“इतिहास रच गया छत्तीसगढ़: पेंशन फंड विधेयक 2025 को विधानसभा की मुहर, लाखों पेंशनरों को मिली स्थायित्व की गारंटी”
Raipur/ छत्तीसगढ़ की विधान-राजनीति और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। आज प्रदेश की विधानसभा में छत्तीसगढ़ पेंशन फंड विधेयक, 2025 को ऐतिहासिक बहुमत के साथ पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पारित होते ही छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने पेंशन फंड के लिए एक ठोस और कानूनी ढांचा खड़ा कर आर्थिक स्थायित्व की नई इबारत लिख दी है।
विधानसभा में गूंजा ‘ऐतिहासिक निर्णय’ का जयघोष
विधानसभा परिसर में जैसे ही विधेयक पारित हुआ, सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से ज़ोरदार मेज थपथपाई गई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस निर्णय को “आर्थिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक क्रांति” बताया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक विधेयक नहीं, यह उन लाखों पेंशनरों के सम्मान और भविष्य की सुरक्षा का दस्तावेज़ है, जिन्होंने वर्षों तक राज्य की सेवा की है।”
क्या है ‘छत्तीसगढ़ पेंशन फंड विधेयक, 2025’?
यह विधेयक राज्य में पेंशन फंड के संचालन, प्रबंधन और निवेश से जुड़ी प्रक्रिया को कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
इसके तहत:
• पेंशन फंड को एक स्वायत्त वैधानिक निकाय के रूप में गठित किया जाएगा।
• राज्य के समस्त पेंशनर, भविष्य निधि धारक और सेवानिवृत्त कर्मचारी इसके अंतर्गत आएंगे।
• फंड का उपयोग केवल पेंशन भुगतान, निवेश और आपात वित्तीय जरूरतों में किया जा सकेगा।
• फंड का लेखा-जोखा प्रतिवर्ष विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
लाखों पेंशनरों को राहत की सांस!
राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए पेंशनर्स संघों के प्रतिनिधियों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वर्षों से पेंशन फंड के अनिश्चित प्रबंधन और राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका उन्हें सताती रही है। अब इस विधेयक के ज़रिये उन्हें एक मजबूत और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद मिली है।
पेंशनर संघ महासचिव ने कहा:
“हमने कभी नहीं सोचा था कि सरकार इतनी दूरदर्शिता से हमारा भविष्य सुरक्षित करेगी। अब हम निश्चिंत होकर अपनी वृद्धावस्था को सम्मान के साथ जी सकेंगे।”
आर्थिक स्थायित्व की दिशा में मील का पत्थर:-
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक छत्तीसगढ़ को वित्तीय अनुशासन की नई दिशा में ले जाएगा। इससे न केवल दीर्घकालिक वित्तीय स्थायित्व सुनिश्चित होगा, बल्कि भविष्य में राज्य के बजट पर पड़ने वाला पेंशन भार भी संतुलित रहेगा।यह विधेयक छत्तीसगढ़ की वित्तीय दूरदृष्टि का प्रमाण है। इससे अन्य राज्य भी प्रेरणा लेंगे और एक राष्ट्रव्यापी पेंशन सुधार की नींव रखी जा सकती है।
‘मॉडल स्टेट’ बनने की ओर अग्रसर छत्तीसगढ़!
एक समय कृषि, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में चर्चित छत्तीसगढ़ अब सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी बनने की राह पर है। देश के कई राज्यों की निगाहें अब छत्तीसगढ़ की ओर हैं, जिन्होंने यह साहसी और दूरदर्शी कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट:
“हमारे पेंशनरों का सम्मान हमारी प्राथमिकता है। पेंशन फंड विधेयक, 2025 उनकी आर्थिक सुरक्षा का मजबूत कवच होगा। यह केवल नीति नहीं, न्याय है!”
विधेयक पारित होने के बाद आगे की राह!
विधेयक पारित होने के बाद अब आगामी तीन महीनों में इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य पेंशन फंड प्राधिकरण का गठन होगा। इस प्राधिकरण में वित्त विशेषज्ञ, सरकारी प्रतिनिधि और पेंशनर संघों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो फंड के संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगे।
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छत्तीसगढ़ ने आज वह कर दिखाया है, जिसकी केवल कल्पना की जाती थी। राज्य न केवल एक आर्थिक दृष्टि से स्थिर भविष्य की ओर बढ़ रहा है, बल्कि अपने बुज़ुर्ग नागरिकों को यह भरोसा भी दे रहा है कि उनकी सेवा और त्याग को भुलाया नहीं गया।
आज के इस ऐतिहासिक दिन ने छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दी है — “पेंशन सुरक्षा का पथप्रदर्शक राज्य!”