CG Breaking“छत्तीसगढ़ में ‘शराब घोटाले’ की कालिख:मदिरा दुकान में लूट का ठेका,,महासमुंद के प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी निधीश कोष्टी पर गिरी गाज – लाखों की गड़बड़ी, स्टॉक में सेंध, सरकार ने दिखाया ‘जीरो टॉलरेंस’ का चाबुक!”
Raipur/छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में शासन ने एक और बड़ा प्रशासनिक झटका दिया है। मदिरा व्यवसाय में भारी अनियमितता, निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर बिक्री, स्टॉक में चौंकाने वाली कमी और लाखों की आर्थिक गड़बड़ी के आरोपों के चलते प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी निधीश कुमार कोष्टी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के स्पष्ट निर्देश और ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ के तहत की गई है।
क्या है पूरा मामला?
दिनांक 29 मई 2025 को आबकारी विभाग के रायपुर स्थित मुख्यालय से एक वरिष्ठ अधिकारी ने अचानक महासमुंद जिले के घोड़ारी स्थित कम्पोजिट मदिरा दुकान का निरीक्षण किया। निरीक्षण से पूर्व विभाग ने एक ‘छद्म ग्राहक’ को 2000 रुपये (500-500 के चार नोट) देकर भेजा ताकि विक्रय मूल्य की वास्तविकता परख सकें।
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उक्त ग्राहक को जो मदिरा प्रदान की गई, उसकी निर्धारित कीमत 1760 रुपये थी। लेकिन विक्रेता ने 2000 रुपये वसूल लिए। यानी 240 रुपये अधिक वसूली। जब मौके पर पूछताछ की गई तो विक्रयकर्ता ने खुलकर यह स्वीकार किया कि वह नियमित रूप से अधिक मूल्य पर मदिरा बेचता रहा है।
मदिरा दुकान के स्टॉक में जबरदस्त गड़बड़ी!
यहीं से जब अधिकारियों ने गहराई से जांच की, तो हकीकत की परतें खुलती चली गईं:
• देशी मदिरा मसाला में 1886 नग की कमी
• 1 लाख 88 हजार रुपये की सीधी आर्थिक गड़बड़ी
• बिक्री और नगदी में 3 लाख 8 हजार की असमानता
• विदेशी मदिरा में भी 1 लाख 99 हजार की अनुपलब्धता
• इस प्रकार कुल मिलाकर 6 लाख 96 हजार रुपये की अनियमितता सामने आई — वह भी एक ही दुकान में!
सस्पेंशन की कार्रवाई तत्काल प्रभाव से निलंबित:
इन गंभीर लापरवाहियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम के तहत प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी निधीश कुमार कोष्टी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय अब नवा रायपुर अटल नगर स्थित आबकारी आयुक्त कार्यालय में निर्धारित किया गया है।
पहले से ही थी संदिग्ध गतिविधियाँ!
महासमुन्द में यह पहली बार नहीं था जब महासमुंद जिले में आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठे। इससे पहले 3 मई 2025 को राज्य स्तरीय उड़नदस्ता ने बागबहरा क्षेत्र में छापा मारकर उड़ीसा निर्मित 351.17 बल्क लीटर अवैध शराब जब्त की थी, जो कि केवल उड़ीसा में वैध थी। इस कार्रवाई में तीन अलग-अलग अपराध दर्ज किए गए और आबकारी अधिनियम की धाराओं 34(2) और 59(क) के तहत कार्यवाही की गई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने दी सख्त चेतावनी!
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा:
“प्रदेश में शासन की जिम्मेदारियों में किसी भी प्रकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार या अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महासमुंद की कार्रवाई सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का स्पष्ट उदाहरण है।”
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि कोई भी गड़बड़ी अब छिप नहीं सकेगी।
क्या ये केवल एक अधिकारी की लापरवाही थी या पूरे सिस्टम में सड़न?
महासमुंद के इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अकेले निधीश कोष्टी ही दोषी हैं, या फिर शराब दुकानों की पूरी प्रणाली ही भ्रष्टाचार की दलदल में फंसी है? छद्म ग्राहक की तैनाती से लेकर स्टॉक गड़बड़ी तक जो कुछ भी सामने आया, वह केवल सतह है। इसके पीछे कौन-कौन से अधिकारी, ठेकेदार, और नेटवर्क काम कर रहे थे — इसकी गहन जांच की जरूरत है।
जनता में आक्रोश, शासन से मांग – ‘असली जड़ तक पहुंचे जांच’
स्थानीय नागरिकों में इस घटना को लेकर जबरदस्त नाराजगी है। एक व्यापारी ने कहा:
“हम आम नागरिक तय दर से शराब लेने जाते हैं, लेकिन दुकान में बैठे लोग खुलेआम लूटते हैं। अब जाकर शासन की आंख खुली है!”
वहीं एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मांग रखी कि शासन को चाहिए कि इस पूरे मामले में केवल एक अधिकारी को निलंबित कर छोड़ने की बजाय पूरे विभागीय ढांचे की ऑडिट कराए। हर जिले में इसी तरह की गड़बड़ी चल रही होगी।
क्या आगे होंगे और खुलासे?
शराब व्यापार से जुड़े मामलों में यह पहला मामला नहीं है जब इस स्तर की गड़बड़ी सामने आई हो। सवाल यह है कि:
• क्या और जिलों में भी इसी तरह की छानबीन होगी?
• क्या दोषियों पर केवल निलंबन से अधिक सख्त कार्यवाही होगी?
• क्या जनता की गाढ़ी कमाई की लूट अब बंद होगी?
इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में शासन की कार्रवाई से ही मिलेगा।
‘एक अफसर गिरा है, सिस्टम को पकड़ना बाकी है’
महासमुंद में हुई इस कार्रवाई ने छत्तीसगढ़ शासन की “शून्य सहिष्णुता” नीति को जमीन पर दिखाया है। लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक दुकान में इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो सकती है, तो बाकी जिले किस हाल में होंगे? सिर्फ अधिकारी निलंबित करने से मामला खत्म नहीं होता — व्यवस्था की सफाई तब मानी जाएगी, जब पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाए।
शराब का धंधा – क्या शासन का राजस्व या भ्रष्टाचार का अड्डा है ?
अब देखना यह है कि क्या महासमुंद की यह लपटें दूसरे जिलों तक पहुंचती हैं या नहीं?