CG बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर सनसनी, बनी दहशत की रात: रेलवे अधिकारी की हैवानियत से नर्स की आबरू लुटते लुटते बची,,,,,,,,
Bilaspur/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में शहर के शांत माहौल को झकझोर कर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रेलवे विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा नर्स के साथ दुष्कर्म का प्रयास किए जाने का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। आरोपी कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि रेलवे स्टेशन में पदस्थ डिप्टी स्टेशन सुप्रिटेंडेंट फिरतू राम पटेल है, जिसने अपनी ओहदे और संबंधों का दुरुपयोग करते हुए एक नर्स को दरिंदगी का शिकार बनाने की कोशिश की।

बिलासपुर में यह पूरा मामला 17 मई का है। पीड़िता, जो कि रेलवे मेडिकल यूनिट के अंतर्गत एक निजी अस्पताल की नर्स है, को आरोपी ने पार्टी का झांसा देकर अपने घर गणेश वैली बुलाया था। नर्स को लगा कि यह एक सामान्य सामाजिक आमंत्रण है, लेकिन जो कुछ वहां हुआ, उसने उसकी रूह कंपा दी। जैसे ही वह घर पहुंची, आरोपी ने अपनी असलियत दिखा दी। उसने महिला के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। पीड़िता ने किसी तरह खुद को बचाया और वहां से भागने में सफल रही।
बिलासपुर में इस घटना के बाद सदमे में डूबी पीड़िता कुछ दिनों तक चुप रही। बदनामी के डर से उसने किसी से कुछ नहीं कहा। लेकिन भीतर ही भीतर वह टूटती रही। आखिरकार, 10 दिन बाद उसने हिम्मत जुटाई और अपने परिजनों को पूरी बात बताई। परिजनों के साथ वह सरकंडा थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म के प्रयास का मामला दर्ज कराया।
बिलासपुर में पुलिस ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। सबसे पहले आरोपी के गणेश वैली स्थित घर पर दबिश दी गई, लेकिन वह वहां नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने रेलवे स्टेशन का रुख किया, जहां वह अपने कार्यालय में काम कर रहा था। बिना किसी देरी के पुलिस ने आरोपी को वहीं से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई।

बिलासपुर में इस घटना में पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस प्रवक्ता रश्मित कौर ने जानकारी दी कि आरोपी की पत्नी उससे अलग रहती है और दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया चल रही है। इस मानसिक और पारिवारिक दबाव में वह अपनी विकृत मानसिकता को छिपा नहीं सका और इस घिनौनी हरकत को अंजाम देने की कोशिश की।
बिलासपुर में इस घटना में आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने कहा है कि मामले की पूरी तहकीकात की जा रही है। मेडिकल परीक्षण से लेकर बयान दर्ज करने तक की प्रक्रिया पूरी की जा रही है ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले।
बिलासपुर की इस घटना की गहराई : बिलासपुर में सामाजिक विश्वास पर चोट यह मामला केवल एक दुष्कर्म के प्रयास तक सीमित नहीं है। यह उस विश्वास पर हमला है जो लोग किसी जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति पर करते हैं। एक रेलवे अधिकारी, जो आम लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए तैनात होता है, जब वही अपनी जिम्मेदारी को भूल कर अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो यह न सिर्फ एक व्यक्ति की आबरू पर चोट है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करता है।
सवाल यह भी उठते हैं कि आखिर ऐसे लोगों की नियुक्ति और उनके चरित्र की जांच कैसे की जाती है? क्या रेलवे प्रशासन को ऐसे अधिकारियों की मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं देना चाहिए? क्या महिला कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए ठोस नीति नहीं बननी चाहिए?
नर्सों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल:-
रेलवे मेडिकल यूनिट में कार्यरत नर्सों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह घटना एक डरावनी मिसाल बन गई है। स्वास्थ्य सेवा में लगी महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय ही नहीं, बल्कि एक बड़े सुधार की मांग भी करता है।
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महिला संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की तीखी निंदा करते हुए कहा है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकी नहीं जा सकेगी।
बिलासपुर पुलिस की तत्परता सराहनीय:-
बिलासपुर पुलिस इस पूरे मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई भी चर्चा का विषय बनी हुई है। जैसे ही शिकायत दर्ज हुई, पुलिस ने न केवल तत्काल दबिश दी, बल्कि ऑफिस से आरोपी को पकड़ लाने का साहसिक कदम भी उठाया। इससे यह साफ होता है कि कानून से बच निकलना अब इतना आसान नहीं रहा, चाहे अपराधी कितना ही बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो।
रश्मित कौर, पुलिस प्रवक्ता:-
“जैसे ही हमें मामले की जानकारी मिली, हमने तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। वर्तमान में उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया है और आगे की जांच जारी है। हम पीड़िता को पूरी सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पीड़िता की हिम्मत को सलाम:-
बिलासपुर में इस मामले में पीड़िता ने जिस साहस के साथ अपने साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ आवाज उठाई, वह काबिल-ए-तारीफ है। समाज को ऐसे मामलों में पीड़ित के साथ खड़े रहकर उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग देना चाहिए, न कि बदनामी के डर से चुप कराना।