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September 10, 2025 6:09 pm

 CG Suspend-“शिक्षा की पवित्रता पर चोट: शिक्षा की गरिमा को किया शर्मसार”,,,,,,प्रधानपाठक सस्पेंड—विद्यालय में मदिरा पान का सनसनीखेज मामला”

 Raipur/बालोद छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। बालोद जिले के डौण्डी विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला चिपरा के प्रधानपाठक सरजूराम ठाकुर को स्कूल परिसर में शराब का सेवन करते रंगे हाथों पकड़ा गया है। यह घटना न केवल बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के साथ एक गंभीर खिलवाड़ है, बल्कि गुरु-शिष्य की पवित्र परंपरा पर भी गहरा धब्बा है।

प्रधानपाठक का नशे में धुत्त चेहरा उजागर—बालोद जिला का विद्यालय बना शराबखाना, शिक्षा विभाग द्वारा इस शर्मनाक कृत्य की जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। जिला शिक्षा अधिकारी  पी.सी. मरकले ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बिना देर किए प्रधानपाठक ठाकुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निर्णय विभागीय गरिमा और सार्वजनिक आचरण की रक्षा के लिए लिया गया, जिससे स्पष्ट संदेश जाए कि शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में किसी भी प्रकार की लापरवाही और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 क्या है पूरा मामला?

दिनांक 24 जून 2025 को जब विद्यालय में पढ़ाई चल रही थी, तभी कुछ ग्रामीणों ने देखा कि विद्यालय परिसर से शराब जैसी गंध आ रही है। उन्होंने जब कक्ष की ओर झांका, तो दंग रह गए—प्रधानपाठक सरजूराम ठाकुर, जो बच्चों के भविष्य को संवारने का दायित्व लिए बैठे थे, खुद शराब के नशे में मदहोश पाए गए। न सिर्फ शराब को स्प्राइट की बोतल में भर कर टेबल पर रखे थे, स्कूल में बच्चों की कक्षा की मर्यादा को तार-तार करता यह दृश्य मानो शिक्षा की आत्मा पर कुठाराघात था।

जांच में क्या पाया गया?

मामले की सूचना मिलते ही विकासखंड शिक्षा अधिकारी, डौण्डी ने तुरंत विद्यालय का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट तैयार की। जांच में पाया गया कि सरजूराम ठाकुर का आचरण न केवल घोर अनुशासनहीनता का परिचायक है, बल्कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के उपनियम (1), (2) एवं (3) का स्पष्ट उल्लंघन किया है।

https://jantakitakat.com/2025/06/18/cg-big-breaking-कलेक्टर-का-बड़ा-प्रशासन/

यह व्यवहार शिक्षक जैसे गरिमामय पद की गरिमा को कलंकित करने वाला है और इसे विभाग ने ‘गंभीर कदाचार’ की श्रेणी में रखा। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 9(1)(क) के अंतर्गत यह निलंबन आदेश जारी किया गया।

निलंबन की शर्तें और प्रभाव:

•प्रधान पाठक सरजूराम ठाकुर को तत्काल प्रभाव से पद से हटाकर निलंबित किया गया है।

• निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी, डौण्डी, जिला बालोद निर्धारित किया गया है।

• इस अवधि में वे केवल जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन किसी भी प्रशासनिक या शैक्षणिक कार्य में संलग्न नहीं रहेंगे।

शिक्षा विभाग सख्त—’शून्य सहिष्णुता’ नीति पर अमल:
बालोद जिला के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विद्यालय को नैतिकता, अनुशासन और मूल्य शिक्षा का मंदिर माना जाता है। यहां यदि शिक्षक ही मर्यादा को तोड़ें, तो भविष्य अधर में लटक जाता है। इसीलिए विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इसे एक नज़ीर के रूप में प्रस्तुत किया है।

जिला शिक्षा अधिकारी पी.सी. मरकले ने कहा:- “शिक्षकों से समाज की उम्मीदें सबसे ऊँची होती हैं। बच्चों का चरित्र निर्माण जिनके हाथ में हो, वे यदि खुद नैतिकता से भटक जाएं, तो माफ करना संभव नहीं। यह विभागीय और सामाजिक अपराध है।”

अभिभावकों में आक्रोश, ग्रामीणों की मांग—पद से बर्खास्त हो आरोपी शिक्षक:

इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। चिपरा गांव के सरपंच और पालक समिति के सदस्यों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और मांग की है कि ऐसे शिक्षकों को सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि नौकरी से बर्खास्त किया जाए ताकि आने वाले समय में कोई शिक्षक इस तरह की गलती करने से पहले सौ बार सोचे।

यह मामला महज एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है, जहां ‘गुरु’ जैसे पवित्र पद पर बैठा व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारियों को शराब की बोतल में डुबो रहा है।

अब देखना यह होगा कि विभागीय जांच के बाद प्रधान पाठक सरजूराम ठाकुर के खिलाफ क्या अंतिम निर्णय लिया जाता है, लेकिन फिलहाल शिक्षा विभाग ने यह संकेत दे दिया है कि शिक्षा के मंदिर को अपवित्र करने वालों को अब कोई बख्शेगा नहीं।

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