“जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं” – ग्राम कौवाझार में गूंजा महिला सशक्तिकरण का स्वर!
Mahasamund/महासमुंद जिला के ग्राम पंचायत के कौवाझार में रविवार को एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब गांव की चौपाल पर सिर्फ शब्दों की गूंज नहीं, बल्कि नारी शक्ति का जयघोष सुनाई दिया। महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित इस विशेष कार्यक्रम ने न केवल ग्रामीणों को नई सोच दी बल्कि यह संदेश भी दिया कि यदि समाज को प्रगति की राह पर दौड़ाना है तो महिलाओं को बराबरी का अवसर देना ही होगा।
डॉ. एकता लगेह का प्रेरक संदेश!
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और प्रसिद्ध समाज सेविका डॉ. एकता लगेह ने जब मंच संभाला तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा –
“जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।”
उनकी यह वाणी केवल श्लोक की पुनरावृत्ति नहीं थी, बल्कि एक सच्चाई थी, जो गांव की महिलाओं के दिल में गूंज उठी। उन्होंने आगे कहा कि महिला सशक्तिकरण कोई नारा भर नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति है।
“हमारी बेटियाँ अगर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में आगे नहीं बढ़ेंगी, तो देश की प्रगति अधूरी रह जाएगी। शक्ति का स्वरूप होने के बावजूद महिलाएं आज भी अपेक्षित सम्मान से वंचित हैं। यह स्थिति बदलनी ही होगी।”
स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान!
डॉ. लगेह ने ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गांव की किशोरियाँ अक्सर संसाधनों के अभाव में अस्वस्थता झेलती हैं, जो उनके भविष्य पर भारी असर डालती है।इस मौके पर उन्होंने किशोरियों को सेनेटरी पैड वितरित किए, ताकि उन्हें स्वच्छता और स्वास्थ्य के महत्व का एहसास हो और वे आत्मनिर्भर बन सकें।
सरपंच गेंदराम जांगड़े की अध्यक्षता!
कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत कौवाझार के सरपंच श्री गेंदराम जांगड़े ने की। उन्होंने कहा –
“महिला सिर्फ घर की नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की रीढ़ है। यदि महिलाएं मजबूत होंगी तो हमारा गांव और देश दोनों मजबूत होंगे।”
उनके इस कथन पर उपस्थित महिलाएं और पुरुषों ने एक स्वर में तालियां बजाकर सहमति जताई।
वीरांगनाओं से प्रेरणा लेने की अपील!
एकता लहंगे ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाएं सदियों से संघर्ष करती आई हैं और हर युग में उन्होंने अपनी ताकत का परिचय दिया है।
उन्होंने उपस्थित महिलाओं से आह्वान किया कि –
“आप झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और दुर्गावती जैसी वीरांगनाओं से प्रेरणा लें। आत्मनिर्भर बनें, साहस दिखाएं और जीवन के हर मोर्चे पर डटकर खड़ी हों।”
जनपद सदस्य अंजलि खैरवार का संदेश!
जनपद सदस्य अंजलि जगन्नाथ खैरवार ने अपने उद्बोधन में कहा कि महिला स्व-सहायता समूह गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं। “आज महिलाएं छोटे-छोटे व्यवसाय कर परिवार और समाज की दिशा बदल रही हैं। यदि हर महिला अपने हुनर को पहचाने, तो गांव में गरीबी और पिछड़ापन दूर हो सकता है।”
महिलाओं की बड़ी उपस्थिति ने बदला माहौल!
इस अवसर पर गांव की महिलाओं ने भारी संख्या में शिरकत की। महिला स्व-सहायता समूह की सदस्याएँ – हेमवती यादव और ममता यादव – ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से उन्हें आत्मबल मिलता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी।
ग्रामीण महिलाएं रंग-बिरंगी साड़ियों और उत्साह से भरे चेहरे लिए कार्यक्रम में शामिल हुईं, जिससे पूरा माहौल उत्सव जैसा प्रतीत हो रहा था।
संचालन ने बांधा समा!
कार्यक्रम का संचालन डाइजेश्वरी चंद्राकर ने इतने प्रभावशाली ढंग से किया कि श्रोतागण पूरे समय मंत्रमुग्ध होकर बैठे रहे। उनकी ओजस्वी आवाज और मधुर शैली ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
कौवाझार से गूंजा महिला जागरण का बिगुल!
कौवाझार का यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है। यहां से जो संदेश निकला, वह है –
•महिला का सम्मान, समाज का उत्थान।
• नारी शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश, भविष्य की मजबूत नींव।
• आत्मनिर्भर महिला ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेगी।
गांव की गलियों में देर तक यही चर्चा रही कि आज का दिन कौवाझार के इतिहास में दर्ज हो गया। महिलाओं ने महसूस किया कि वे अकेली नहीं, बल्कि एक बड़ी शक्ति का हिस्सा हैं।
कौवाझार से उठी यह लहर न सिर्फ महासमुंद, बल्कि पूरे प्रदेश में नारी शक्ति के जागरण की अलख जगाने की क्षमता रखती है।