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September 10, 2025 5:08 pm

सुकमा में माओवादी दरिंदगी का खौफनाक तांडव- पति की जान मत लो, छोड़ दो उसे.. पूरे गांव के सामने दो ग्रामीणों की निर्मम हत्या!

सुकमा में माओवादी दरिंदगी का खौफनाक तांडव- पति की जान मत लो, छोड़ दो उसे.. पूरे गांव के सामने दो ग्रामीणों की निर्मम हत्या!

Jagdalpur/छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला के केरलापाल थाना क्षेत्र के सिरसिट्टी गांव की रात अचानक खून से सराबोर हो गई। सोमवार रात जब पूरा गांव नींद में डूबा था, तभी जंगल से निकलकर आए 40 से 50 माओवादी बंदूक और कुल्हाड़ी लहराते हुए गांव में घुस पड़े। पलभर में सन्नाटा चीखों में बदल गया। उन्होंने दो ग्रामीणों – पदाम देवेंद्र और पदाम पोज्जा – को पुलिस का मुखबिर बताकर घर से घसीट लिया। परिवार वालों की चीख-पुकार, बच्चों की सिसकियां, बुजुर्ग मां की करुण पुकार… सबकुछ उन निर्दयी माओवादियों के सामने बेअसर हो गया।

पति की जान मत लो…” – पत्नी की करुण पुकार, पर कुल्हाड़ी चली!
घर में जबरन घुसे माओवादी देवेंद्र को घसीटकर बाहर ला रहे थे। उसकी पत्नी रिंकी बच्चों को सीने से लगाए रो-रोकर रहम की भीख मांग रही थी –”पति की जान मत लो, छोड़ दो उसे…”लेकिन महिला माओवादियों ने ही उसे धक्का देकर पीटा और जमीन पर गिरा दिया। मासूम बच्चे चीखते रहे और उनकी आंखों के सामने ही पिता का सिर कुल्हाड़ी से फाड़ दिया गया। खून से लथपथ देवेंद्र वहीं गिर पड़ा।

दूसरी ओर, पोज्जा को रस्सियों से बांधकर गला दबा दिया गया। गांव के लोग डर से कांपते हुए ये खौफनाक मंजर देखते रहे।

बुजुर्ग मां को भी नहीं छोड़ा!
देवेंद्र की मां बेटे को बचाने दौड़ीं तो माओवादियों ने उन्हें भी बंदूक के बट से पीटकर अधमरा कर दिया। गांव के ही एक ग्रामीण माडा को भी बेरहमी से लाठी-डंडों से मारा गया। माओवादियों ने अपने पीछे पर्चे छोड़े, जिनमें लिखा था कि दोनों ग्रामीण पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहे थे।

खौफनाक सफर – खाट पर ढोए गए शव!
वारदात के बाद गांव में मातम पसरा रहा। परिजन चीख-चीखकर यही सवाल कर रहे थे –”हमने आखिर क्या बिगाड़ा था? निर्दोष होते हुए भी घर उजाड़ दिया गया।”

गांव से शव निकालना भी आसान नहीं था। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने देवेंद्र और पोज्जा के शव खाट पर रखकर आधे रास्ते तक पैदल ढोया। बीच में दो नाले आए, जिन्हें पार करने के लिए शवों को तैराकर दूसरी ओर पहुंचाना पड़ा। इसके बाद उन्हें पिकअप वाहन से केरलापाल लाया गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिवारों को सौंपे गए।

बच्चों की आंखों में मौत का खौफ!
देवेंद्र के छोटे-छोटे बच्चे पिता की हत्या का वह मंजर देख रहे थे। उनके मासूम दिल पर यह जख्म कभी नहीं भर पाएगा। रिंकी की आंखों में अब सिर्फ आंसू और सवाल हैं। हर सिसकी यही कहती है – “हमारा कसूर क्या था?”

सुरक्षा बलों की बढ़ती मौजूदगी से बौखलाए नक्सली!
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया –”अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा कैंप खुलने और शांति स्थापित होने से माओवादी बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में वे निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं। सिरसिट्टी में हुई यह दोहरी हत्या उसी की मिसाल है।”

गांव पर छाया खौफ – लोग दहशत में!
सिरसिट्टी गांव अब दहशत के साए में है। हर घर में मातम पसरा है। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे अब रातों को सोने से डर रहे हैं। उन्हें लगता है कि माओवादी कभी भी फिर लौट सकते हैं।

आखिरी सवाल – निर्दोष कब तक मरते रहेंगे?
सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर के जंगलों में माओवादी दशकों से दहशत फैला रहे हैं। सुरक्षा बलों के लगातार अभियान और विकास कार्यों के बावजूद मासूम ग्रामीण अक्सर इस खूनी खेल का शिकार हो जाते हैं।

सिरसिट्टी की यह घटना सिर्फ दो लोगों की हत्या नहीं, बल्कि पूरे गांव की आत्मा पर किया गया जख्म है।
रिंकी की फटी आवाज, बच्चों की मासूम चीखें और मां की लहूलुहान आंखें पूछ रही हैं –
“कब तक निर्दोष गांव वाले इस नक्सली दरिंदगी का शिकार बनते रहेंगे?”

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