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October 16, 2025 9:29 pm

“सिरपुर के गंधेश्वर श्रीमहादेव मूर्ति मंदिर ट्रस्ट से निकला घोटाले का जिन्न:आस्था की आड़ में बोनस लूट का बड़ा खेल!”

“सिरपुर के गंधेश्वर श्रीमहादेव मूर्ति मंदिर ट्रस्ट से निकला घोटाले का जिन्न:आस्था की आड़ में बोनस लूट का बड़ा खेल!”

Mahasamund/जिले के ऐतिहासिक और पवित्र स्थल भगवान गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति मंदिर सिरपुर ट्रस्ट से एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने पूरे प्रशासन और क्षेत्रवासियों को हिला कर रख दिया है। आस्था के प्रतीक इस मंदिर ट्रस्ट के नाम पर बोनस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें ट्रस्ट के नाम पर बेशर्मी से फर्जी बोनस प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है।

घोटाले का सूत्रधार – “लहंगर समिति” का प्राधिकृत अध्यक्ष!
मामले की गुत्थी सीधे जाकर जुड़ती है लहंगर समिति के प्राधिकृत अध्यक्ष तोषण सेन से। बताया जा रहा है कि तोषण सेन ने चतुराई और धूर्तता से गंधेश्वर मंदिर ट्रस्ट की भूमि का पंजीयन अपने नाम से करा लिया, जबकि नियमानुसार भूमि का पंजीयन ट्रस्ट के नाम पर होना अनिवार्य था।बात यही नहीं खत्म होती है तोषण सेन खड़सा की खसरा नंबर 540/2 जिसका कुल रकबा .2200 हेक्ट है लेकिन इनकी चतुराई इतनी शातिर थी कि इनके द्वारा गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति मंदिर ट्रस्ट सिरपुर की भूमि खड़सा का भी पंजीयन अपने नाम से करा लिया गया समिति पर्ची में साफ साफ दिख रहा है कि 27.7900 हेक्ट का पंजीयन अपने नाम करा लिया गया है लेकिन यहां खेल कुछ और ही रचा गया और बोनस प्राप्त की पुष्टि भी हो चुकी है।वहीं भूमि तो मंदिर ट्रस्ट की थी, मगर कागजों में उसका मालिकाना हक बदल दिया गया और इसी के दम पर बोनस की भारी-भरकम राशि हड़प ली गई।

संलिप्तता के घेरे में पंजीयनकर्ता!
घोटाले की परतें खुलते ही अब पंजीयनकर्ता की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।वही समिति प्रभारी और समिति के कंप्यूटर ऑपरेटर भी सवालों के घेरे में है इतना बड़ा घोटाला होने के बाद भी इनके द्वारा विभाग को जानकारी नहीं दी गई है और विभाग द्वारा इनके ऊपर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई है क्या इस मामले में राजनीतिक षड्यंत्र का संरक्षण प्राप्त है? सवाल यह भी उठ रहा है कि बिना मिलीभगत के इतने बड़े दस्तावेजी हेरफेर संभव ही नहीं था। आखिर कैसे ट्रस्ट की भूमि का पंजीयन निजी नाम पर हो गया? क्या प्रशासनिक तंत्र की आंखों पर पर्दा डाला गया था या फिर अंदरूनी सांठगांठ से पूरा खेल खेला गया?

सर्वाकार दाऊलाल चंद्राकर भी आरोपों के घेरे में!
इतना ही नहीं, गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति मंदिर सिरपुर ट्रस्ट के ही सर्वाकार एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष दाऊलाल चंद्राकर पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। यह सामने आया है कि उन्होंने भी ट्रस्ट की भूमि का पंजीयन अपने नाम पर करा लिया। जबकि स्पष्ट नियम है कि ट्रस्ट की भूमि पर किसी भी प्रकार का बोनस नहीं दिया जाएगा।
इसके बावजूद नियमों की अनदेखी कर फर्जी बोनस लिया गया, और शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।

“आस्था बनाम लालच” – सवालों के घेरे में गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति ट्रस्ट!
सिरपुर का गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति मंदिर ट्रस्ट छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। लेकिन जब उसी पवित्र स्थल के नाम पर आर्थिक गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का घोटाला सामने आए, तो लोगों के मन में स्वाभाविक रूप से आक्रोश उमड़ना लाजमी है।लोग सवाल कर रहे हैं –

•क्या मंदिर ट्रस्ट की आड़ में लालच और लूट का खेल खेला गया?

•क्या आस्था का अपमान कर सिर्फ व्यक्तिगत लाभ कमाने की कोशिश हुई?

•और सबसे बड़ा सवाल – आखिर इतनी बड़ी लापरवाही पर प्रशासन अब तक मौन क्यों है?

शासन-प्रशासन की आंखों में धूल!
पूरा मामला न सिर्फ आर्थिक अपराध है, बल्कि शासन को खुली चुनौती भी। नियमानुसार ट्रस्ट भूमि पर बोनस भुगतान प्रतिबंधित है, फिर भी बोनस लिया गया। इससे शासन की नीतियों को ठेंगा दिखाया गया और सरकारी खजाने को सीधा नुकसान पहुंचाया गया।
स्थानीय जानकार मानते हैं कि अगर इस प्रकरण की सख्ती से जांच हो, तो कई और बड़े नाम इसमें उजागर हो सकते हैं।

सिरपुर की आक्रोशित जनता – “जांच हो, दोषियों को सजा मिले!”
घोटाले की खबर सामने आने के बाद क्षेत्र में जनाक्रोश चरम पर है। श्रद्धालु और ग्रामीण यह मांग कर रहे हैं कि इस घोटाले की तत्काल उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
स्थानीय निवासियों का कहना है –
“गंधेश्वर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। इसके नाम पर इस तरह की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे।”

क्या होगी प्रशासन की अगली चाल?
अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और शासन पर टिकी हैं। क्या जिला प्रशासन इस गंभीर मामले की जांच कर दोषियों को कानून के शिकंजे में कस पाएगा? या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

गंधेश्वर श्री महादेव मूर्ति मंदिर सिरपुर ट्रस्ट से जुड़े इस बोनस घोटाले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जहां आस्था और धन का मेल होता है, वहां भ्रष्टाचार के खेल की संभावना बढ़ जाती है।यह घोटाला केवल पैसों की हेराफेरी नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ भी है। अब सवाल यह है कि शासन इस खेल पर लगाम लगाएगा या फिर श्रद्धालुओं का विश्वास धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा?

क्या जांच टीम जिला कलेक्टर के आदेश को दरकिनार कर रहे है?

क्या जिला कलेक्टर इतने बड़े मामले को संज्ञान लेंगे या मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा?

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