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September 10, 2025 8:50 pm

CG”नींबू-मिर्ची और मौत: अंधविश्वास की आग में जल उठा खरोरा, दो भाइयों ने महिला को पीट-पीटकर मार डाला”

CG”नींबू-मिर्ची और मौत: अंधविश्वास की आग में जल उठा खरोरा, दो भाइयों ने महिला को पीट-पीटकर मार डाला”

रायपुर/ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खरोरा इलाके से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात सामने आई है, जहां अंधविश्वास, जमीन विवाद और आपसी रंजिश के त्रिकोण में एक महिला की बेरहमी से हत्या कर दी गई। दो सगे भाइयों ने मिलकर अपने ही पड़ोस में रहने वाली महिला को पहले डंडे से पीटा और फिर उसके सिर को पत्थर से कुचल दिया। मृत महिला की पहचान पद्मा यादव के रूप में हुई है, जो घर में अकेली रहती थी।

हत्याकांड की सनसनीखेज पड़ताल:- 
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची। घटनास्थल का मुआयना करने पर पुलिस को खून से सना हुआ एक बड़ा पत्थर और एक टूटा हुआ डंडा मिला, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि हत्या बेहद निर्मम तरीके से की गई है। शव को देखने से स्पष्ट था कि महिला के सिर, सीने, और हाथ-पैरों पर गंभीर चोटों के निशान हैं। प्रथम दृष्टया मामला रंजिश और अंधविश्वास से प्रेरित लग रहा था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने पहले महिला को बांस और नीलगिरी की लकड़ियों से बुरी तरह पीटा और जब वह गिर पड़ी, तो एक बड़े पत्थर से उसका सिर कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आसपास के लोगों से पूछताछ में चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

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जमीन विवाद और नींबू-मिर्ची से उपजा शक:- 
खरोरा की इस घटना से स्थानीय लोगों और पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि पद्मा यादव का अपने पड़ोसी राजू यादव और जीवन यादव से लंबे समय से विवाद चल रहा था। जमीन को लेकर दोनों पक्षों में आए दिन झगड़े होते थे। लेकिन इस हत्याकांड की सबसे हैरान करने वाली वजह यह रही कि दोनों भाइयों को शक था कि पद्मा किसी तरह की टोनही (जादू-टोना करने वाली) है और उनके परिवार पर काला जादू कर रही है।

राजू और जीवन की पत्नियों के गर्भपात को लेकर दोनों भाइयों को शक था कि पद्मा द्वारा नींबू-मिर्ची फेंकने की वजह से यह अनहोनी हुई। गांव में फैली अफवाहों ने इस शक को हवा दी और अंततः यह शक एक जघन्य अपराध में तब्दील हो गया।

गांव में फैला भय और सन्नाटा:-

 खरोरा की इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। पद्मा यादव अकेली रहती थीं और ग्रामीणों के अनुसार, वह सीधी-सादी महिला थीं। हालांकि, विवादों में रहने के कारण कई लोग उनसे दूरी बनाकर रखते थे। हत्या के बाद ग्रामीणों में यह चर्चा भी है कि अगर समय रहते पुलिस को जानकारी दी जाती, तो शायद इस हत्याकांड को रोका जा सकता था

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पुलिस की त्वरित कार्रवाई, दोनों आरोपी गिरफ्तार
जैसे ही घटना की सूचना मिली, पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए तत्काल आरोपियों की तलाश शुरू की। कुछ ही घंटों के भीतर दोनों आरोपी भाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उनके खिलाफ हत्या और अंधविश्वास फैलाने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

वही पुलिस अधीक्षक का कहना:- अंधविश्वास बना हत्या की वजह कीर्तन राठौर (एएसपी ग्रामीण) ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया!

“पद्मा यादव की हत्या बेहद नृशंस तरीके से की गई है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि जमीन विवाद के साथ-साथ अंधविश्वास और काला जादू के शक के चलते यह वारदात की गई है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की गहराई से जांच की जा रही है।”

अंधविश्वास की आग में झुलसती जिंदगी:- 

खरोरा का यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि किस तरह अंधविश्वास और झूठे शक किसी की जान ले सकते हैं। नींबू-मिर्ची, टोनही, काला जादू जैसे अंधविश्वासों को जड़ से उखाड़ फेंकना अब समय की मांग है। आज जब विज्ञान और तकनीक चांद और मंगल की बात कर रहे हैं, वहीं समाज के कुछ हिस्से अब भी अंधविश्वास के अंधे कुएं में डूबे हैं।

सरकार और प्रशासन पर उठते सवाल:- 
खरोरा की इस घटना ने प्रशासन और समाज को आईना दिखा दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या गांवों में अंधविश्वास को रोकने के लिए प्रशासन ने पर्याप्त जागरूकता फैलाई है? क्या ऐसी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं, जिन्हें जादू-टोना करने वाली कहकर निशाना बनाया जाता है?

न्याय की उम्मीद और सामाजिक बदलाव की जरूरत
पद्मा यादव की मौत केवल एक महिला की मौत नहीं है, यह उस सामाजिक सोच की हार है जो आज भी स्त्रियों को संदेह की निगाह से देखती है। अब जरूरत है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर सशक्त पहल करें।

खरोरा की यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि अंधविश्वास के खिलाफ एक चेतावनी है। जब तक शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक सुधार की लौ हर गांव-हर घर तक नहीं पहुंचेगी, तब तक पद्मा जैसी महिलाओं की कुर्बानियां यूं ही होती रहेंगी।

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