वनों के रक्षक नहीं बचा पायें अपनी वन संपदा लौ की लपटों में सैकड़ों लकड़ी के चट्ठे जलकर हुऐं खाक ! लाखों की संपदा को किया आग की लौ के हवाले ?
जिम्मेदार कौन ?
मनेन्द्रगढ़ /वनमंडल इन दिनों भीषण आग की चपेट में हैं वनों के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन वन विभाग की घोर लापरवाही ने स्थिति को और बेहद गंभीर बना दिया है। बीते 20 दिनों से जंगलों में आग धधक रही है, सैकड़ों लकड़ियों के चट्टे जलकर राख हो चुके हैं, मगर वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चिर निंद्रा में कुंभ करण की निंद्रा में सोएं हुयें है हमेशा मौके से नदारद रहते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मनेंद्रगढ़ जिला के वनमण्डल कुँवारपुर परिक्षेत्र के मसौरा बीट, विशेषकर कक्ष क्रमांक 1232 और 1233 में जनवरी-फरवरी के महीनों में कूप कटाई के बाद लाखों की लकड़ी को नाप-जोखकर सुरक्षित चट्टों के रूप में रखा गया था, लेकिन विभाग की निष्क्रियता के चलते अब वो चट्टे पूरी तरह से राख में तब्दील हो चुके हैं। जंगलों में आग फैलने की घटनाएं एक-दो बार नहीं बल्कि लगातार हो रही हैं, बावजूद वन विभाग के मुखिया डी.एफ.ओ. अपनी चिर निंद्रा में सोएं हुयें है आपको बताना चाहूंगा परिक्षेत्र रेंजर से लेकर मैदानी अमले तक कोई भी फील्ड में नजर नहीं आता। अधिकारी फील्ड दौरा नहीं करते और कर्मचारी केवल कागजों में उपस्थिति दिखाकर खानापूर्ति कर रहे हैं। इनको सिर्फ मार्च क्लोजिंग दिखती है जो बुकिंग कियें है उसके फर्जी वाउचर रात दिन कर के भरो अपना काम बनता भाड़ में जायें जंगल!आगजनी की घटनाओं की सूचना मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे न केवल लाखों की वन संपदा का नुकसान हुआ है, बल्कि पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंची है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार विभाग को सूचित किया, लेकिन न तो कोई टीम पहुंची और न ही आग बुझाने के प्रयास किया गया। विभाग की यह निष्क्रियता सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है। रिपोर्टिंग केवल कागजों तक सीमित रह गई है, फील्ड में कोई मौजूद नहीं, जिससे सवाल उठता है कि जंगलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन निभाएगा? क्या वन विभाग तब जागेगा जब पूरा जंगल खाक हो जाएगा? वनों की रक्षा करने वाले रक्षक क्या वाकई जिम्मेदारी नहीं निभा रहे है?