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September 10, 2025 12:45 pm

CG Breaking“कमारों का सब्र टूटा, अब संघर्ष की जंग शुरू:‘सिस्टम’ ने छीने अधिकार! गरियाबंद से रायपुर तक गरजेगा कमार समाज का न्याय युद्ध!”

CG Breaking“कमारों का सब्र टूटा, अब संघर्ष की जंग शुरू: ‘सिस्टम’ ने छीने अधिकार! गरियाबंद से रायपुर तक गरजेगा कमार समाज का न्याय युद्ध!”

गरियाबंद (छत्तीसगढ़), दिनांक 10 जून 2025:
गरियाबंद की धरती पर विशेष पिछड़ी जनजाति कमार समाज ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। वर्षों से उपेक्षित अधिकारों, योजनाओं में भेदभाव, और सरकारी तंत्र की उदासीनता के खिलाफ समाज का आक्रोश अब उफान पर है। शासन-प्रशासन को कई बार निवेदन, ज्ञापन और विनती देने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई — तब अंततः कमार समाज ने धरना प्रदर्शन और राजधानी रायपुर तक पैदल यात्रा की हुंकार भर दी है।

सरकारी योजनाएं बनी छलावा, अधिकारी बने बाधा!
गरियाबंद में कमार एवं भुजिया समाज ने स्पष्ट आरोप लगाए हैं कि जिला गरियाबंद में पदस्थ सहायक आयुक्त नवीन भगत, जिनका मूल कार्य इन विशेष पिछड़ी जनजातियों का सामाजिक व आर्थिक उत्थान करना है — वे न केवल अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं, बल्कि योजनाओं के लाभ को भी समाज तक पहुँचने नहीं दे रहे।

कमार समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने बताया कि नवीन भगत न तो कभी कमार समुदाय के बीच जाकर संवाद करते हैं, न ही योजनाओं की जानकारी देते हैं। योजनाएं फाइलों में दम तोड़ रही हैं, और लाभ सिर्फ “चहेतों” तक सीमित हैं।

गरियाबंद जिला का विश्राम भवन बना निशाना: अधिकार’ हुआ गायब!
गरियाबंद के कमार समाज के लिए गरियाबंद सिविल लाईन में जो विश्राम भवन आवंटित था, वो अब इतिहास बन चुका है। समाज का कहना है कि उस भवन का नामोनिशान मिटा दिया गया है — न कोई बोर्ड, न कोई सूचना। यह सिर्फ एक भवन नहीं, कमारों के सम्मान, आत्मबल और पहचान का प्रतीक था, जिसे अब प्रशासनिक बेरुखी ने निगल लिया है।

“टी.एस. कंवर को किसकी शह?” — समाज में गूंजा सवाल!
ग़रियाबंद के कमार विकास अभिकरण में वर्षों से पदस्थ टी.एस. कंवर पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। समाज का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी भी कमार / भुजिया समाज के हित में कोई ठोस कार्य नहीं किया। न किसी को योजना का लाभ मिला, न किसी को रोजगार की जानकारी। उनके द्वारा कार्यालय को “कागजी महल” बना दिया गया है, जहां सिर्फ खानापूर्ति होती है।

भर्ती प्रक्रिया में भेदभाव — पढ़े-लिखे युवाओं से भी सौतेला व्यवहार!
गरियाबंद के समाज की युवा पीढ़ी जो शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ना चाह रही है, उसे भी निराशा हाथ लग रही है। वित्त स्थापना शाखा में पदस्थ महिला कर्मचारी पुन्नी साहू पर आरोप है कि वे कमार व भुजियां समाज के युवाओं से सीधे बात करने से कतराती हैं। जब युवक-युवतियाँ उनसे सीधे भर्ती प्रक्रिया के बारे में पूछते हैं, तो वे अवमानजनक व्यवहार करती हैं और जानकारी देने से साफ मना कर देती हैं।

कमार समाज का कहना है कि “हमारी योग्यता को अनदेखा कर, हमें फिर से जंगलों में ढकेलने की साजिश हो रही है!”

समाज का 15 जून: न्याय की जंग का ऐलान!
इन सभी अन्यायों के विरुद्ध अब कमार समाज ने चुप्पी तोड़ दी है। दिनांक 15 जून 2025 को गरियाबंद में विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा। और यदि तब भी शासन-प्रशासन मौन रहा, तो समाज रायपुर तक पैदल यात्रा करेगा और वहां मुख्यमंत्री एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री से न्याय की गुहार लगाएगा।

समाज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यह सिर्फ अधिकार की लड़ाई नहीं, बल्कि “अस्तित्व और पहचान की रक्षा” की जंग है।

मुख्यमंत्री, मंत्री, कलेक्टर और आयुक्त को सौंपा गया ज्ञापन:- 
समाज ने अपनी मांगों को लेकर एक विस्तृत ज्ञापन राज्य के चार शीर्ष पदाधिकारियों को सौंपा है:

• माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय,

• आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम,

• आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग,

• कलेक्टर, जिला गरियाबंद

ज्ञापन में साफ तौर पर माँग की गई है कि:

• सहायक आयुक्त नवीन भगत को तत्काल गरियाबंद से हटाया जाए।

• टी.एस. कंवर को कमार विकास अभिकरण से हटा कर निष्पक्ष अधिकारी की नियुक्ति हो।

• पुन्नी साहू पर अनुशासनात्मक कार्यवाही हो।

• कमार विश्राम भवन को पुनः बहाल कर उसका संचालन समाज को सौंपा जाए।

• पढ़े-लिखे कमार/भुजिया युवाओं को भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता व मार्गदर्शन दिया जाए।

संघर्ष का बिगुल — प्रशासन को चेतावनी!
गरियाबंद के कमार समाज ने प्रशासन को दो टूक शब्दों में चेताया है कि यदि उनकी माँगों को 15 जून तक पूरा नहीं किया गया, तो रायपुर पैदल यात्रा के साथ-साथ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

“अब अगर अधिकार नहीं मिला, तो सड़कों पर हमारी आंधी चलेगी!” — यह ऐलान सिर्फ शब्द नहीं, छत्तीसगढ़ के एक उपेक्षित समाज की करुण क्रांति की दस्तक है।

प्रतिलिपि भेजी गई विशेष पिछड़ी जनजाति जिला संघ को:- 
इस समूचे संघर्ष की जानकारी विशेष पिछड़ी जनजाति जिला संघ को भी दी गई है, जिससे प्रदेश स्तर पर समर्थन प्राप्त हो सके और यह आंदोलन एक व्यापक जनक्रांति का रूप ले सके।

https://jantakitakat.com/2025/06/15/cg-big-breakingफर्जी-आदेश-झूठा-ओहदा-

वर्षों से देखा जा रहा है कि जिला प्रशासन गरियाबंद द्वारा व्यवस्था समाज को  नजर अंदाज कर रहा है जबकि केंद्र सरकार द्वारा समाज के प्रति विभिन्न योजनों का क्रियान्वय किया जा रहा है। गरियाबंद जिला प्रशासन द्वारा लगातार समाज प्रति रवैया अच्छा नहीं दिख रहा है अगर समाज को अनदेखा किया गया तो अब गरियाबंद जिला की  गलियों से लेकर रायपुर के दरबार तक अब एक ही आवाज गूंजेगी —
“हमें अधिकार चाहिए, भीख नहीं!”
“हमें प्रतिनिधित्व चाहिए, उपेक्षा नहीं!”

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