रक्तरंजित चंद्रमा की आग़ोश में धरती:आज लगेगा साल का सबसे खास चंद्रग्रहण जानें सूतक, मोक्ष और अद्भुत ‘ब्लड मून’ का रहस्य!
7 सितंबर 2025, रविवार — भारत भर में आज रात एक ऐसा अद्भुत खगोलीय दृश्य घटित होने जा रहा है, जिसे देखने के लिए अगली बार आपको 31 दिसंबर 2028 तक इंतज़ार करना होगा। भाद्रपद पूर्णिमा की रात, आकाश में खून के रंग जैसा चंद्रमा प्रकट होगा — एक ‘ब्लड मून’, एक पूर्ण चंद्रग्रहण — जो भारत के कोने-कोने से साफ़ नजर आएगा।
यह नज़ारा केवल विज्ञान का नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भरपूर है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा में चंद्रग्रहण को केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना और सावधानी का समय माना जाता है। ऐसे में यह चंद्रग्रहण और भी विशेष बन जाता है।
जब चंद्रमा होगा लाल:‘ब्लड मून’ का जादुई असर!
आज का पूर्ण चंद्रग्रहण केवल खगोल प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी देखने लायक है। इस चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह समा जाएगा, जिससे वह गहरा लाल और नारंगी रंग का दिखाई देगा। यह स्थिति तब बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से परावर्तित होकर चंद्रमा तक पहुंचता है।ब्लड मून, यानी रक्तवर्णी चंद्रमा — यह केवल एक वैज्ञानिक घटना नहीं, बल्कि इसे भारतीय शास्त्रों में ऊर्जा परिवर्तन और भावनात्मक ज्वार के रूप में भी देखा जाता है।
ग्रहण का समय — कब क्या होगा?
•चंद्रग्रहण का स्पर्श (आरंभ): रात 9:57 बजे,
•पूर्ण चंद्रग्रहण की शुरुआत: रात 11:01 बजे,
•ग्रहण का मध्य बिंदु: रात 11:41 बजे,
•पूर्ण चंद्रग्रहण का अंत (मोक्ष): रात 1:27 बजे,
•ग्रहण का अंतिम चरण समाप्त: सुबह 2:25 बजे
कुल मिलाकर यह चंद्रग्रहण 82 मिनट तक रहेगा — और यह 2022 के बाद अब तक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा।
सूतक काल — क्या करें, क्या न करें?
जैसे-जैसे चंद्रग्रहण करीब आता है, दोपहर 12:57 से ही सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू होता है और मोक्ष के बाद समाप्त माना जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं, पूजा-पाठ रोक दिया जाता है, और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
•दोपहर 2 बजे के बाद मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे।
•ग्रहण का मोक्ष होते ही, यानी रात 1:27 बजे के बाद ही पुनः पूजा प्रारंभ की जाएगी।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी!
चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद और ज्योतिष दोनों के अनुसार, इस समय किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया, जैसे कि काटना, जोड़ना, या सिलाई आदि वर्जित है।
•घर के भीतर रहें,
•नुकीली वस्तुओं से दूर रहें,
•धार्मिक पाठ और मंत्र जाप करें,
•सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें,
धार्मिक मान्यताएँ और उपाय!
भारतीय धर्मशास्त्रों के अनुसार, ग्रहण काल दान-पुण्य, जप और तप के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विशेष रूप से तुलसी पत्र, गंगाजल और मंत्रों के प्रभाव से ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
•ग्रहण के दौरान भोजन न करें,
•स्नान कर के शुद्ध रहें,
•भगवान विष्णु, शिव और चंद्र देव का जाप करें,
•ग्रहण समाप्त होने पर गंगा जल से स्नान करें और दान करें,
कौन-कौन सी राशियाँ रहें सतर्क?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह चंद्रग्रहण आठ राशियों के लिए अशुभ प्रभाव डाल सकता है:मेष, वृष, कन्या और धनु राशि को छोड़कर शेष सभी राशियों के जातकों को ग्रहण के दर्शन से बचने की सलाह दी गई है। उनके लिए यह ग्रहण स्वास्थ्य और मानसिक अशांति लेकर आ सकता है।
कहाँ-कहाँ से दिखेगा यह अद्भुत दृश्य?
इस बार खास बात यह है कि चंद्रग्रहण भारत के लगभग हर शहर से साफ देखा जा सकेगा — चाहे आप दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता या हैदराबाद में हों। यह पहली बार है जब इतने बड़े स्तर पर “ब्लड मून” भारत में इतने अच्छे तरीके से दिखाई देगा।किसी विशेष टेलीस्कोप या ऊँचाई वाली जगह की ज़रूरत नहीं — बस आसमान साफ होना चाहिए, और फिर आप इस अनोखे पल के साक्षी बन सकते हैं।
ये मौका फिर 2028 में मिलेगा!
अगर आज आपने यह अद्भुत खगोलीय घटना देखी, तो समझिए कि आपने इतिहास में दर्ज एक जादुई क्षण को अपनी आंखों से देखा। क्योंकि अगला ऐसा पूर्ण चंद्रग्रहण 31 दिसंबर 2028 को होगा — यानी पूरे तीन साल तीन महीने बाद!इसलिए इस रहस्यमयी रात को व्यर्थ न जाने दें। अपने परिवार के साथ इस अनोखे “ब्लड मून” के साक्षी बनें — क्योंकि ऐसी रातें बार-बार नहीं आतीं।ग्रहण को केवल वैज्ञानिक चश्मे से न देखें — यह प्रकृति का एक चमत्कार है, जो हमें ब्रह्मांड की विशालता और जीवन की गहराई का अनुभव कराता है। तो आज रात, आँखें उठाइए, चंद्रमा की ओर देखिए — और उस रक्तवर्णी चमक में अपनी जगह पहचानिए।
आज की रात — केवल एक ग्रहण नहीं, एक अनुभव है!