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September 11, 2025 5:28 am

“वादों की बारिश में उम्मीदों का सूखा! चंदला में वन मंत्री के वचनों ने रचाई मायूसी, सड़क पर खड़े मवेशी दे रहे मौत का न्योता”

“वादों की बारिश में उम्मीदों का सूखा! चंदला में वन मंत्री के वचनों ने रचाई मायूसी, सड़क पर खड़े मवेशी दे रहे मौत का न्योता”

Madhya pradesh/चंदला विधान सभा में जब मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार बनी और चंदला विधानसभा से यशस्वी विधायक को वन मंत्री के पद का गौरव प्राप्त हुआ, तो चंदला के ग्रामीणों ने यह मान लिया कि अब विकास उनके द्वार तक आएगा। वर्षों से उपेक्षित सड़कों पर अब नई उम्मीदें दौड़ने लगी थीं। लेकिन कुछ ही महीनों में यह विश्वास टूट कर बिखर गया। वादों की माला में छिपा छल अब धीरे-धीरे उजागर हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मंत्रीजी के वादों ने तो बहुत रंग दिखाए, लेकिन हकीकत में चंदला की सड़कों पर अब सिर्फ़ जानलेवा मवेशियों का कब्ज़ा है।

सड़कें बनी हैं जानवरों की शरणस्थली, इंसानों के लिए मौत का रास्ता!
चंदला विधानसभा के अंतर्गत आने वाले सड़क किनारे बसे कई गांव – जैसे मुड़ेरी,बसंतपुर तिगैला, बालकौरा, जमरा,कंचनपुर, क्षत्तेकुआ,नाहरपुर तिगैला, सिंहपुर, खडेहा तिगैला, महुई, सरबई– इन दिनों ऐसे संकट से जूझ रहे हैं जो सीधे जीवन-मरण का प्रश्न बन चुका है। सड़कों पर दर्जनों की संख्या में बैठे आवारा मवेशी, बैल, सांड और गायें, लगातार दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं।

बीते दो महीनों में सड़कों पर जानवरों की वजह से हुई दुर्घटनाओं में ग्रामीणों के साथ साथ जानवर और लगभग सैकड़ों से अधिक लोग घायल हैं। सूत्रों की माने तो यह आंकड़ा केवल वह है जो थानों में दर्ज हुआ, वास्तविक संख्या कहीं अधिक है।

वादों की महफिल में झूठ के फुलझड़ी!
चुनाव के समय यशस्वी विधायक एवं वर्तमान वन मंत्री ने खुले मंचों से ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि चंदला विधानसभा को आदर्श क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। “हर सड़क बनेगी मॉडल रोड, हर गांव होगा सुरक्षित, हर पशु को मिलेगा आश्रय” – ये वही शब्द थे जो हर गांव की दीवारों पर पोस्टर बनकर लटके थे।

लेकिन अब वही ग्रामीण पूछ रहे हैं – “क्या यही है वह आदर्श चंदला? क्या यही है मंत्रीजी का ‘हरित और सुरक्षित’ सपना?”

मोटरसाइकिल में कार में जाते समय विधानसभा के ग्रामीणों को इतनी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है कि रास्ते में जाने से लोगों सामने अचानक जानवर सामने आ जाता है और टक्कर लगने से की कई लोग घायल हो जा रहे है

चुप्पी का शासन, प्रशासन का मौन!
हर हादसे के बाद ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को सूचना दी जाती है, ज्ञापन सौंपे जाते हैं, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं होती। ना तो नगर पंचायत से पशु पकड़ने की गाड़ी आती है, ना ही कोई स्थायी समाधान। चंदला नगर पंचायत के सी.एम.ओ. सिर्फ मूर्कबधित बनकर बैठे है वह शासन को बदनाम करने का काम कर रहे है वहीं वनमंत्री कार्यालय से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती।

गोशालाएं सिर्फ़ योजना में, ज़मीन पर सिर्फ़ जानवर
कुछ विभागो में योजनाओं में कहा गया था कि चंदला में 5 नई गोशालाएं बनाई जाएंगी, जिससे आवारा पशुओं को आश्रय मिल सके। लेकिन स्थिति यह है कि एक भी गोशाला आज तक पूर्ण रूप से कार्यरत नहीं है। जो एकाध बनी भी है, वह या तो बिना चारे के बंद है या फिर उसमें जगह नहीं। जबकि चंदला के कुछ पशु सेवकों द्वारा लाखों रुपए की वर्षों से चारे की सतत् व्यवस्था की जा रही है।लेकिन उनके यह प्रयासों को सरकार दरकिनार करती आ रही है और तो और वह पशु सेवकों आज तक बड़े मंचों में सम्मान तक नहीं किया गया।

ग्राम पंचायतें हताश, जनप्रतिनिधि निराश!
चंदला क्षेत्र के ग्रामीण कहते हैं – “हम हर हफ्ते कोई न कोई ज्ञापन भेजते हैं, लेकिन मंत्रीजी का एक भी प्रतिनिधि नहीं आता। क्या हम इसी भरोसे वोट देते हैं?”

जवाब मांग रहे हैं युवा, खामोश हैं विधायक!
चंदला के युवा अब संगठित होकर इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतर आने को मजबूर हैं।आने वाले समय में अगर समाधान नहीं होगा तो विधायक जी ‘जवाब दो, समाधान दो’ के नारों के साथ उतरेंगे उन्होंने ग्रामीणों ने कहा हैं कि – “मंत्रीजी ने हमसे वादा किया था कि चंदला विधानसभा विकास का मॉडल बनेगा। लेकिन आज जानवरों की वजह से हम घर से निकलने से डरते हैं।”

राजनीतिक आक्रमण और विपक्ष की घेराबंदी!
विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लेकर स्थानीय विधायक को घेरना शुरू कर दिया है। “वन मंत्री जी का दायित्व केवल वन्यजीवों की बात करना नहीं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। चंदला की जनता ने उन्हें जिताया, पर बदले में उन्हें क्या मिला? सड़क पर मवेशी और मवेशियों से मौत!”

ग्रामीणों की चार प्रमुख मांगें –

• हर पंचायत में पशु पकड़ने की स्थायी व्यवस्था हो।

• घोषित गोशालाओं को शीघ्र निर्माण और संचालन में लाया जाए।

• हर दुर्घटना पर त्वरित मुआवज़ा और स्वास्थ्य सुविधा दी जाए।

• वन मंत्री स्वयं चंदला का दौरा कर स्थिति का निरीक्षण करें।

अब आर-पार की लड़ाई का एलान!
अगर अगस्त की शुरुआत तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो स्थानीय ग्रामीणों ने मुख्य मंत्री कार्यालय की घेराव की चेतावनी दी है। महिलाएं, बुजुर्ग और युवा – सभी मिलकर यह आंदोलन करेंगे।

अंतिम पंक्तियाँ:
वो दिन दूर नहीं जब चंदला के सन्नाटे में गूंज उठेगी एक आक्रोश की आवाज़ –
“या तो वादे निभाओ, या पद छोड़ो!”
अब समय सरकार के पास है – या तो चंदला की जनता को जवाब दे, या फिर चुनावों में जनता अपना जवाब देगी।

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