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September 10, 2025 10:34 pm

CG News-“स्वास्थ्य सेवा की आड़ में भ्रष्टाचार! अभनपुर के दो डॉक्टरों का खेल हुआ उजागर – आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ”!

CG News-“स्वास्थ्य सेवा की आड़ में भ्रष्टाचार! अभनपुर के दो डॉक्टरों का खेल हुआ उजागर – आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ”!

Raipur /छत्तीसगढ़ जनता की सेवा का व्रत लेकर बनी आयुष्मान भारत योजना के पीछे जब भ्रष्टाचार का साया मंडराने लगे, तो न केवल शासन की छवि धूमिल होती है, बल्कि मरीजों की उम्मीदें भी तार-तार हो जाती हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला के विकास खण्ड अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से, जहां डॉ. उमेश विश्वास एवं डॉ. शारदा साहू पर योजना की आड़ में भारी भ्रष्टाचार करने के आरोप सिद्ध हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’, जो गरीबों और वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है, वही योजना कुछ लालची अफसरों के लिए भ्रष्टाचार की खदान बनती जा रही है। अभनपुर स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ. उमेश विश्वास एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोरपा में पदस्थ डॉ. शारदा साहू ने कथित रूप से मरीजों के खातों से ब्लॉकिंग के नाम पर अवैध धनराशि की कटौती की तथा प्रोत्साहन राशि में भी भारी अनियमितताएँ बरतीं।

इस घोटाले की गंभीर शिकायत छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा शासन स्तर पर की गई थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला रायपुर तथा संचालक स्तर पर विभागीय जाँच की गई, जिसमें दोनों चिकित्सकों को दोषी पाया गया। जाँच रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉ. उमेश विश्वास को जिला चिकित्सालय सुकमा तथा डॉ. शारदा साहू को जिला चिकित्सालय बीजापुर स्थानांतरित कर दिया।

लेकिन यहाँ से कहानी ने लिया एक नाटकीय मोड़।
जिन डॉक्टरों पर भ्रष्टाचार का ठप्पा लग चुका है, उन्हें प्रशासन ने एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया, परंतु यह दोनों अधिकारी शासन के आदेश की सरेआम धज्जियाँ उड़ाते हुए आज भी अभनपुर में ही जमे हुए हैं। न केवल ये अधिकारी अपने स्थानांतरण आदेशों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं, बल्कि पूर्व स्थान पर रहकर पुराने लेन-देन और शिकायतों का ‘मैनेजमेंट’ करने में जुटे हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार किसी भी स्थानांतरण आदेश की अवहेलना अनुशासनहीनता मानी जाती है, परंतु इन दोनों चिकित्सकों पर मानो किसी का वरदहस्त हो, जो इन्हें छू भी नहीं पा रहा। सवाल यह भी उठता है कि जब शासन के उच्च स्तर पर दोष सिद्ध हो चुका है, तो इन अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

सूत्रों की मानें तो यह दोनों ही चिकित्सक पहले से ही विवादों के घेरे में रहे हैं। विशेषकर आयुष्मान योजना में ब्लॉकिंग की प्रक्रिया, जिसमें मरीज का खाता बिना इलाज के भी डेबिट कर दिया जाता है, इन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। इसके अलावा शिकायतें सामने आई हैं कि आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी या प्रभारी खंड चिकित्सा अधिकारी का प्रभार भी यह दोनों अधिकारी आपस में अदला-बदली कर अपने ऊपर से जिम्मेदारी टालते रहे हैं।

लेकिन इस नाटक में एक और नया अध्याय जुड़ चुका है।
शासन के स्पष्ट आदेशों की अवहेलना करते हुए यह दोनों अधिकारी कांग्रेस पार्टी के कुछ पदाधिकारियों के माध्यम से समाचार पत्रों में स्वास्थ्य विभाग के विरुद्ध नकारात्मक समाचार प्रकाशित करा रहे हैं। जिससे न केवल विभाग की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि आम जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ये अधिकारी अब खुद को ‘शिकार’ के रूप में प्रस्तुत कर, स्वयं की गुनाहों से ध्यान भटकाने की चेष्टा कर रहे हैं।

अभनपुर का यह घोटाला इस बात का साक्ष्य है कि यदि भ्रष्ट अधिकारियों को समय पर दंडित न किया जाए, तो वे शासन को भी चुनौती देने से पीछे नहीं हटते। यह केवल अभनपुर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य विभाग की साख और आयुष्मान योजना की साख पर प्रश्नचिह्न है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के संरक्षक एवं भारतीय पब्लिक एम्प्लाई सर्विसेज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओ.पी. शर्मा ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए शासन से मांग की है कि दोषी चिकित्सकों पर तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए तथा उन्हें जबरन कार्यमुक्त कर उनके स्थानांतरण स्थलों पर कार्यभार ग्रहण कराने की प्रक्रिया तत्काल पूर्ण की जाए।

अब समय आ गया है जब शासन को कड़ा रुख अपनाना होगा।
क्योंकि यदि शासन के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन कर भ्रष्टाचारियों को अभयदान मिलता रहा, तो आम जनता का विश्वास इस व्यवस्था से उठ जाएगा। ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजनाएँ तभी सफल हो सकती हैं जब उन्हें चलाने वाले हाथ ईमानदार हों और व्यवस्था में पारदर्शिता हो।

स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि ऐसे भ्रष्टाचारियों को बर्खास्त कर उदाहरण प्रस्तुत करे, वरना आने वाले समय में यह योजनाएँ केवल ‘कागज़ों की शोभा’ बनकर रह जाएंगी।

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