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September 10, 2025 12:50 pm

CG News-“छत्तीसगढ़ के सदन में गूंजेगी संविदा कर्मियों की सिसकी” NHM कर्मचारियों के अधिकारों की जंग पहुंचेगी विधानसभा तक — क्या इस बार मिलेगा स्थायी हल?

CG News-“छत्तीसगढ़ के सदन में गूंजेगी संविदा कर्मियों की सिसकी” NHM कर्मचारियों के अधिकारों की जंग पहुंचेगी विधानसभा तक — क्या इस बार मिलेगा स्थायी हल?

Raigarh/छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर गरमाहट बढ़ने वाली है। वजह है – वो आवाजें, जो वर्षों से अनसुनी रही हैं। वो हाथ, जो छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद मजबूत करते रहे, लेकिन कभी स्थायित्व नहीं पा सके। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के 16,000 संविदा कर्मचारियों की, जिनका मुद्दा अब विधानसभा में उठाया जाएगा।

14 से 18 जुलाई तक चलने वाले छत्तीसगढ़! विधानसभा के मानसून सत्र में कसडोल विधायक संदीप साहू एन.एच.एम. कर्मियों की ज्वलंत समस्याओं को जोरशोर से उठाएंगे। इससे पहले भी कई बार ये मुद्दा चर्चा में आया, लेकिन अब यह सदन में पुनः गूंजने को तैयार है — उम्मीदों के साथ, लेकिन आक्रोश की चुप्पी लिए।

 “बीस वर्षों की निष्ठा बनाम शासन की निष्क्रियता”
संविदा कर्मियों का दर्द—अब राजनीतिक मुद्दा!

रायगढ़ जिले की एन.एच.एम. जिला इकाई अध्यक्ष  शकुंतला एक्का ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों — आरोग्य केंद्र, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल आदि — में कार्यरत एन.एच.एम. कर्मी न्यूनतम वेतन, बिना पेंशन, मेडिकल लीव और प्रमोशन के अवसरों के बिना दिन-रात सेवा दे रहे हैं।

“एक तरफ हम पर स्वास्थ्य पुरस्कारों की बौछार होती है, दूसरी ओर हमें स्थायी कर्मचारी मानने से इंकार!” — यह वाक्य रायगढ़ इकाई की बैठक में बार-बार गूंजता रहा।

मानसून सत्र में ‘वेतन, पदोन्नति और स्थायित्व’ की गूंज !
विधायक  संदीप साहू द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किया जाने वाला प्रश्न क्रमांक 522 कुछ ऐसे गंभीर बिंदुओं पर केंद्रित होगा, जो सरकार की नीतियों की पारदर्शिता पर सवाल उठाएंगे!

वेतन वृद्धि की घोषणा, लेकिन अमल कहां?
जुलाई 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 27% वेतन वृद्धि की घोषणा की गई थी, जिसमें एन.एच.एम. कर्मी भी सम्मिलित थे। लेकिन दो साल बाद भी ज़मीनी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं?

IPHS के अनुरूप पब्लिक हेल्थ कैडर में समावेश – केवल कागजों तक?

• केंद्र के निर्देश के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक क्यों नहीं लिया ठोस निर्णय?

• नियमितीकरण समिति की रिपोर्ट – ठंडी फाइलों में दबी सच्चाई?

• 2020 में गठित समिति की रिपोर्ट पर 2025 तक कोई ठोस निर्णय क्यों नहीं?

इन तमाम प्रश्नों का जवाब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल को देना होगा — और वह भी पूरे राज्य के सामने।

मानसून सत्र नहीं, संविदा कर्मियों की उम्मीदों का बादल!
संघ के प्रदेश सलाहकार हेमंत सिन्हा, अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी एवं प्रवक्ता पूरन दास ने संयुक्त रूप से बताया कि वे विधानसभा सत्र को लेकर पूरी तरह सक्रिय हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस बार भी संविदा कर्मचारियों को केवल आश्वासन मिले, तो राज्यव्यापी आंदोलन की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

सदस्यता अभियान से दिखा एकजुटता का इरादा
इसी बीच एन.एच.एम. कर्मचारी संघ द्वारा चलाया जा रहा सदस्यता अभियान रायगढ़ सहित प्रदेश भर में जोर पकड़ चुका है। हजारों कर्मी संगठन से जुड़कर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

“अब नहीं झुकेंगे, अब नहीं रुकेंगे!” — संविदा कर्मियों की हुंकार!

एन.एच.एम. कर्मचारी यह साफ कर चुके हैं कि अब ‘मूल अधिकारों’ से कम पर बात नहीं होगी।
वेतनमान, स्थायित्व, ग्रेड-पे, प्रमोशन, और सामाजिक सुरक्षा — इन पांच मूल मुद्दों को लेकर वे हर स्तर पर संघर्ष को तैयार हैं।

आने वाला सप्ताह निर्णायक साबित होगा?

मानसून सत्र की कार्यवाही और सरकार की प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि क्या छत्तीसगढ़ के ये स्वास्थ्य सैनिक अंततः अपनी लड़ाई जीत पाएंगे या फिर एक बार फिर उन्हें “आश्वासन” की घुट्टी देकर चुप कराया जाएगा।

• क्या इस बार संविदा कर्मियों के सपनों को मिलेगी स्थायी जमीन?

• या फिर न्याय की यह लड़ाई फिर टल जाएगी किसी और सत्र के लिए…?

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