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September 11, 2025 3:56 am

New Delhi-“आर्थिक समानता का सूर्य भारत में उगा: विश्व बैंक ने दी विश्व में चौथे सबसे समतामूलक समाज की मान्यता!”

India news”आर्थिक समानता का सूर्य भारत में उगा: विश्व बैंक ने दी विश्व में चौथे सबसे समतामूलक समाज की मान्यता!”

नई दिल्ली /भारत की उपलब्धि की गूंज से हिला विश्व मंच असमानता पर करारा प्रहार हुआ है गरीबी पर निर्णायक वार गिनी सूचकांक 25.5 के साथ भारत चौथे स्थान पर पहुंचा।171 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर हुएं विश्व बैंक ने की ऐतिहासिक पुष्टि!आज भारत के लिए एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण है जब दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताक़त ने केवल विकास नहीं, बल्कि “विकास में समानता” का अद्भुत उदाहरण पेश किया। विश्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट में भारत को गिनी सूचकांक 25.5 के साथ विश्व का चौथा सबसे समतामूलक देश घोषित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल भारत की आर्थिक शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह उस परिवर्तन की भी घोषणा है जहाँ गरीबी अब नियति नहीं, बल्कि अतीत बन रही है।

“गिनी इंडेक्स” बना भारत की नई पहचान!
गिनी इंडेक्स वह पैमाना है, जो यह बताता है कि किसी देश की संपत्ति या आय कितनी समानता से वितरित है। जहाँ 0 का अर्थ है पूरी समानता और 100 का अर्थ है पूरी असमानता, वहीं भारत का 25.5 का स्कोर यह दर्शाता है कि देश ने समानता के पथ पर एक लंबी छलांग लगाई है।

यह स्कोर चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) जैसे वैश्विक दिग्गजों से बहुत बेहतर है। भारत अब स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस जैसे देशों के साथ “कम असमानता क्लब” में शामिल होने की दहलीज़ पर खड़ा है।

 “गरीबी पर भारत का आर-पार का वार!”
विश्व बैंक की रिपोर्ट एक और चौंकाने वाला आंकड़ा उजागर करती है – 2011 से 2023 के बीच 171 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया है। 2011-12 में अत्यधिक गरीबी 16.2% थी, जो अब 2022-23 में मात्र 2.3% रह गई है।

यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि योजनाबद्ध रणनीति, डिजिटल क्रांति और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने की प्रतिबद्धता का परिणाम है।

नीतियों की वो नींव, जिसने रचा समानता का किला!
भारत की इस अद्वितीय सफलता के पीछे सरकारी योजनाओं और डिजिटल समावेशन की अभूतपूर्व श्रृंखला है, जिसने समानता की इस इमारत को खड़ा किया।

• प्रधानमंत्री जन धन योजना
55.69 करोड़ बैंक खाते, सीधे लाभ का हस्तांतरण, वित्तीय समावेशन का नया युग।

• आधार और डिजिटल पहचान
142 करोड़ आधार कार्ड – सही व्यक्ति तक लाभ की निर्बाध डिलीवरी की रीढ़।

• डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण)
₹3.48 लाख करोड़ की बचत – लीक रोकने और पारदर्शिता लाने वाला यंत्र।

• आयुष्मान भारत योजना
41.34 करोड़ स्वास्थ्य कार्ड – स्वास्थ्य सेवा अब अधिकार, न कि विशेषाधिकार।

• स्टैंड-अप इंडिया
2.75 लाख उद्यमियों को ₹62,807 करोड़ से अधिक का ऋण – समावेशी उद्यमिता की ताक़त।

• पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना
80.67 करोड़ लाभार्थियों तक मुफ़्त खाद्यान्न – भूख पर निर्णायक आघात।

• पीएम विश्वकर्मा योजना
29.95 लाख पंजीकरण – पारंपरिक कारीगरों को आत्मनिर्भरता की नई राह।

ग्रामों से महानगरों तक: विकास हर द्वार पहुँचा!
गिनी इंडेक्स में गिरावट और गरीबी में आई भारी कमी यह बताती है कि भारत ने सिर्फ कुछ शहरों को नहीं, बल्कि हर कोने को जोड़ा है विकास की मुख्यधारा से।

ग्रामीण भारत, जो कभी योजनाओं से वंचित था, आज डिजिटल प्लेटफार्म, बैंकिंग सेवाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वरोज़गार से सुसज्जित है।

भारत का ‘विकास मॉडल’ बना वैश्विक आदर्श!
भारत की यह उपलब्धि केवल घरेलू नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी गर्व की बात बन गई है। जहाँ विकसित देश भी बढ़ती असमानता से जूझ रहे हैं, वहीं भारत ने विकास और समानता को एक ही रथ में सवार कर दिया है।

“Inclusive growth is no longer a dream, but a visible Indian reality,” ऐसा कहना है विश्व बैंक के पावर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ – स्प्रिंग 2025 के मुख्य लेखक का।

भारत की यह यात्रा एक संदेश देती है – “विकास का असली अर्थ वही है, जो हर व्यक्ति तक पहुँचे, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति, लिंग या क्षेत्र से हो।”

25.5 का गिनी इंडेक्स महज़ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि 130 करोड़ सपनों में उगा नया सवेरा है। यह इस बात की पुष्टि है कि जब नीति में संवेदना और क्रियान्वयन में पारदर्शिता हो, तो बदलाव केवल संभव ही नहीं, अनिवार्य हो जाता है।

अब जब विश्व भारत को “समानता का सूर्य”, “विकास का लोकतांत्रिक योद्धा” और “समावेशी अर्थव्यवस्था का मार्गदर्शक” कह रहा है, तब देशवासियों के लिए यह गर्व, उत्साह और आगे बढ़ने की प्रेरणा का समय है।

भारत ने दिखाया है – विकास जब सबके लिए हो, तभी वह सच्चा विकास कहलाता है!
और यह तो बस शुरुआत है…

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