“सोंढी जंगल से उठी तस्करी की चिंगारी ने खोली ‘हरियाली के रखवालों’ की पोल! डिप्टी रेंजर सूरज मिश्रा कटघरे में, CCF प्रभात मिश्रा पर भी सवालों की बौछार”
बिलासपुर/क्या सोंढी जंगल में कीमती इमारती लकड़ियों की तस्करी के पीछे खुद वन विभाग के ही कुछ अधिकारी हैं? क्या एक डिप्टी रेंजर का रसूख इतना प्रभावी हो सकता है कि वह वरिष्ठ अधिकारियों को भी मोहरे की तरह इस्तेमाल कर ले? हाल ही में सामने आई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोंढी सर्किल के भीतर की जा रही अवैध लकड़ी तस्करी के मामले ने उस वक्त सनसनी फैला दी, जब विभाग की उड़नदस्ता टीम ने सागौन की लकड़ी से लदे एक पिकअप वाहन को सैगोन लकड़ियों के 2 नग दरवाजे और सात पल्ले के साथ पकड़ा। प्रारंभिक जांच में जो नाम सामने आया, वह चौंकाने वाला था—डिप्टी रेंजर सूरज कुमार मिश्रा।
CCF के ‘खास’ रेंजर की करतूत?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक सूरज मिश्रा खुद को CCF प्रभात मिश्रा का रिश्तेदार और उनका बेहद करीबी बताता है। दावा किया जा रहा है कि सूरज मिश्रा को सोढ़ी सर्किल की जिम्मेदारी दिलाने के लिए प्रभात मिश्रा ने न केवल हस्तक्षेप किया, बल्कि पूर्व डिप्टी रेंजर हफिज़ खान को रूटीन अवैध कटाई में फसाकर निलंबित करवाने में भी अहम भूमिका निभाई। बताया जाता है कि CCF ने ही व्यक्तिगत स्तर पर आदेश जारी कर हफिज़ खान को निलंबित और सूरज मिश्रा को पदस्थ किया।
अब जो लकड़ी पकड़ी गई है, उसे लेकर चर्चा है कि यह खेप CCF के किसी करीबी को भेजी जा रही थी, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और मामला पहले पुलिस, फिर उड़नदस्ता के हत्थे चढ़ गया।
जांच को लेकर विभाग की चुप्पी: लीपापोती की आशंका?
हालात तब और संदिग्ध हो गए जब विभाग ने बिलासपुर रेंजर पल्लव नायक की अगुआई में तीन सदस्यीय जांच समिति तो बना दी, लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई। इससे यह आशंका गहराने लगी है कि मामला रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि शीघ्र निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो वे इस विषय पर विभागीय मंत्री से शिकायत करेंगे। वहीं वन्य क्षेत्र में लगातार हो रही अवैध कटाई और तस्करी को लेकर भी रेंजर स्तर के अधिकारियों की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।
पूर्व डिप्टी रेंजर हफिज़ खान का निलंबन भी संदेह के घेरे में:- गौरतलब है कि सूरज मिश्रा की पदस्थापना से ठीक 9 महीने पहले सोढ़ी के तत्कालीन डिप्टी रेंजर हफिज़ खान को CCF प्रभात मिश्रा ने निलंबित किया था। सूत्र बताते हैं कि हफिज़ की बहाली के लिए CCF ने मंत्री के PA ने बाहल न करने का आदेश देना बताया गया साथ ही मुस्लिम होने के कारण चुप रहने कि हिदायत दी गई थी, फिर कुछ दिन के उपरांत मंत्री के PA को समझा बुझाकर बहली किए जाने के एवाज में पांच लाख की मांग की गई थी पर किसी बात के चलते बात नहीं बनी। अब जबकि सूरज मिश्रा खुद तस्करी के आरोपों में फंस चुके हैं, इस पूरी कड़ी को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं—क्या हफिज़ खान को सिर्फ इसलिए हटाया गया ताकि CCF के ‘खास’ आदमी को पदस्थ किया जा सके?
जंगल में जंगलराज: रेंजर पल्लव नायक की भूमिका भी संदिग्ध स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रेंजर पल्लव नायक की नियुक्ति के बाद वन क्षेत्र में अवैध कटाई की घटनाएं बढ़ गई हैं। दुर्भाग्यजनक बात यह है कि वन्य जीवों की सुरक्षा भी अब सवालों के घेरे में है। अधिकारियों पर कार्रवाई तो हुई है, लेकिन रेंजर के खिलाफ विभाग अब भी आंख मूंदे बैठा है।
अब निगाहें विभागीय मंत्री और शासन पर
जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की जांच उच्च स्तरीय स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला भी विभाग की फाइलों में धूल खाता रह जाएगा और तस्करी का यह नेटवर्क और भी मजबूत हो जाएगा।
क्या CCF प्रभात मिश्रा और डिप्टी रेंजर सूरज मिश्रा का गठजोड़ जंगल के दोहन का मास्टर प्लान था? या यह केवल एक संयोग है? आने वाली जांच ही इन सवालों का जवाब दे पाएगी।