Bihar News-पटना की दहशत: खेत में सिंचाई करते वक्त गोलियों से छलनी हुआ भाजपा नेता, सुरेंद्र केवट की हत्या से मचा कोहराम!
गोलियों की गूंज, खेत की मिट्टी में गिरती राजनीति की आवाज… शेखपुरा की रात बनी खूनी दस्तान!
Patna/शेखपुरा: बिहार की राजधानी से सटे शेखपुरा इलाके की रात एक और बार गोलियों की गूंज से थर्रा उठी। शनिवार की रात जैसे ही सुरेंद्र केवट अपने खेत में पानी दे रहे थे, अंधेरे की चादर में छुपे हमलावरों ने अचानक उन पर फायरिंग शुरू कर दी। कुछ ही पलों में खेत की हरियाली लाल हो गई। गोलियों की तड़तड़ाहट सुन गांव वाले दौड़ पड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सुरेंद्र केवट की साँसें थम चुकी थीं… एक और राजनीतिक चेहरा बिहार की बढ़ती आपराधिक घटनाओं की भेंट चढ़ गया।
52 वर्षीय सुरेंद्र केवट भाजपा किसान मोर्चा, पुनपुन के पूर्व अध्यक्ष थे और क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता के रूप में जाने जाते थे। हत्याकी इस सनसनीखेज वारदात ने न सिर्फ उनके परिवार को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पूरे इलाके में भय और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है।
खेत बना मौत का मंच, गोलियों की आवाज में डूब गई राजनीति की चीख!
सूत्रों के अनुसार, शनिवार रात्रि करीब 9 बजे सुरेंद्र अपने खेत में सिंचाई का काम कर रहे थे। तभी दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार हमलावर वहाँ पहुँचे। बिना किसी चेतावनी के गोलियां चलने लगीं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कम से कम 4-5 फायरिंग की आवाजें सुनीं। सुरेंद्र जमीन पर गिर पड़े और हमलावर अंधेरे में गायब हो गए।
स्थानीय लोग सुरेंद्र को खून से लथपथ हालत में पटना एम्स लेकर पहुँचे, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस जांच में जुटी, पर सवालों की झड़ी!
घटना की सूचना मिलते ही अनुमंडल पुलिस अधिकारी कन्हैया सिंह और पिपरा थाने की टीम मौके पर पहुँची। पटना के एसपी (पूर्व) परिचय कुमार ने बताया कि घटनास्थल से कोई खोखा बरामद नहीं हुआ है और ऐसा प्रतीत होता है कि सुरेंद्र को एक ही गोली लगी थी। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि प्राथमिकी पीड़ित परिवार की शिकायत के बाद दर्ज की जाएगी।
लेकिन सवाल ये है कि जब एक पूर्व राजनीतिक नेता भी इस तरह से निशाना बनाया जा सकता है, तो आम नागरिक कितने सुरक्षित हैं?
एक हफ्ते में दूसरी राजनीतिक हत्या, भयभीत है बिहार!
सुरेंद्र केवट की हत्या से ठीक एक सप्ताह पहले पटना में जाने-माने व्यवसायी और भाजपा समर्थक गोपाल खेमका की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इन दोनों घटनाओं ने बिहार के कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
कानून की मौजूदगी के बावजूद अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे सरेआम, खेत-खलिहानों में भी लोगों की हत्या कर रहे हैं। क्या यह सिर्फ चुनावी दुश्मनी है या कोई संगठित साजिश?
तेजस्वी यादव का हमला: “बिहार में अराजकता का राज है”!
राज्य में बढ़ती हत्याओं और राजनीतिक हत्याओं पर विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार को आड़े हाथों लिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा,
“और अब पटना में एक भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या! आखिर हम किससे क्या कहें? क्या एनडीए सरकार में कोई अपनी गलती मानने को तैयार है? मुख्यमंत्री बीमार हैं, और सरकार का कोई ‘कमान’ नहीं बचा।”
तेजस्वी यादव ने राज्य में दो डिप्टी सीएम होने के बावजूद कानून व्यवस्था के गिरते स्तर पर सीधा हमला बोला।
मृतक परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, जनता में उबाल!
एम्स में सुरेंद्र के शव के पास जमा हुए उनके परिजन और समर्थक लगातार न्याय की मांग कर रहे थे। स्थानीय विधायक गोपाल रविदास ने एम्स जाकर परिजनों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि दोषियों को जल्द पकड़ा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह हमला सिर्फ सुरेंद्र केवट पर नहीं था, यह इस पूरे समाज के भरोसे पर हमला था।”
सवाल उठाता है यह मंजर…
- आखिर किसने मारी सुरेंद्र केवट को गोली?
- क्या यह राजनीतिक रंजिश थी या व्यक्तिगत दुश्मनी?
- एक ही हफ्ते में दो हत्या क्या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं?
- बिहार में अपराधियों को कौन दे रहा है संरक्षण?
बिहार की धरती पर हर नई हत्या एक पुरानी चीख को और तेज़ कर देती है। सुरेंद्र केवट की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, एक विचारधारा की हत्या है जो किसानों, ग्रामीणों और स्थानीय राजनीति को संबल देने में लगी थी।
अब देखना है कि क्या बिहार पुलिस इस मामले को सुलझा पाती है या यह हत्या भी केवल फाइलों में दबी एक और ‘अज्ञात अपराध’ बनकर रह जाएगी।