CG News-भीखम सिंह ठाकुर पुनः निर्वाचित हुए जिलाध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज जिला महासमुंद में एकता का नया सूर्योदय!
Mahasamund/महासमुंद जिले के सर्व आदिवासी समाज के लिए यह एक अत्यंत ऐतिहासिक और उत्साहजनक दिन रहा, जब समाज में लंबे समय से चली आ रही विभाजन की स्थिति को समाप्त कर एकजुटता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया गया। आज बागबाहरा विश्राम गृह में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्व आदिवासी समाज जिला महासमुंद के सभी गुटों ने आपसी मतभेदों को भुलाते हुए पुनः एकजुट होकर समाज के सम्मानित नेता जिला पंचायत उपाध्यक्षक भीखम सिंह ठाकुर को सर्वसम्मति से पुनः जिलाध्यक्ष नियुक्त किया।
एकता और अखंडता की ओर बढ़ता कदम!
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी 09 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के जिला स्तरीय भव्य आयोजन की तैयारियों को लेकर विचार-विमर्श करना था। किंतु इससे भी अधिक महत्वपूर्ण निर्णय समाज के दो अलग-अलग धड़ों के विलय का रहा, जिसने न केवल समाज में व्याप्त द्वंद्व को समाप्त किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि समाज की एकता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, समाज के दोनों गुटों ने आपसी सहमति और परस्पर विश्वास के आधार पर विलय का निर्णय लिया। इस निर्णय ने क्षेत्र के समस्त आदिवासी समाजजनों को खुशी और गर्व से भर दिया। समाज के लोगों ने इस पहल को ऐतिहासिक और दूरदर्शी बताया।
पुनः मिला विश्वास, फिर सौंपी गई ज़िम्मेदारी!
इस विलय के उपरांत पुनः आयोजित नेतृत्व चयन प्रक्रिया में सर्वसम्मति से भीखम सिंह ठाकुर को फिर से जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। साथ ही थानसिंह दीवान को कार्यकारी जिलाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। इस निर्णय का समाज के सभी वर्गों ने खुले दिल से स्वागत किया और दोनों नेताओं को अक्षत, पीले चावल और तिलक लगाकर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ दीं।
भीखम सिंह ठाकुर ने अपने वक्तव्य में कहा, “समाज द्वारा जो पुनः विश्वास जताया गया है, वह मेरे लिए गर्व की बात है। मैं वादा करता हूँ कि पूर्व की भांति सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और सेवा भावना से समाज के हित में कार्य करता रहूँगा।” ठाकुर वर्तमान में जिला पंचायत महासमुंद के उपाध्यक्ष भी हैं और सामाजिक कार्यों में सदैव अग्रणी रहे हैं।
वहीं, कार्यकारी जिलाध्यक्ष थानसिंह दीवान ने भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा, “समाज ही सर्वोपरि है। किसी भी संगठन या दल से पहले समाज आता है। मैं समाज के प्रत्येक कार्य में अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ भागीदारी निभाऊँगा।”
समाजिक कार्यक्रमों में एकता का संकल्प!
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि अब से जिला महासमुंद में सिर्फ एक ही सर्व आदिवासी समाज संगठन मान्य होगा। भविष्य में कोई अन्य समानांतर संगठन समाज की ओर से मान्य नहीं किया जाएगा। सभी सामाजिक गतिविधियाँ एक ही बैनर और नेतृत्व के तहत संचालित होंगी, चाहे वह धरना-प्रदर्शन, अधिकारों की लड़ाई या सांस्कृतिक आयोजन ही क्यों न हो।
इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी तीन वर्षों के लिए यही कार्यकारिणी कार्यरत रहेगी और इसके बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।
बैठक में यह भी तय किया गया कि विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन 09 अगस्त को पारंपरिक रूप से आयोजित होता रहेगा और इसकी तैयारी बड़े पैमाने पर की जाएगी। इस आयोजन में जिले भर से आदिवासी समाज के लोगों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, कलाकारों और सांस्कृतिक समूहों की भागीदारी रहेगी।
उपस्थिति और सहभागिता!
इस ऐतिहासिक बैठक में जिले भर से बड़ी संख्या में समाज प्रमुख, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, विभिन्न ब्लॉक व सर्कल अध्यक्ष, शासकीय अनुसूचित जनजाति कर्मचारी, महिला एवं युवा प्रभाग के प्रतिनिधि तथा अन्य कई सम्मानित सदस्य उपस्थित रहे। विशेष रूप से जिलाध्यक्ष आदिवासी ध्रुव गोंड समाज 52 गढ़ जिला महासमुंद मनराखन ठाकुर की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
समाज की एकजुटता, विकास की गारंटी!
आज का दिन न केवल समाज की एकता के लिए बल्कि एक सशक्त नेतृत्व के लिए भी महत्वपूर्ण रहा। समाज में वर्षो से चला आ रहा मतभेद और संगठनात्मक द्वंद्व समाप्त हुआ और एक नई आशा का संचार हुआ। यह निर्णय आने वाले वर्षों में समाज के विकास, अधिकारों की रक्षा और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा।
जिला मीडिया प्रभारी अजय ध्रुव ने अपील की कि 09 अगस्त के आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में समाजजन भाग लें और इस एकता के पर्व को ऐतिहासिक बनाएं।
यह सिर्फ पुनः निर्वाचन नहीं था, यह समाज की नवचेतना, नवदृष्टि और नवप्रेरणा की शुरुआत है।