पहले अनाचार फिर निर्मम हत्या:12 दिन बाद तिल्दा नेवरा पुलिस ने सुलझाई किशोर की गुत्थी – गाँव थर्राया, आरोपी सलाखों के पीछे!
Raipur/छत्तीसगढ़ की राजधानी से सटे तिल्दा नेवरा क्षेत्र में एक नाबालिग किशोर की गुमशुदगी और फिर उसकी हत्या ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। 12 दिनों तक परिजन और ग्रामीण उम्मीद की डोर थामे बैठे रहे कि शायद उनका बच्चा कहीं जिंदा मिल जाए, लेकिन जब तालाब किनारे उसका शव मिला तो गांव में सन्नाटा छा गया। इस दर्दनाक वारदात ने न केवल मासूमियत को शर्मसार किया बल्कि इंसानियत को भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया।
घटना की शुरुआत – गणेश पंडाल से गुमशुदगी!
26 अगस्त की रात कोटा निवासी 15 वर्षीय किशोर उत्साह के साथ गणेश पंडाल देखने गया था। माता-पिता ने सोचा था कि थोड़ी देर में लौट आएगा, लेकिन वह कभी घर नहीं पहुंचा। अगले ही दिन परिजनों ने तिल्दा नेवरा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तलाशी शुरू की, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। दिन गुजरते गए, परिजनों की चिंता और पुलिस की बेचैनी बढ़ती चली गई।
06 सितंबर – लाश बरामद, गांव में मातम!
10 दिनों की तलाश के बाद 06 सितंबर को कोटा गांव के बड़े तालाब के पास से बदबू आने पर ग्रामीणों ने पुलिस को खबर दी। जब पुलिस ने तलाब किनारे देखा तो वहां किशोर का शव मिला। पहचान होते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। गुमशुदगी का मामला अब हत्या में तब्दील हो गया और पुलिस ने आरोपियों की तलाश तेज कर दी।
सीसीटीवी से खुली गुत्थी!
जांच की दिशा तब बदली जब पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिला। फुटेज में किशोर को आखिरी बार विजय धीरज नामक युवक के साथ देखा गया। गुप्त सूचना भी इसी ओर इशारा कर रही थी। पुलिस ने विजय को हिरासत में लिया और कड़ाई से पूछताछ शुरू की।
आरोपियों के कबूलनामे ने हिली तिल्दा पुलिस!
पूछताछ में विजय धीरज ने जो बताया, उससे पुलिस भी सन्न रह गई। उसने स्वीकार किया कि उसने अपने साथी कुलदीप बंजारे और एक अन्य नाबालिग के साथ मिलकर किशोर के साथ अनाचार किया। जब आशंका हुई कि पीड़ित यह राज उजागर कर देगा, तो तीनों ने मिलकर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और शव को तालाब किनारे फेंक दिया।
तिल्दा-नेवरा पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई!
कबूलनामे के बाद पुलिस ने तत्काल विजय धीरज, कुलदीप बंजारे और विधि संघर्षरत बालक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ हत्या और पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर धाराएं लगाई गईं। पुलिस ने तीनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।
परिजनों का दर्द – “मेरा बेटा मुझे न्याय दिला देना”!
मृतक के पिता ने रोते हुए कहा – “हमारा बच्चा निर्दोष था, वह सिर्फ गणेश पंडाल देखने गया था। हमें कभी अंदाजा नहीं था कि वह वापस लौटकर नहीं आएगा। हम पुलिस से यही मांग करते हैं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।”
गांव में आक्रोश और सन्नाटा!
कोटा गांव के लोग इस घटना के बाद से गुस्से में हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे गांव की त्रासदी है। “जिन चेहरों को हम रोज देखते थे, वही इतनी बड़ी हैवानियत करेंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।”
पुलिस की सराहना – 12 दिन में खुली गुत्थी!
तिल्दा नेवरा थाना प्रभारी ने कहा – “शुरुआत में मामला बेहद पेचीदा था, लेकिन टीम ने लगातार प्रयास किए। सीसीटीवी और मुखबिर की सूचना अहम साबित हुई। तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।”
बड़ा सवाल – नाबालिग सुरक्षित कहाँ?
यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है – आखिर बच्चे अपने ही गांव और परिचितों से कितने सुरक्षित हैं? समाज में फैलती विकृत मानसिकता, बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध और कानून के भय का कम होना अब गंभीर चिंता का विषय है।
12 दिनों तक सुलगती रही गुत्थी ने आखिरकार सच्चाई का परदा खोल दिया। लेकिन इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि मासूमों की सुरक्षा के लिए केवल पुलिस ही नहीं, समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। आरोपी सलाखों के पीछे हैं, लेकिन एक परिवार अपनी जिंदगी भर की पीड़ा से कभी उबर नहीं पाएगा।
यह था वह सनसनीखेज मामला जिसमें पहले एक मासूम के साथ हैवानियत हुई और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। तिल्दा नेवरा पुलिस की सतर्कता और तत्परता से गुत्थी सुलझ गई, लेकिन गांव में आज भी खामोशी और मातम पसरा है।