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September 10, 2025 8:46 pm

CG-मेकाहारा में पत्रकारों पर बाउंसरों का हमला—’सच’ दिखाने पर बाउंसरों ने कियाअमानवीय कृत,,,, सफाई ठेकेदार की करतूतें उजागर करने पहुंचे पत्रकार बने शिकार!

CG-मेकाहारा में पत्रकारों पर बाउंसरों का हमला—’सच’ दिखाने पर बाउंसरों ने कियाअमानवीय कृत,,,, सफाई ठेकेदार की करतूतें उजागर करने पहुंचे पत्रकार बने शिकार!

रायपुर/राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय (मेकाहारा) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। इस बार माजरा पत्रकारों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार का है। यह शर्मनाक घटना 26 मई को अस्पताल परिसर में उस समय घटी, जब कुछ पत्रकार मेकाहारा में चल रहे सफाई और सुरक्षा व्यवस्था में अनियमितताओं की पड़ताल करने पहुंचे थे। कथित रूप से ठेका कंपनी ‘काल मी सर्विस’ के कर्मचारियों और बाउंसरों ने पत्रकारों पर हमला कर दिया।

रायपुर मेकाहारा अस्पताल में हुई इस घटना के बाद पूरे राज्य में पत्रकार संगठनों और सामाजिक संस्थाओं में रोष फैल गया है। वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या मारपीट के पीछे छुपा बड़ा षड्यंत्र है?

रायपुर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के संरक्षक ओ.पी. शर्मा ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि विगत 8–10 वर्षों से सफाई एवं सुरक्षा का ठेका ‘काल मी सर्विस’ के पास है, जो समय-समय पर नाम बदलकर अस्पतालों में एकतरफा कब्जा जमाए बैठी है। इस कंपनी द्वारा शून्य प्रतिशत प्रॉफिट के नाम पर टेंडर तो लिया जाता है, लेकिन इसके बाद कर्मचारियों की संख्या में हेरफेर कर, फर्जी अटेंडेंस लगाकर लाखों रुपये की सरकारी राशि हड़पी जा रही है।

ओ.पी. शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि कर्मचारी महिलाओं के साथ मानसिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण किया जाता है। कई बार गार्ड रूम को शराबखोरी का अड्डा बना दिया जाता है। यहां तक कि सुपरवाइजर देव बिसेन, जिस पर अश्लील वीडियो बनाने और महिला सफाईकर्मियों से दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप हैं, तीन बार जेल जा चुका है, फिर भी वह बतौर सुपरवाइजर पद पर कार्यरत है।

पत्रकारों पर हमला: ‘सच दिखाना गुनाह बन गया’
जानकारी के अनुसार, पत्रकारों की टीम ठेकेदारी व्यवस्था की पड़ताल कर रही थी और उन्होंने कुछ संवेदनशील मुद्दों पर प्रश्न पूछे थे। इसी बात से नाराज होकर बाउंसरों ने उन्हें घेर लिया और अस्पताल परिसर में ही मारपीट शुरू कर दी। कैमरे तोड़ दिए गए, माइक फेंक दिए गए और पत्रकारों को धमकाया गया कि यदि वे फिर यहां दिखे, तो अंजाम और भी बुरा होगा।

रायपुर मेकाहारा अस्पताल में हुई घटना के तुरंत बाद मौके पर पुलिस बुलाई गई लेकिन आश्चर्यजनक रूप से किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि ठेकेदार और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से यह पूरा तंत्र संचालित हो रहा है।

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने खोला मोर्चा:- 
रायपुर छ.ग.प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने इस घटना को लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है। संघ के महामंत्री एस.पी. देवांगन ने मांग की है कि:

•पत्रकारों पर हमला करने वाले सभी बाउंसरों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।

 

काल मी सर्विस’ का मेकाहारा‘ का मेकाहारा सहित राज्य के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों से तत्काल ठेका समाप्त किया जाए।

•सफाई कार्यों का जिम्मा महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा जाए जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

•विगत वर्षों में ठेके के तहत हुई नियुक्तियों और पैसों के लेन-देन की उच्चस्तरीय जांच की जाए।

•सफाई कर्मचारियों से ड्रेस के नाम पर 10-10 हजार वसूले गए पैसे की भी जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।

रायपुर छत्तीसगढ़ में कोविड काल में भी “काल मी सर्विस” की करतूतें  कोविड महामारी के दौरान हुई थी, जब पूरा देश जूझ रहा था, उस समय भी “काल मी सर्विस” की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही है। संघ का आरोप है कि उस दौरान 100 सफाई कर्मचारियों को जबरन हटा दिया गया और उनके स्थान पर 40-40 हजार रुपये लेकर नई भर्तियां की गईं। इसकी शिकायत तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री को भी साक्ष्यों सहित दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

काल’ बन गई काल मी सर्विस: जनता में भय का माहौल?
अब समय आ गया है कि इस कथित ‘काल मी सर्विस’ को जवाबदेह बनाया जाए। संघ का स्पष्ट कहना है कि यदि जल्द ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्यभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे। अस्पताल जैसी संवेदनशील जगहों पर यदि ठेकेदारों की मनमानी और गुंडागर्दी हावी हो जाए, तो आमजन और मरीजों की सुरक्षा का क्या होगा?

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पत्रकारों को प्रताड़ित करना, जनता के ‘अधिकारों की आवाज’ को कुचलने का कुत्सित प्रयास है, जिसे लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकती। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार से अपील की है कि पत्रकारों और कर्मचारियों को न्याय दिलाने हेतु कठोर से कठोर कदम उठाए जाएं।

“अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ असुरक्षित है, तो लोकतंत्र की दीवारें खुद-ब-खुद दरक जाएंगी।”

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