/kc edits /

July 24, 2025 7:40 am

[the_ad id='14']

49 बच्चों का भविष्य की नैया बीच मझधार में ,,,,,,,,, 2009 में पारित कानून शिक्षा का अधिकार कानून की उड़ाई जा रही है धज्जियां ?

49 बच्चों का भविष्य की नैया बीच मझधार में,,,,,,

2009 में पारित शिक्षा के अधिकार कानून की उड़ाई जा रही है धज्जियां,,,

महासमुंद जिले के सबसे पुराने अंग्रेजी माध्यम हायर सेकेंडरी स्कूल में राइट टू एजुकेशन (शिक्षा के अधिकार) के तहत पढ़ने वाले 49 बच्चों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। स्कूल प्रबंधन ने छात्र छात्राओं के पालकों को खुले तौर पर कह दिया है कि शासन की योजनाओं का अब वह लाभ नहीं दे सकेंगे। पढ़ाई करानी है तो स्कूल की फीस अदा करनी पड़ेगी। स्कूल प्रबंधन के फरमान से भयभीत पालक अब जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर के दफ्तर के चक्कर लगा रहे है, पर पालकों को कहीं से कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिल पाया है। जिस वजह से पालक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं महासमुंद शहर के ख्याति नाम स्कूल वेडनर मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी हाई स्कूल की जहां 49 छात्र छात्राएं शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पढ़ाई कर रहे हैं। आपको बता दे भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त, 2009 को पारित शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) (right to education act in hindi) बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) को बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के रूप में भी जाना जाता है। महासमुन्द में जिला में 49 छात्रों के पालकों को स्कूल के प्राचार्य ने कह दिया है कि शिक्षा के अधिकार के तहत अब पढ़ाई यहां नहीं कर सकते, पढ़ाई करनी है तो स्कूल की वार्षिक और मासिक फीस चुकानी पड़ेगी। गरीब परिवार के बच्चों के पालकों के पास अब यह यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि बच्चों की इतनी महंगी फीस वह कैसे चुका पाएंगे और अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कैसे करा पाएंगे।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का यह नतीजा है कि किसी को कुछ पता ही नहीं के क्या करना है। शिक्षा विभाग को जब पालकों ने शिकायत की जिस पर अधिकारियों ने अधिक जानकारी के लिए उच्च अधिकारियों को मार्ग दर्शन के लिए पत्र लिख कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली है। शिक्षा विभाग के पास कितने बच्चे शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ाई कर रहे है इसका भी पूरा डेटा नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के पास बच्चों के भविष्य पर बात करने का समय नहीं है। फोन लगाने पर जिला शिक्षा अधिकारी फोन नहीं उठाते है। कभी फोन भी उठा ले तो मीटिंग और दफ्तर के काम में फंसे होने का बहाना करते नजर आते हैं।
वहीं उच्च शिक्षा विभाग ने अब तक जिला शिक्षा विभाग को पत्र का जवाब ही नहीं दिया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के इस व्यवहार से साफ पता चलता है कि उन्हें बच्चों के भविष्य की कितनी चिंता है।

वेडनर मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य देवानंद बाग से मामले में कहा है कि 38 लाख 83 हजार 130 रुपए से की राशि उनकी संस्था को अप्राप्त है। आरटीई का पीछे 2021 से आज तक की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। जिसकी जानकारी लिखित में शिक्षा विभाग को दिया गया है। पर शिक्षा जो आदतन अपनी कुंभकर्णी निद्रा में मस्त है। वेडनर मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल इन परिस्थितियों में बच्चों को हम 8 वीं कक्षा के आगे की शिक्षा मुफ्त में दे पाने में असमर्थ है। स्कूल प्रबंधन ने जिला शिक्षा अधिकारी को बार बार पत्र लिख कर अवगत कराया गया है लेकिन कोई ठोस कदम जिला शिक्षा विभाग ने अधिकारियों द्वारा नहीं उठाया गया है।

Leave a Comment

और पढ़ें

[the_ad_group id="15"]

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें