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September 10, 2025 10:33 pm

Jammu”गोलियों से नहीं डरे श्रद्धालु, बाबा बर्फानी की पुकार पर उमड़ा आस्था का सैलाब!”

Jammu”गोलियों से नहीं डरे श्रद्धालु, बाबा बर्फानी की पुकार पर उमड़ा आस्था का सैलाब!”

जम्मू/कश्मीर।हिमालय की ऊंचाइयों पर बर्फ की चादर ओढ़े विराजमान हैं भगवान शिव — बाबा बर्फानी। और इस बार उनकी एक झलक पाने को देश भर से आस्था का ऐसा तूफान उमड़ा है, जिसने न केवल सरकार को सतर्क कर दिया है, बल्कि आतंक की साजिशों को भी बौना साबित कर दिया है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बावजूद अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में जो वृद्धि हुई है, वह हैरान करने वाली ही नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ देश की आस्था की एक गूंजदार विजय भी है। मंगलवार तक 1 लाख 11 हजार श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। यह कोई सामान्य संख्या नहीं, बल्कि एक संदेश है – “हम डरते नहीं, हम चलते हैं – हिमालय तक, भगवान के दरबार तक!”

“हिमालय की गोद में उमड़ी आस्था की बाढ़!”
जम्मू के बेस कैंप से लेकर पहलगाम और बालटाल के ऊंचे पहाड़ी रास्तों तक – हर जगह श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दे रही है। हजारों लोग जम्मू से नियमित सुरक्षा काफिलों में निकल रहे हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा लोग बिना किसी सुरक्षा दस्ते के, स्वतंत्र रूप से कश्मीर पहुंचकर वहां से अपनी यात्रा आरंभ कर रहे हैं।

दिल्ली से आए तीर्थयात्री ने कहा,
“हमें कोई डर नहीं, बाबा बर्फानी का नाम ही हमारा कवच है। यहां अकेले पहुंचना ज्यादा आसान है, क्योंकि तय काफिलों में बहुत सी पाबंदियाँ होती हैं।”

अमित अपने पांच साथियों के साथ पहलगाम पहुंच चुके हैं और अब चंदनवाड़ी से 30 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई पर निकलने वाले हैं। वह बताते हैं कि रास्ता मुश्किल जरूर है, लेकिन कश्मीर की खूबसूरती और भगवान शिव का नाम इसे आसान बना देता है।

“आतंक की परछाई में चमकी आस्था की मशाल!”
इस बार की अमरनाथ यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन चुकी है – डर के खिलाफ जिद की, आतंक के विरुद्ध विश्वास की। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने प्रशासन को चिंता में जरूर डाल दिया था, लेकिन श्रद्धालुओं के हौसले को तोड़ न सका।

इस साल यात्रा में अब तक की सबसे बड़ी सैन्य तैनाती की गई है। अर्धसैनिक बलों की 600 अतिरिक्त कंपनियां घाटी में तैनात हैं, जिनका एक ही लक्ष्य है — हर श्रद्धालु को सुरक्षित रखना। लेकिन इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोग तय काफिलों की बजाय, सीधे कश्मीर से यात्रा आरंभ कर रहे हैं।

मंगलवार को 26,000 श्रद्धालुओं ने गुफा में दर्शन किए, जबकि जम्मू से भेजे गए काफिलों में केवल 7,000 यात्री शामिल थे। यह आंकड़ा दिखाता है कि लोग अब आतंक की खबरों से डरने वाले नहीं रहे, बल्कि उन्हें बाबा बर्फानी की कृपा पर पूर्ण विश्वास है।

“काफिलों की रफ्तार से तेज़ श्रद्धा की उड़ान!”
अभी तक जम्मू से आठ जत्थों में कुल 55,382 श्रद्धालु रवाना हुए हैं। लेकिन गुफा मंदिर तक पहुंचे लोगों की कुल संख्या इससे कहीं अधिक — 1 लाख 11 हजार — यह स्पष्ट संकेत है कि यात्रा अब सिर्फ प्रशासन के कार्यक्रम पर निर्भर नहीं रही। श्रद्धा ने अपने लिए रास्ता खुद बना लिया है।

प्रशासन की मंशा है कि हर श्रद्धालु सुरक्षा के घेरे में यात्रा करे। लेकिन श्रद्धालुओं का कहना है कि “अगर बाबा ने बुलाया है, तो वो रास्ता भी बनाएंगे और रक्षा भी करेंगे।”

“बर्फ के दरबार में ‘भारत’ एकजुट”
हिंदुस्तान के हर कोने से —छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश,बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु तक — श्रद्धालु जम्मू पहुंच रहे हैं। ट्रेनें, बसें, निजी वाहन – सभी साधन भर चुके हैं। लोग एक ही उद्देश्य लेकर यहां आए हैं — “बर्फ से ढकी गुफा में शिवलिंग के सामने शीश नवाने का सौभाग्य।”

अमरनाथ यात्रा हमेशा से एक चुनौती रही है — मौसम, भूगोल, और सुरक्षा के लिहाज़ से। लेकिन इस बार ये यात्रा केवल धार्मिक नहीं, राष्ट्रीय एकता और साहस की एक यात्रा बन गई है।

“कश्मीर में बह रही है आस्था की गर्माहट”
जहां कभी गोलियों की आवाज़ सुनाई देती थी, अब हर दिन गूंजते हैं भजन, मंत्र और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे। पहलगाम, सोनमर्ग और बालटाल जैसे इलाके श्रद्धालुओं से गुलजार हैं। स्थानीय लोगों के लिए भी यह यात्रा रोज़गार और भाईचारे की मिसाल बन रही है।

“शिव की गुफा तक यह यात्रा, अब डर नहीं दर्शन की यात्रा है!”
आतंक का जवाब अब बंदूक से नहीं, श्रद्धा से दिया जा रहा है। जो हमलों से डरकर पीछे हट सकते थे, वो अब आगे बढ़ रहे हैं — हिमालय की ऊँचाईयों तक, बर्फ की चादर को चीरते हुए, केवल एक ही लक्ष्य लेकर – बाबा बर्फानी के दर्शन।

तो क्या आप तैयार हैं उस आवाज़ को सुनने के लिए, जो आस्था की बर्फ से निकल रही है?

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