CG News”रेत माफिया की कमर तोड़ने उतरी प्रशासन की ‘रेत रक्षक सेना’!”बिरकोनी-बरबसपुर मार्ग पर जंगी मोर्चा – अवैध रेत निकासी पर लगेगा ताला!
Mahasamund/रेत माफियाओं के मंसूबों पर अब प्रशासन ने उठाया है कठोर डंडा! वर्षों से रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के चलते क्षेत्र की नदियाँ सूख रही थीं, गांवों की हरियाली उजड़ रही थी और सरकारी राजस्व में भारी नुकसान हो रहा था। लेकिन अब इस ‘रेत युद्ध’ में नया मोर्चा खोला गया है – और वह भी ठीक रेत माफियाओं की नाक के नीचे!
जिले के चर्चित ग्राम बिरकोनी के पास बिरकोनी-बरबसपुर मार्ग पर प्रशासन ने एक अस्थाई खनिज चौकी की स्थापना कर दी है। यह कदम न सिर्फ साहसी है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी देता है – “अब नहीं चलेगा अवैध कारोबार!”
कलेक्टर विनय लंगेह के सख्त निर्देशों के तहत यह कार्रवाई की गई है। खनिज एवं राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने गांव बरबसपुर, बड़गांव, बिरकोनी और घोड़ारी में छापेमारी कर बड़ी मात्रा में अवैध रूप से भण्डारित रेत को जब्त किया है। इससे माफियाओं में हड़कंप मच गया है और अब बिरकोनी मार्ग पर चौबीसों घंटे निगरानी रखने के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
“रेत पर रखवाले – तीन पालियों में तैनात ‘छह रक्षक’”!
खनिज चौकी में तीन पालियों में ड्यूटी सुनिश्चित की गई है ताकि कोई भी वाहन बिना जांच के पार न हो सके। इसमें तैनात नगर सैनिकों की सूची भी जारी की गई है –
श्री प्रशांत कालू
श्री मनीष ढीढी
• मनोज निर्मलकर,
• संतोष चन्द्राकर,
• जीवन गायकवाड़,
• चिंताराम दीवान,
ये ‘छह रक्षक’ अब न सिर्फ चौकी बल्कि जन-हितों के प्रहरी बन गए हैं। उनकी तैनाती से गांववासियों में भी नया विश्वास जगा है।
“माफिया अब होंगे सलाखों के पीछे!”
खनिज अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई वाहन या व्यक्ति अवैध रेत परिवहन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 21 के अंतर्गत कठोर कार्यवाही की जाएगी। इसमें दो से पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही एफआईआर दर्ज कर न्यायालय में परिवाद दाखिल किया जाएगा।
“प्रशासन की ज़मीनी रणनीति – अभियान जारी रहेगा”!
कलेक्टर के निर्देशानुसार, यह कोई एक-दो दिन की कार्रवाई नहीं है। बल्कि इसे एक विशेष सतत अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। खनिज अमला लगातार गश्त कर रहा है, संदिग्ध वाहनों की जांच की जा रही है और स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी अवैध गतिविधि की सूचना तुरंत दें।
“जनता बोली – अब दिख रही है उम्मीद की रौशनी”
स्थानीय ग्रामवासियों से बातचीत में पता चला कि उन्होंने कई बार प्रशासन से इस विषय में शिकायत की थी। ग्रामीण कमल निषाद ने बताया, “हमारे गांव की नहर अब रेत से पटी पड़ी है। लेकिन अब जब प्रशासन खुद मोर्चा संभाल रहा है, तो हमे लगता है कुछ बदलेगा।”
वहीं, ग्राम पंचायत बिरकोनी के एक सदस्य ने कहा, “अस्थाई खनिज चौकी से अवैध रेत परिवहन अब थमेगा। हमें प्रशासन का यह कदम सराहनीय लगता है।”
“नदियों को बचाना, भविष्य को सुरक्षित बनाना”
रेत सिर्फ एक खनिज नहीं, बल्कि जल जीवन का आधार है। नदियों का प्रवाह, किसानों की सिंचाई और भूजल स्तर – सब कुछ इसी पर निर्भर करता है। लेकिन जब माफिया इसे मनमर्जी से लूटने लगते हैं, तो पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ जाता है।
प्रशासन का यह सख्त और सुनियोजित कदम पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण हित और कानून व्यवस्था के लिए नजीर साबित हो सकता है।
यह कार्रवाई बताती है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो व्यवस्था में बदलाव संभव है। अब देखना होगा कि यह अस्थाई खनिज चौकी रेत माफियाओं की ताकत को कितनी हद तक तोड़ पाती है। परंतु यह तय है कि महासमुंद की धरती पर अब “रेत की लूट” को रोकने की सच्ची जंग शुरू हो चुकी है – और यह जंग सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि जनता की भी है!