July 16, 2025 10:24 pm

CG News-“शिक्षा के मंदिर में दलाली का जाल: CM के गृह जिले के स्कूल में ‘Herbal नेटवर्क’ का खुला खेल!”प्राचार्या के संरक्षण में गुरु दलाली के साथ बन बैठे “नेटवर्क गुरु”!

CG News-“शिक्षा के मंदिर में दलाली का जाल: CM के गृह जिले के स्कूल में ‘Herbal नेटवर्क’ का खुला खेल!”प्राचार्या के संरक्षण में गुरु दलाली के साथ बन बैठे “नेटवर्क गुरु”!

जशपुर।मुख्यमंत्री के गृहजिले में स्थित एक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा नहीं, बल्कि नेटवर्किंग और दलाली का खेल चल रहा है।

सूत्रों से प्राप्त सनसनीखेज जानकारी के अनुसार, इस विद्यालय की प्राचार्या ने अपने अधीनस्थ उन व्याख्याताओं को खुला संरक्षण दे रखा है, जो नेटवर्क मार्केटिंग (Herbal Life) और भूमि दलाली जैसे गैर-शैक्षणिक एवं संदिग्ध कार्यों में सक्रिय हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि प्राचार्या ने इन शिक्षकों से स्पष्ट रूप से कहा –“डरने की कोई आवश्यकता नहीं… मेरी सेटिंग जिले के वरिष्ठ अधिकारियों और शाला विकास समिति के सदस्यों से हो चुकी है। न तो कोई जांच होगी, न ही किसी प्रकार की कार्रवाई।”

यह बयान न केवल शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर आरोप सिद्ध करता है।

शिक्षक या सौदागर? – जिन व्याख्याताओं की जिम्मेदारी छात्रों को शिक्षित करने की है, वे अब प्रोटीन सप्लीमेंट बेच रहे हैं, नेटवर्किंग प्लान समझा रहे हैं, और जमीन के सौदे तय कर रहे हैं। शिक्षा का मंदिर, अब निजी व्यवसायों का अड्डा बन चुका है- और यह सब हो रहा है प्राचार्या के संरक्षण में।

बच्चियों के भविष्य पर मंडरा रहा संकट : जब विद्यालय के भीतर ही शिक्षक व्यवसायिक एजेंटों की तरह काम करें, तो वहाँ अध्ययनरत छात्राओं का भविष्य सुरक्षित कैसे रहेगा?
अभिभावकों में गहरा रोष है – “जिस विद्यालय में पढ़ाई के बजाय प्राचार्या और शिक्षक अपना कारोबार चलाएं, वहां हमारी बेटियाँ क्या सीखेंगी?”

शिक्षा विभाग की चुप्पी – सवालों के घेरे में : अब तक न तो जिला शिक्षा अधिकारी ने संज्ञान लिया, न ही किसी प्रकार की प्रारंभिक जांच आरंभ हुई है। क्या प्राचार्या का ‘सेटिंग’ वाला दावा सही है? यदि हाँ, तो यह सीधे तौर पर प्रशासनिक संरचना में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।

जनता पूछ रही है :

• क्या मुख्यमंत्री जी के अपने गृहग्राम में ही भ्रष्टाचार को खुली छूट मिली हुई है?
• क्या शासकीय वेतनभोगी कर्मचारी अब शिक्षा के नाम पर निजी धंधे करेंगे और उन्हें कोई रोक नहीं सकेगा?
• क्या ऐसे शिक्षकों और प्राचार्या पर शीघ्र कार्रवाई होगी, या “सेटिंग” का कवच उन्हें बचा लेगा?

यदि शिक्षा के मंदिरों में ही भ्रष्टाचार और संरक्षणवाद पनपेगा, तो अगली पीढ़ी किससे आदर्श लेगी?

अब समय आ गया है – शासन को जवाब देना होगा, और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी। वरना यह ‘गृहग्राम’ शिक्षा नहीं, शर्म का प्रतीक बन जाएगा।

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