CG News”युक्तियुक्तकरण में कलेक्टर लंगेह का मास्टरस्ट्रोक: महासमुंद की शिक्षा में बदलाव की गूंज, अब नहीं कोई स्कूल शिक्षक विहीन!”
Mahasamund/ छत्तीसगढ़ महासमुन्द से “जिस धरती पर शिक्षक नहीं, वह ज्ञान की भूमि नहीं। लेकिन अब महासमुंद की हर शाला में है उजियारा, हर बच्चे को मिला है शिक्षक का सहारा।”राज्य शासन की ओर से शिक्षकों और विद्यालयों के युक्तियुक्तकरण की ऐतिहासिक पहल के तहत, आज जिले के कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने एक सशक्त और पारदर्शी प्रेस वार्ता में शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदलने का दावा किया। इस संवाद के केंद्र में थी – “एक भी शाला अब शिक्षक विहीन नहीं!”
कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में लहराया शिक्षा का परचम
जिले के कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में न केवल प्रशासनिक अधिकारी, बल्कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक, जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे और मीडियाकर्मी भी मौजूद रहे। कलेक्टर ने आत्मविश्वास से भरी आवाज़ में कहा – “हमने शिक्षा व्यवस्था को लेकर केवल बातें नहीं की, उसे जमीनी स्तर पर बदला है।”
महासमुन्द में 700 अतिशेष शिक्षकों को दिया गया नया दायित्व:- कलेक्टर लंगेह ने प्रेस वार्ता में बताया कि जिले में 700 अतिशेष शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के तहत नये स्कूलों में पुनः पदस्थ किया गया है। यह प्रक्रिया केवल स्थानांतरण भर नहीं, बल्कि एक समर्पित और सुविचारित शैक्षणिक क्रांति है। उन्होंने कहा – “हमने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी बच्चा शिक्षक की अनुपस्थिति से वंचित न रह जाए।”
15 प्राथमिक और 1 पूर्व माध्यमिक शालाएं थीं पूरी तरह शिक्षक विहीन:- महासमुन्द कलेक्टर लंगेह के अनुसार, पहले जिले में 15 प्राथमिक शालाएं और 1 पूर्व माध्यमिक शाला ऐसी थीं, जहां एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं था। इसके साथ ही 316 प्राथमिक और 1 पूर्व माध्यमिक विद्यालय एकल शिक्षकीय थे, यानी केवल एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहे थे। यह स्थिति शिक्षा के अधिकार कानून के भी प्रतिकूल थी।
छात्र-शिक्षक अनुपात में रिकॉर्ड सुधार!
महासमुन्द कलेक्टर ने बताया कि युक्तियुक्तकरण से जिले में प्राथमिक स्तर पर 20.78 और पूर्व माध्यमिक स्तर पर 21.19 बच्चों का अनुपात प्रति शिक्षक हुआ है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है। उन्होंने कहा – “अब हमारे बच्चों को न केवल शिक्षक उपलब्ध होंगे, बल्कि गुणवत्ता और निरंतरता के साथ पढ़ाई का वातावरण मिलेगा।”
एक परिसर, एक स्कूल – क्लस्टर मॉडल की ओर कदम:-
महासमुन्द कलेक्टर लंगेह ने कहा कि अब एक ही परिसर में संचालित अलग-अलग स्तर के स्कूलों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल अपनाया जा रहा है। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ेगी। क्लस्टर मॉडल से एक ही छत के नीचे बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा मिल सकेगी – “अब शिक्षक दूर नहीं, सीखने का सफर होगा सुगम!”
अतिशेष शिक्षक कौन थे? कैसे हुए समायोजित?
महासमुन्द जिले में प्राथमिक शालाओं में 444, पूर्व माध्यमिक में 146 और हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों से 110 अतिशेष शिक्षक पाए गए। इसमें व्याख्याता, सहायक शिक्षक (विज्ञान) भी शामिल थे। इन सभी को पारदर्शी और मानकीकृत प्रक्रिया के तहत ऐसे स्कूलों में भेजा गया जहाँ शिक्षक नहीं थे या आवश्यकता अधिक थी।
शांतिपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया – 1 और 2 जून को रचा गया इतिहास!
महासमुन्द कलेक्टर ने विशेष तौर पर यह बताया कि युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया 1 और 2 जून को पूरी शांति, पारदर्शिता और सहयोग के साथ संपन्न हुई। न कोई प्रदर्शन, न विरोध – केवल समाधान और सराहना! उन्होंने कहा – “हमारे शिक्षकों ने इसे केवल तबादला नहीं, जिम्मेदारी का नया अध्याय समझा।”
महासमुन्द के छात्रों को मिलेगा सीधा लाभ:-
कलेक्टर लंगेह ने बताया कि इस समायोजन से लगभग 90 प्रतिशत छात्रों को तीन बार एडमिशन की प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। अब बार-बार स्कूल बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। “बच्चे जहां पढ़ाई शुरू करेंगे, वहीं वे पूरी भी कर पाएंगे। यह शिक्षा में स्थायित्व का बड़ा कदम है।”
समायोजन में रखा गया विशेष ध्यान:-
समायोजन करते समय न केवल विद्यालय की आवश्यकता बल्कि विषय विशेषज्ञता, सेवा काल और शिक्षक की प्राथमिकता का भी पूरा ध्यान रखा गया। यह प्रक्रिया नियमों के तहत पूरी तरह पारदर्शी रही।
विद्यालयों की संख्या में कोई कमी नहीं:- महासमुन्द जिले की कुल 1957 शालाओं में से 9 का समायोजन किया गया, बाकी 1948 विद्यालय यथावत संचालित हो रहे हैं। इसका सीधा संकेत है कि सरकार स्कूलों को बंद नहीं कर रही, बल्कि उन्हें मजबूती दे रही है।
प्रशासनिक व शिक्षा विभाग के समन्वय से संभव हुआ परिवर्तन!
इस बड़े बदलाव के पीछे प्रशासनिक इच्छाशक्ति और शिक्षा विभाग के सहयोग की सशक्त मिसाल दिखाई दी। जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने कहा – “हमने कड़ी मेहनत से हर स्कूल का डेटा खंगाला, और जरूरतमंद स्कूलों को चिन्हांकित कर समायोजन सुनिश्चित किया।”
आगे क्या? – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अगला कदम!
कलेक्टर लंगेह ने कहा कि अगला चरण शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित होगा। शिक्षक प्रशिक्षण, संसाधनों की उपलब्धता, डिजिटल लर्निंग, और लाइब्रेरी सुविधा जैसे पहलुओं पर काम किया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया – “अब शिक्षकों की अनुपस्थिति कोई बहाना नहीं, अब केवल सीखने की उड़ान होगी।”
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महासमुन्द की शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद मजबूत हुई है और अब शिक्षा फाईलों तक सीमित भी रहेंगी ,
आज जिले का हर बच्चा यह कह सकता है –
“मुझे मेरा शिक्षक मिला है, अब मैं आगे बढ़ सकता हूँ।”और यही है असली समावेशी और सशक्त शिक्षा की पहचान!