चेंच भाजी से बनी फोरेंसिक पाउडर की धमाकेदार खोज:महासमुंद की बेटियों ने लहराया परचम, भारत सरकार ने दिया कॉपीराइट!
Mahasamund /विज्ञान की दुनिया में छत्तीसगढ़ की बेटियों ने एक बार फिर कर दिखाया है। महासमुंद जिला मुख्यालय की निवासी मृणाल विदानी और ओजल चंद्राकर ने फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में ऐसा अनोखा प्रयोग कर दिखाया है, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जाएगा। दोनों छात्राओं ने चेंच भाजी से फोरेंसिक पाउडर तैयार कर भारत सरकार से कॉपीराइट हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल महासमुंद बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय बन गई है।
बेटियों की चमक: जयपुर से महासमुंद तक गूंजा नाम!
जयपुर स्थित विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही मृणाल विदानी और ओजल चंद्राकर का नाम अब राष्ट्रीय पटल पर सुनाई दे रहा है। यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर उमैमा अहमद ने व्हाट्सऐप के जरिए यह खुशखबरी दोनों के परिवारों तक पहुंचाई और ढेरों शुभकामनाएं दीं।
• मृणाल विदानी वर्तमान में मास्टर्स अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। डीएनए और अन्य जटिल विषयों में महारत हासिल कर रही मृणाल पहले भी सुर्खियां बटोर चुकी हैं।
• दो साल पहले इन्हें कोसे के धागे से फोरेंसिक ब्रश बनाने के लिए भारत सरकार से पहला कॉपीराइट मिला था।
• वहीं, ओजल चंद्राकर बैचलर तृतीय वर्ष की छात्रा हैं, जिनका यह पहला बड़ा आविष्कार है।
चेंच भाजी से पाउडर बनाने का कमाल!
साधारण सी दिखने वाली चेंच भाजी, जो गांव-गांव की रसोई में आम सब्जी के रूप में जानी जाती है, अब विज्ञान की प्रयोगशालाओं में भी अपनी पहचान बना चुकी है। इसी पत्तेदार सब्जी से तैयार हुआ यह फोरेंसिक पाउडर अपराध जांच में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।फिंगरप्रिंट से लेकर साक्ष्यों की जांच तक, इस पाउडर की भूमिका बेहद अहम बताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पाउडर महंगे आयातित केमिकल्स का विकल्प बन सकता है।
विज्ञान और नवाचार में अग्रसर छत्तीसगढ़ की बेटियां!
मृणाल और ओजल की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि गांव-कस्बों की बेटियां भी वैश्विक स्तर पर अपना झंडा गाड़ सकती हैं। उनकी यह खोज आने वाले दिनों में फोरेंसिक विभागों के लिए “मेड इन इंडिया” समाधान लेकर आएगी।
नेताओं और समाज का आशीर्वाद!
• इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर महासमुंद से लेकर रायपुर तक बधाइयों की बौछार हो रही है।
• स्टेट वेयरहाउस कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष व पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा, “महासमुंद की बेटियों ने पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है।”
• पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू, वर्तमान सांसद रूपकुमारी चौधरी, विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा, पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा, पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर समेत कई जनप्रतिनिधियों ने शुभकामनाएं दीं।
• प्रेस क्लब रायपुर और महासमुंद परिवार ने भी दोनों होनहार छात्राओं का उत्साह बढ़ाया।
सफलता की मिसाल!
आज जब दुनिया विज्ञान और तकनीक के दम पर आगे बढ़ रही है, तब महासमुंद की इन बेटियों ने यह संदेश दिया है कि नवाचार की कोई सीमा नहीं होती। चेंच भाजी से फोरेंसिक पाउडर तैयार करने का विचार जितना अनोखा है, उतना ही उपयोगी भी।
दोनों बेटियों की भविष्य की उड़ान!
मृणाल और ओजल की यह सफलता केवल कॉपीराइट तक सीमित नहीं रहेगी। आने वाले समय में इनके शोध से प्रेरित होकर अन्य युवा भी फोरेंसिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रयोग करेंगे। साथ ही, यह पाउडर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रौशन कर सकता है।
महासमुंद की मृणाल विदानी और ओजल चंद्राकर की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत, जिज्ञासा और लगन से छोटे-से विचार भी बड़ी क्रांति का कारण बन सकते हैं। चेंच भाजी जैसी साधारण वनस्पति से फोरेंसिक पाउडर तैयार करना आने वाले समय में अपराध जांच की दुनिया में भारत को नई पहचान दिला सकता है।
महासमुंद की यह बेटियां आने वाले कल की प्रेरणा हैं—और उनकी कहानी हर उस छात्र के लिए संदेश है, जो अपने सपनों को साकार करने की राह पर है।