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July 22, 2025 10:42 pm

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ‘शराब सम्राटों’ की गिरफ्तारी से मचा भूचाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हड़कंप!

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ‘शराब सम्राटों’ की गिरफ्तारी से मचा भूचाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हड़कंप!

Raipur/छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र को झकझोर देने वाले बहुचर्चित शराब घोटाले में एक और बड़ा धमाका हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई के बाद अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मोर्चा संभाल लिया है और सोमवार को तीन आरोपियों की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति में फिर से भूचाल ला दिया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय कुमार मिश्रा, उनका भाई मनीष मिश्रा और करीबी अभिषेक सिंह शामिल हैं।

तीनों को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। अब 26 जुलाई तक पूछताछ चलेगी और सूत्रों के अनुसार इस पूछताछ में कई बड़े नामों की नींद उड़ने वाली है।

क्या है शराब घोटाला?

छत्तीसगढ़ में यह घोटाला तब सामने आया जब ईडी ने शराब नीति के नाम पर सरकारी और निजी गठजोड़ की गहरी परतें खोलीं। आरोप है कि राज्य में शराब बिक्री की प्रणाली को एक सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बना दिया गया। अंग्रेजी शराब की ब्रांडिंग, लाइसेंस, सप्लाई और मुनाफे का बड़ा हिस्सा ‘नेक्स्टजेन पावर कंपनी’ और उससे जुड़ी फर्जी कंपनियों के ज़रिये हड़पा गया।

इस पूरे नेटवर्क की जड़ में संजय मिश्रा और मनीष मिश्रा का नाम सामने आया। दोनों ने ‘नेक्स्टजेन पावर कंपनी’ बनाकर FL-10 लाइसेंस के जरिये भारी मात्रा में ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई की। इस दौरान करोड़ों रुपये का लेन-देन, कमीशनखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग की गई। ईओडब्ल्यू की टीम का दावा है कि उनके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि संजय और मनीष मिश्रा इस घोटाले के मास्टरमाइंड रहे हैं।

रिमांड का क्या होगा मकसद?

रायपुर कोर्ट ने जिन तीनों को पांच दिन की रिमांड पर भेजा है, उनसे अब 26 जुलाई तक सघन पूछताछ की जाएगी। ईओडब्ल्यू का मानना है कि इन लोगों के पास न केवल पैसों की हेराफेरी के सबूत हैं, बल्कि उन्होंने कई राजनेताओं और अधिकारियों के लिए कालेधन को सफेद करने का भी काम किया है।इनसे पूछताछ के दौरान डमी कंपनियों, फर्जी लेन-देन, और राजनीतिक संरक्षण से जुड़े और भी नामों का खुलासा हो सकता है।

ईडी की अब तक की जांच में क्या खुला?

18 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रायपुर स्थित पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर छापेमारी की थी। उसके बाद चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया, जो पूर्व सीएम का करीबी माना जाता है।ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि चैतन्य बघेल को इस घोटाले से ₹16.70 करोड़ की प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (POC) प्राप्त हुई थी। उन्होंने इस राशि को अपनी रियल एस्टेट कंपनियों के ज़रिए सफेद करने की कोशिश की थी। नकदी के बदले बैंक एंट्रीज़, नकद भुगतान, और ठेकेदारों को भुगतान जैसे तरीके अपनाकर POC का इस्तेमाल किया गया।

अब तक कौन-कौन फंसा?

इस शराब घोटाले में अब तक कई बड़े नाम सालाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।

  • पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, जो घोटाले के समय विभागीय मंत्री थे, पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
  • कई वरिष्ठ अधिकारी, आबकारी विभाग से लेकर वित्त विभाग तक, जांच के घेरे में हैं।
  • साथ ही कई नामचीन व्यवसायी भी या तो जेल में हैं या जांच के घेरे में।

क्या अब बढ़ेगा राजनीतिक दबाव?

राजनीतिक गलियारों में इस कार्रवाई को लेकर गहरी बेचैनी है। विपक्ष का आरोप है कि इस घोटाले में पूर्ववर्ती सरकार के शीर्ष चेहरे शामिल हैं और अब वक्त आ गया है कि सभी चेहरों को बेनकाब किया जाए। वहीं, कांग्रेस खेमे का कहना है कि यह एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई है जो सत्ताधारी दल द्वारा प्रायोजित की जा रही है।

बहरहाल, ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों की सक्रियता ने यह साफ कर दिया है कि यह मामला अब किसी एक दल तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे रिमांड पर पूछताछ आगे बढ़ेगी, राज्य की राजनीति में कई और विस्फोट हो सकते हैं।

छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला अब सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं रहा, बल्कि यह राज्य की सियासत का भूकंप बनता जा रहा है।हर नई गिरफ्तारी के साथ भ्रष्टाचार का जाल और गहराता जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि ईओडब्ल्यू की रिमांड पूछताछ में कौन-कौन से राजनीतिक और प्रशासनिक चेहरे बेनकाब होते हैं और कितने और ‘नशे के सौदागर’ सामने आते हैं।

•क्या यह घोटाला आने वाले चुनावों की दिशा बदल सकता है?
•क्या छत्तीसगढ़ की जनता को मिलेगा न्याय? 

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