CG-बलरामपुर में बुलडोज़र की गर्जना:”जंगल की पुकार पर चला बुलडोजर,,,,,,, चुमरा बीट में वन भूमि के अतिक्रमणकारियों पर कहर!”
बलरामपुर/छत्तीसगढ़ के जंगल की खामोशी को जब इंसानों की भूख लीलने लगे, तब सरकार को भी गरजना पड़ता है। और इस बार गरजा है बलरामपुर के वन विभाग का बुलडोजर, जो चला है चुमरा बीट के जंगलों में फैले अतिक्रमणकारियों के अवैध निर्माणों पर। बलरामपुर जिले के कक्ष क्रमांक P3461 में वर्षों से पसरे अतिक्रमण के खिलाफ वन विभाग ने ऐसी निर्णायक कार्यवाही की, जिसने इलाके में खलबली मचा दी है।
जंगल नहीं, अब कोई चारागाह नहीं!
छत्तीसगढ़ सरकार की सुशासन नीति के तहत यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जंगलों की जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार की मंशा है कि वन्य जीवों के आश्रय, पर्यावरणीय संतुलन और आदिवासी जीवन के आधार स्तंभ वन क्षेत्र को किसी भी कीमत पर बचाया जाए।
चेतावनी थी, समय दिया गया, पर नहीं माने…
बलरामपुर जिला के चुमरा बीट अंतर्गत कक्ष क्र. P3461 की भूमि पर 11 अतिक्रमणकारियों ने वर्षों से अवैध निर्माण कर रखा था। वन विभाग ने पहले उन्हें नोटिस जारी किया, समय दिया, और चेताया कि वे स्वयं ही कब्जा हटाएं। मगर अतिक्रमणकारियों ने इसे हल्के में लिया। शायद वे भूल गए थे कि जंगल की भी एक आत्मा होती है, जो अन्याय को चुपचाप नहीं सहती। और वन विभाग के नोटिसों को अतिक्रमण करियों ने अनदेखा किया जिसका नतीजा उनको भोगना पड़ा चला प्रशासनिक बुजडोजर।
और फिर चला बुलडोज़र!
सप्ताह की सुबह जब सूरज अपनी किरणें जंगल के पत्तों पर बिखेर रहा था, उसी समय वन विभाग की विशेष टीम, पुलिस बल के साथ, चुमरा बीट पहुंची। देखते ही देखते अवैध झोपड़ियों, टीन शेड्स और लकड़ी के बने अस्थाई मकानों पर बुलडोजर गरज उठा। लोगों ने विरोध किया, मगर कानून का डंडा उनके अवैध तंबुओं से कहीं ज़्यादा मजबूत निकला।
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बलरामपुर जिला के 11 अतिक्रमणकारियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई जिन 11 लोगों ने जंगल की जमीन पर अपना अधिपत्य जमाया था, उनके खिलाफ वन अपराध अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनके खिलाफ न केवल दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है, बल्कि नुकसान की भरपाई हेतु वसूली भी की जाएगी। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई एक चेतावनी है—जो जंगलों से छेड़छाड़ करेगा, वह खुद मिट जाएगा।
वन विभाग का साफ संदेश: जंगल किसी की बपौती नहीं!
वनमंडल अधिकारी बलरामपुर ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे जंगल हमारी धरोहर हैं। इन्हें किसी के स्वार्थ की भेंट नहीं चढ़ने देंगे। सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है—वन भूमि की रक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा और कानून का पालन। जो भी अतिक्रमण करेगा, उसे न बख्शा जाएगा और न ही कोई रियायत दी जाएगी।”
स्थानीय लोगों में मिला-जुला असर:बुलडोजर की इस कार्यवाही के बाद क्षेत्र के लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कुछ लोगों ने वन विभाग के साहसी कदम की प्रशंसा की, जबकि कुछ ने इसे मानवीय दृष्टिकोण से कठोर बताया। पर सच्चाई यही है कि यदि जंगल बचे रहेंगे, तभी जीवन का संतुलन भी बना रहेगा।

सरकार की बड़ी पहल—हरियाली की रक्षा, विकास की नींव:- छत्तीसगढ़ सरकार का स्पष्ट एजेंडा है: विकास हो, मगर प्रकृति के साथ। अतिक्रमण हटाने के बाद इस क्षेत्र में पुनः वनीकरण की योजना है। अधिकारियों के अनुसार, “जहां कभी अतिक्रमण था, वहां अब फिर से हरियाली लौटेगी।” इसके लिए विशेष वनरोपण अभियान जुलाई से आरंभ किया जाएगा।
बुलडोज़र की गर्जना—जंगलों की भाषा में न्याय:-
चुमरा बीट की इस कार्रवाई ने पूरे बलरामपुर जिले को सख्त संदेश दिया है—अब कोई माफिया, कोई स्वार्थी तत्व, जंगल की जमीन पर कब्जा नहीं कर पाएगा। बुलडोजर की वह गड़गड़ाहट, जिसे उस दिन जंगल ने सुना, वह सिर्फ मशीन की आवाज़ नहीं थी, वह न्याय की पुकार थी।

कुछ दिनों पहले महासमुन्द जिला के बागबाहरा विकासखंड में भी वन विभाग की अतिक्रमण की कार्यवाही कियां गया था वन विभाग के मंत्री का स्पष्ट आदेश है कि वन भूमि किए गए अवैध कब्जों वाले के ऊपर सख्त कार्यवाही किया जाएगा
संदेश, एक नयी शुरुआत:-
यह सिर्फ एक अतिक्रमण हटाने की खबर नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है—जंगल बचाओ आंदोलन, जो अब सरकारी स्तर पर भी मजबूती से खड़ा हो रहा है। वन विभाग की यह पहल आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण बनेगी।
क्योंकि जब जंगल रोते हैं, तब इंसान भी नहीं हँसते। और जब जंगल मुस्कुराते हैं, तब जीवन खुद खिल उठता है