“आग से खेला और खुद जल गया!” – उज्जैन में डोल ग्यारस जुलूस के दौरान पेट्रोल से करतब दिखा रहे युवक की जिंदगी में मचा तांडव!
Ujjain MP– त्योहार की खुशियों के बीच एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने देखने वालों की रूह तक कंपा दी। डोल ग्यारस के जुलूस में उमड़ी भीड़, ढोल-नगाड़ों की गूंज, उत्साह से लबरेज समाज के लोग और इसी बीच एक शख्स जिसने थोड़ी वाहवाही के चक्कर में अपनी और एक और व्यक्ति की जिंदगी खतरे में डाल दी।
घटना मध्य प्रदेश के पवित्र शहर उज्जैन की है, जहां बैरवा समाज द्वारा निकाले गए डोल ग्यारस के जुलूस में एक युवक ने आग से करतब दिखाने की कोशिश की। युवक ने अपने मुंह में पेट्रोल भरा और जलती मशाल के सामने “फायर स्पिटिंग” यानी आग उगलने का करतब करने लगा। लेकिन कुछ ही पलों में जश्न का रंग बदल गया – पेट्रोल से निकली आग ने युवक को अपनी चपेट में ले लिया और एक पल में माहौल मातम में बदल गया।
“कला के नाम पर मौत का खेल!” – भीड़ देखती रही, युवक झुलसता रहा!
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, युवक ने बिना किसी सुरक्षा उपाय के इस खतरनाक करतब को अंजाम देने की कोशिश की थी। उसके पास न तो कोई अग्नि सुरक्षा उपकरण था, न कोई मेडिकल सहायता मौजूद थी। भीड़ में मौजूद लोगों ने शुरुआत में इसे करतब का हिस्सा समझा, लेकिन जब युवक की चीखें गूंजीं और आग की लपटें उसकी गर्दन व चेहरे को लीलने लगीं, तब लोगों को असली भयावहता का एहसास हुआ।
आग इतनी तेजी से फैली कि युवक के पास खड़ा एक अन्य व्यक्ति भी उसकी चपेट में आ गया। दोनों को स्थानीय लोगों की मदद से तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों ने बताया कि दोनों को 40 से 60 प्रतिशत तक जलने की चोटें आई हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हादसे का वीडियो!
इस पूरे हादसे का वीडियो वहां मौजूद एक दर्शक ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे युवक आग उगलने की कोशिश करता है और अचानक ही आग की लपटें उसके मुंह से वापस शरीर की ओर लौट जाती हैं। चीख-पुकार, भगदड़ और हड़कंप के बीच वीडियो भयावह रूप ले लेता है।
लोग इस वीडियो को शेयर कर कला और जोखिम के बीच संतुलन की अहमियत पर चर्चा कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस घटना को “गंभीर लापरवाही” और “”“”मौत को दावत देना बताया है।
आग से खेलने की ये कैसी परंपरा?
भारत में कई पारंपरिक जुलूसों और उत्सवों में फायर स्पिटिंग या आग से खेलने वाले करतब आम हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय कलाकार अक्सर बिना किसी सुरक्षा के ऐसे करतब करते हैं, जिससे मनोरंजन तो होता है, लेकिन खतरा हमेशा सिर पर मंडराता रहता है।
बैरवा समाज के कुछ सदस्यों ने घटना के बाद सवाल उठाए हैं कि आयोजकों ने ऐसे खतरनाक करतब की अनुमति क्यों दी, और वहां प्राथमिक चिकित्सा या सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी। आयोजकों ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन प्रशासनिक जांच शुरू कर दी गई है।
अस्पताल में भर्ती युवक की हालत गंभीर, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल!
झुलसे हुए युवक जिसकी लगभग उम्र लगभग 25 वर्ष के रूप में हुई है। दूसरा व्यक्ति जिसने आग की चपेट में आकर गंभीर चोटें खाई हैं, उसका जिसकी लगभग उम्र 30 वर्ष बताया जा रहा है। दोनों को उज्जैन जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की एक टीम लगातार निगरानी कर रही है।
राजू के परिवार वालों का कहना है कि उसे इस तरह का करतब करने की आदत नहीं थी, लेकिन वह पहली बार समाज के जुलूस में कुछ खास करना चाहता था। परिजनों का आरोप है कि आयोजकों ने उसे उकसाया और जरूरी सुरक्षा के बिना उसे मंच पर उतार दिया।
प्रशासन की चेतावनी – बिना अनुमति और सुरक्षा उपायों के कार्यक्रम पर होगी सख्ती!
घटना के बाद उज्जैन जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अब किसी भी सार्वजनिक आयोजन में आग से जुड़े करतब बिना अनुमति और सुरक्षा उपायों के नहीं किए जा सकेंगे। प्रशासन ने आयोजकों को नोटिस भेजा है और जांच शुरू कर दी गई है कि कैसे बिना फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस की मौजूदगी के ऐसा कार्यक्रम किया गया।
एसपी उज्जैन ने बयान दिया है कि “आग से जुड़ी किसी भी गतिविधि के लिए पहले से NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेना जरूरी है। यदि यह नहीं लिया गया है तो आयोजकों पर लापरवाही और गैरकानूनी आयोजन का केस दर्ज किया जाएगा।”
उत्सव को उत्सव ही रहने दो, मौत का खेल मत बनाओ!
यह घटना एक बड़ा सबक है – खासकर उनके लिए जो कला और रोमांच के नाम पर जान जोखिम में डालते हैं, और उनके लिए भी जो आयोजक बनकर केवल भीड़ और वाहवाही के पीछे भागते हैं, लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज करते हैं।
समाज को मनोरंजन चाहिए, लेकिन कीमत किसी की जान नहीं होनी चाहिए।
अगली बार जब आप किसी जुलूस, मेले या उत्सव में किसी को आग से खेलते देखें – तो वाहवाही से पहले उसकी सुरक्षा और जिम्मेदारी के बारे में सोचिए।
क्योंकि शोले सिर्फ पर्दे पर अच्छे लगते हैं, असल जिंदगी में नहीं।