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September 10, 2025 8:51 pm

“25 लाख का पेट्रोल कांड:कलेक्टर उइके का चाबुक,,,,,,निलंबन की गूंज से गरियाबंद में मचा हड़कंप,,,,,,विजेंद्र ध्रुव सस्पेंड!

“25 लाख का पेट्रोल कांड:कलेक्टर उइके का चाबुक,,,,,,निलंबन की गूंज से गरियाबंद में मचा हड़कंप,,,,,,विजेंद्र ध्रुव सस्पेंड!

गरियाबंद/ जिले में 25 लाख का पेट्रोल कांड से प्रशासनिक गलियारों में उस समय सनसनी फैल गई जब कलेक्टर  बी.एस.उइके ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 श्री विजेंद्र कुमार ध्रुव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। आरोप है कि श्री ध्रुव ने सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए पेट्रोल-डीजल मद में 25 लाख रुपये के अवैध भुगतान कराए।

सुनिए 25 लाख का पेट्रोल कांड के घोटाले की पटकथा…!
गरियाबंद के जय लक्ष्मी पेट्रोल पंप से वाहन क्रमांक CG-02-6140 सुमो वाहन के नाम पर लगातार ऐसे बिल प्रस्तुत किए गए, जो या तो संदिग्ध थे या फिर पूरी तरह फर्जी। जांच में पता चला कि इन बिलों को बिना उचित सत्यापन के भुगतान हेतु अग्रेषित किया गया।

शिकायत मिलने के बाद जब पूरे मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

जांच में हुआ खुलासा:- स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दस्तावेजों और कर्मचारियों के कथनों की गहराई से जांच की। इस प्रक्रिया में यह प्रमाणित हो गया कि पेट्रोल-डीजल मद में जो भुगतान हुए हैं, वे न सिर्फ अनियमित थे बल्कि जानबूझकर की गई वित्तीय लापरवाही का हिस्सा थे।

विजेंद्र ध्रुव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। उनके द्वारा दिनांक 17 जनवरी 2025 को दिए गए कथन और 20 मार्च 2025 के स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने पदीय दायित्वों का उल्लंघन किया है।

कलेक्टर ने दिखाई प्रशासनिक दृढ़ता:- कलेक्टर  बी.एस. उइके ने मामले को गंभीरता से लेते हुए, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम-09 के अंतर्गत  ध्रुव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।

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उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने वित्तीय अनियमितता करते हुए शासकीय सेवा के प्रति निष्ठा नहीं दिखाई और गंभीर कदाचार में संलिप्त रहे, जो कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के विपरीत है।

निलंबन के बाद की नियुक्ति और सुविधाएं:-निलंबन के दौरान श्री ध्रुव का मुख्यालय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा निर्धारित किया गया है। इस अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, परंतु अब वे अपने मूल पद पर कार्य नहीं कर पाएंगे।

प्रशासनिक गलियारों में हलचल:- इस कार्रवाई के बाद सीएमएचओ कार्यालय में हड़कंप मच गया है। कई अन्य मामलों की भी अब जांच की आशंका जताई जा रही है। कर्मचारी वर्ग में भी डर और असमंजस का माहौल बना हुआ है।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

सूत्रों की मानें तो यह मामला अकेला नहीं है। ऐसी और भी शिकायतें विभिन्न विभागों में लंबित हैं जिनकी जल्द ही परतें खुल सकती हैं। कलेक्टर की इस कार्यवाही को एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है — कि अब भ्रष्टाचार पर चुप्पी नहीं, बल्कि कार्यवाही की जाएगी।

जनता की प्रतिक्रिया:- स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय की जमकर चर्चा हो रही है। कुछ यूज़र्स ने तो यह तक लिखा, “अब गरियाबंद में नहीं चलेगा भ्रष्ट्राचार का तेल!”

अंत में…विजेंद्र ध्रुव की निलंबन की यह कहानी न केवल प्रशासनिक अनुशासन का प्रतीक बन गई है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि सरकारी खजाने से खिलवाड़ करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।

क्या यह मामला अब केवल निलंबन का नहीं? बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी और जवाबदेही की बुनियाद को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है!

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