिवहन की कमी, ऑफिसों में अनुपस्थित स्टाफ के कारण दिक्कतें बढ़ेंगी।

• औद्योगिक उत्पादन और आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ सकता है।

क्यों उठी यह ज्वाला?
यूनियनों की प्रमुख मांगें:

•निजीकरण पर रोक,

•श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों की वापसी,

•मनरेगा जैसी ग्रामीण योजनाओं में बजट वृद्धि,

•ठेका प्रथा पर अंकुश,

•न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना,

•किसानों के लिए फसल लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य,

 “भारत बंद” बनाम सरकार: अब क्या होगा?
सरकार की ओर से अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार केंद्र ने राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। रेलवे और सार्वजनिक सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की जा रही है।

लेकिन जनता और संगठनों का गुस्सा इस बार गहरा है। कई जगहों पर धरना-प्रदर्शन, सड़कों पर बैठकर नारेबाज़ी और चक्का जाम की योजना भी बनाई गई है।

9 जुलाई 2025 का दिन श्रमिक क्रांति के रूप में इतिहास में दर्ज हो सकता है। भारत की सड़कों पर जब किसान का हल और मजदूर का हथौड़ा एक साथ गरजेंगे, तब सत्ता की दीवारें भी हिलेंगी।

यह सिर्फ एक बंद नहीं, यह उस ‘भारत’ की आवाज़ है जो पसीना बहाता है, जो चुप था, लेकिन अब चुप नहीं रहेगा।

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