Jashpur”10.18 सेकंड में दौड़ा छत्तीसगढ़ का बिजलिया बेटा! अनिमेष कुजूर ने ग्रीस में लहराया भारत का परचम”
जशपुर/ग्रीस में जब जशपुर की मिट्टी से निकला एक साधारण सा युवक दुनिया की सबसे तेज़ पटरियों पर बिजली बनकर दौड़ता है, तो वो सिर्फ रेस नहीं जीतता — वो इतिहास लिखता है। और कुछ ऐसा ही किया है छत्तीसगढ़ के तेज़तर्रार धावक अनिमेष कुजूर ने, जिन्होंने ग्रीस में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट एवं रिलेज़ मीटिंग में महज 10.18 सेकंड में 100 मीटर की रेस पूरी कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना डाला।
यह सिर्फ एक मीटिंग नहीं थी, यह वह क्षण था जब छत्तीसगढ़ की धरती ने दुनिया को बताया कि यहां की हवाओं में भी रफ्तार बसती है!
“10.18 सेकंड: एक क्षण, जिसने इतिहास बदल दिया”
ग्रीस की ट्रैक पर जैसे ही स्टार्टिंग गन दागी गई, अनिमेष बिजली की रफ्तार से निकले। शुरुआती 30 मीटर में ही उन्होंने बढ़त बना ली और फिर जैसे हर कदम के साथ हवा को मात देने लगे। जब उन्होंने फिनिश लाइन पार की, घड़ी ने जो समय दिखाया — 10.18 सेकंड — वो भारत के एथलेटिक्स इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ चुका था।
इससे पहले कोई भी भारतीय धावक इस समय तक नहीं पहुंच पाया था। यह रिकॉर्ड न सिर्फ अनिमेष की रफ्तार का प्रमाण है, बल्कि उनके अथक परिश्रम, लगन और आत्मविश्वास की भी गवाही देता है।
“जशपुर के जंगलों से ग्रीस की ग्लोरी तक!”
अनिमेष का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। जशपुर जैसे सीमावर्ती और आदिवासी बहुल क्षेत्र से निकलकर अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर परचम लहराना केवल प्रतिभा से नहीं, बल्कि अभूतपूर्व जिद और जुनून से ही संभव है।
एक वक्त था जब उनके पास दौड़ने के लिए न spikes थे, न synthetic track। लेकिन उनके सपनों की गति को कोई रोक नहीं पाया। आज वही अनिमेष उस मिट्टी का गौरव बन गए हैं, जिसकी गंध उनके रोम-रोम में बसी है।
“200 मीटर में भी रचा इतिहास, दोहरी खुशी का जश्न!”
100 मीटर में रिकॉर्ड बनाने से पहले भी अनिमेष ने 200 मीटर रेस में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया था। यानी यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने देश को गौरवान्वित किया हो। उनके दोनों रिकॉर्ड यह साबित करते हैं कि वे केवल संयोग से नहीं, बल्कि अपनी योग्यता और तैयारी से इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
अब भारत को उनसे ओलंपिक और वर्ल्ड चैम्पियनशिप जैसे बड़े मंचों पर भी मेडल की उम्मीद है।
“छत्तीसगढ़ में हर्षोल्लास की लहर, अनिमेष बना प्रेरणा”
उनकी इस उपलब्धि से पूरा छत्तीसगढ़ गर्व से सराबोर है। मुख्यमंत्री, खेल मंत्री, जनप्रतिनिधियों, कोचों, स्कूलों, और ग्रामीणों ने इस खबर को सुनते ही बधाईयों की झड़ी लगा दी। सोशल मीडिया पर भी अनिमेष कुजूर ट्रेंड करने लगे।
जशपुर के लोग जिनके साथ उन्होंने स्कूल में खेला, खेतों में दौड़ा, अब उन्हें टीवी पर देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। गाँव के बुजुर्गों का कहना है —
“हमारे अनिमेष ने सच में रफ्तार को हराया है।”
“भारत का उज्ज्वल भविष्य – ट्रैक पर चमकता सितारा”
भारत में ट्रैक एंड फील्ड खेलों में वर्षों से एक खालीपन महसूस किया जा रहा था। लेकिन अब अनिमेष जैसे युवा खिलाड़ी उम्मीद की नई किरण बनकर उभरे हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि मेहनत और सही मार्गदर्शन हो तो छोटे शहरों और गांवों से भी विश्व स्तर के खिलाड़ी निकल सकते हैं।
उनकी इस जीत के बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ भी अब उन्हें विशेष प्रशिक्षण देने की योजना बना रहा है, ताकि 2028 के ओलंपिक में भारत को ट्रैक इवेंट्स में भी पदक मिल सके।
“अनिमेष के नाम संदेश – पूरा भारत तुम्हारे साथ है!”
जब कोई खिलाड़ी मैदान में उतरता है, तो वह अकेला नहीं होता। उसके साथ होता है उसका परिवार, उसका समाज, उसकी मिट्टी और उसकी उम्मीदें। अनिमेष ने इन सबका कर्ज़ अपनी रफ्तार से चुकाया है।
छत्तीसगढ़ के एक साधारण परिवार से निकला यह असाधारण युवक आज पूरे देश का हीरो बन चुका है। उनकी यह सफलता आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है —
“यदि सपने सच्चे हैं और इरादे मजबूत, तो रफ्तार आपकी मुट्ठी में हो सकती है।”
“रफ्तार की नई परिभाषा – अनिमेष कुजूर”
अब जब भारत दुनिया के हर मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है — चाहे चंद्रयान हो या चैंपियन्स ट्रॉफी — अब खेल के मैदान में भी ऐसे अनिमेष सामने आ रहे हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को बुलंदियों पर पहुंचा रहे हैं।
उनकी जीत सिर्फ एक धावक की जीत नहीं, बल्कि एक सोच की जीत है — ‘संघर्ष करो, बढ़ो, और इतिहास रचो।’
तो याद रखिए यह नाम – अनिमेष कुजूर।
क्योंकि अब भारत की रफ्तार को पहचान मिल चुकी है — और वह रफ्तार, छत्तीसगढ़ से निकली है।