नई रफ्तार, नया सफर, नई सौगात:8 घंटे में रायपुर से जबलपुर नई इंटरसिटी ट्रेन ने रचा इतिहास !
Raipur/जबलपुर। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लाखों यात्रियों के लिए रविवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब राजधानी रायपुर से जबलपुर के लिए पहली बार इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह ट्रेन अब प्रतिदिन दोनों राज्यों को जोड़ते हुए 350 किलोमीटर की दूरी को मात्र 8 घंटे में पूरा करेगी, और वह भी 10 प्रमुख स्टेशनों के ठहराव के साथ।
सियासत और सफर के इस संगम में जहां एक ओर यात्रियों के चेहरों पर मुस्कान थी, वहीं दूसरी ओर मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रति आभार जताते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय ने इस ट्रेन को “जनता के लिए सौगात” बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल रेल नहीं, विश्वास की पटरी है, जो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के दिलों को जोड़ने जा रही है।”
दो राज्यों की दूरी अब नजदीकी में बदली!
अब तक रायपुर से जबलपुर जाने के लिए यात्रियों को सीमित ट्रेनों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब इस नई इंटरसिटी एक्सप्रेस के आगमन से एक नया विकल्प उनके सामने है। यह ट्रेन न सिर्फ सफर को तेज बनाएगी बल्कि डोंगरगढ़, बालाघाट, नैनपुर जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों को भी मुख्य रेल नेटवर्क से जोड़ देगी।
रेलवे द्वारा जारी टाइम टेबल के मुताबिक:
•रायपुर से जबलपुर: दोपहर 2:45 बजे प्रस्थान,
• जबलपुर आगमन: रात 10:45 बजे,
• वापसी: जबलपुर से सुबह 6:00 बजे, रायपुर आगमन दोपहर 1:50 बजे,
ट्रेन में कुल 15 डिब्बे हैं:
8 सामान्य श्रेणी,
4 कुर्सीयान,
1 वातानुकूलित चेयर कार,
2 गार्ड यान,
10 स्टेशनों पर मिलेगा ठहराव:यह ट्रेन निम्नलिखित स्टेशनों पर रुकेगी:
- रायपुर
- दुर्ग
- राजनांदगांव
- डोंगरगढ़
- गोंदिया
- बालाघाट
- लामटा
- नैनपुर
- मदन महल
- जबलपुर
हर स्टेशन पर स्थानीय यात्रियों की भीड़ ने स्वागत किया, जैसे कोई त्यौहार आ गया हो। विशेष रूप से डोंगरगढ़ स्टेशन पर धार्मिक श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल था।
राजनीति से सेवा की पटरी तक!
इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल और स्थानीय विधायक भी मौजूद रहे। सबने एक स्वर में इस ट्रेन को “विकास की रेल” बताते हुए कहा कि मोदी सरकार “हर गाड़ी में विकास और विश्वास की बोगी जोड़ रही है।”मुख्यमंत्री साय ने कहा, “हमारे पास अब विकल्प है, समय की बचत है और सुरक्षा के साथ आराम भी है। ये ट्रेन उन लोगों के लिए वरदान है जो व्यापार, नौकरी, शिक्षा या तीर्थ यात्रा के लिए जबलपुर आते-जाते हैं।”
रफ्तार नहीं, रिश्तों की रेल!
रायपुर से जबलपुर अब सिर्फ एक ट्रेन की दूरी पर नहीं, बल्कि दो राज्यों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को और मजबूती देने वाली नई रेल कड़ी बन गई है। यह ट्रेन भले ही पटरी पर दौड़ रही हो, लेकिन इसके पहिए जनता के विश्वास से घूमा रहे हैं।
समय भी बचेगा, सुविधा भी मिलेगी!
एक यात्री ने बतया , जो पेशे से व्यापारी हैं, ने बताया, “पहले हमें या तो एक रात पहले निकलना होता था या फिर बस की थकाऊ यात्रा करनी पड़ती थी। अब हम आराम से दोपहर में चढ़ेंगे और रात को जबलपुर में काम निपटा सकेंगे।”
आगे क्या?
रेलवे अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अगर ट्रेन को अच्छा रिस्पॉन्स मिला, तो इसे और भी अपग्रेड किया जा सकता है — जैसे कि वातानुकूलित डिब्बों की संख्या बढ़ाना, कैटरिंग सेवा जोड़ना, और ऑनलाइन रिजर्वेशन में छूट देना।यह ट्रेन सिर्फ लोहे की पटरियों पर नहीं दौड़ती, बल्कि आम आदमी के सपनों, उम्मीदों और जरूरतों को अपनी गति देती है। रायपुर से जबलपुर की यह नई इंटरसिटी सेवा, न केवल दूरी मिटा रही है बल्कि दिलों को भी जोड़ रही है। अब यात्रा सिर्फ मंज़िल तक पहुंचने का जरिया नहीं, बल्कि एक नया अनुभव बन चुका है।
“चलो रेल से नहीं, विकास से चलें!”