हाईटेक नकल की राष्ट्रीय साज़िश! छत्तीसगढ़ में सब-इंजीनियर परीक्षा घोटाला उजागर — युवाओं के सपनों को कुचल रही है सत्ता की चुप्पी!”
Bialspur/छत्तीसगढ़ की शांत धरती एक बार फिर उस समय थर्रा उठी जब प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी. एस. सिंहदेव ने एक सनसनीखेज खुलासा किया। सोशल मीडिया पर किए गए अपने ट्वीट में सिंहदेव ने सब-इंजीनियर भर्ती परीक्षा के दौरान हुए हाईटेक नकल कांड को उजागर किया, जो न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि राज्य की न्यायिक और प्रशासनिक प्रणाली पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।
सिंहदेव ने बताया कि परीक्षा में नकल किसी सामान्य तरीके से नहीं, बल्कि बेहद संगठित और हाईटेक अंदाज़ में की गई थी। परीक्षार्थियों के पास से लैपटॉप, माइक्रो डिवाइस, ब्लूटूथ उपकरण और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद हुए, जो दर्शाता है कि ये पूरी तरह सुनियोजित और व्यवस्थागत साजिश थी। सवाल यह है कि इतने हाईटेक गैजेट्स परीक्षा केंद्रों के भीतर कैसे पहुंचे? क्या प्रशासन की मिलीभगत के बिना यह संभव था?
“यह कोई एक परीक्षा का मामला नहीं है। यह उस चक्रव्यूह का हिस्सा है जिसमें भारत का युवा फंसा हुआ है और सत्ता मौनदर्शक बनी बैठी है,” सिंहदेव ने ट्वीट करते हुए लिखा।
दरअसल, यह पहली बार नहीं जब परीक्षा प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हुए हों। बीते कुछ वर्षों में बीजेपी शासित राज्यों में परीक्षा घोटाले एक आम बात बन चुके हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश, राजस्थान से गुजरात, बिहार से झारखंड तक, हर राज्य में छात्रों को कभी पेपर लीक, कभी परीक्षा निरस्त, तो कभी नकल के आरोपों से दो-चार होना पड़ा है।
सबसे ताजातरीन मामला NEET परीक्षा घोटाले का है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर विश्वास की नींव को हिला दिया है। जो परीक्षा लाखों युवाओं के मेडिकल करियर का आधार बनती है, वहां पैसों और पॉलिटिकल कनेक्शन के जरिए सीटें बेची जा रही हैं — और सत्ता आँखें मूँदे बैठी है।
क्या यही है ‘नया भारत’?
एक ऐसा भारत, जहां मेहनत से ज्यादा मायने ‘मैनेजमेंट’ का हो गया है? जहां ईमानदार छात्र परीक्षा में बैठने से पहले डरता है कि क्या इस बार पेपर लीक होगा या नहीं? और जहां गरीब और ग्रामीण तबके के छात्र, जो पूरी लगन से पढ़ाई करते हैं, बार-बार व्यवस्था की लापरवाही का शिकार बनते हैं?
यह कोई तकनीकी चूक नहीं है — यह एक गहरी साज़िश है। और सबसे डरावनी बात यह है कि यह साज़िश सिर्फ कुछ नकलचियों की नहीं, बल्कि सत्ता और अपराधियों के गठजोड़ की प्रतीक बनती जा रही है। जिन संस्थाओं पर भरोसा करके देश के युवाओं ने अपने भविष्य की नींव रखी थी, वही संस्थाएं अब भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हैं।
जब सरकारें खामोश होती हैं, अपराध बोलने लगता है।
छत्तीसगढ़ में और आज वही हो रहा है। बीजेपी की सरकारें जवाबदेही से बचने के लिए ‘धर्म’, ‘हिंदुत्व’, और ‘तुष्टीकरण’ जैसे मुद्दों का सहारा ले रही हैं। जब जनता नौकरी और परीक्षा की बात करती है, तो सरकार मंदिर और मूर्तियों की बात करने लगती है। युवाओं के भविष्य पर चुप्पी, लेकिन चुनाव के समय भाषणों में जोश।
टी. एस. सिंहदेव ने साफ कहा कि यह नकल कांड कोई एक राज्य की विफलता नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की गिरावट का संकेत है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, चाहे वे कितनी भी ऊँची कुर्सियों पर क्यों न बैठे हों।
क्या देश की युवा शक्ति इसी तरह ठगी जाती रहेगी?
यह सवाल अब हर उस छात्र के मन में है जिसने दिन-रात मेहनत की, लेकिन सिस्टम की सड़ांध ने उसकी मेहनत को रौंद डाला। यह सवाल हर उस अभिभावक के मन में है जिसने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, लेकिन बदले में मिली है सिर्फ ठगी और निराशा।
भारत का भविष्य क्लासरूम में तय होना चाहिए, लेकिन आज उसका सौदा परीक्षा केंद्रों के बाहर हो रहा है।
अब वक्त आ गया है कि देश की जनता पूछे —
क्या शिक्षा का अधिकार अब सिर्फ अमीरों और जुगाड़बाजों का विशेषाधिकार बन गया है?
क्या एक सामान्य छात्र अब सिर्फ सपने देख सकता है, उन्हें जी नहीं सकता?
और सबसे बड़ा सवाल —क्या यह व्यवस्था अब कभी सुधरेगी या युवाओं को इसी अंधेरे में छोड़ दिया जाएगा?
जब तक सत्ता से सवाल नहीं पूछे जाएंगे, तब तक यह ‘हाईटेक नकल’ केवल तकनीक की जीत नहीं, बल्कि ईमानदारी की करारी हार साबित होती रहेगी।