“रायपुर में मासूम पर कुत्तों का कहर:डेढ़ साल की बच्ची को नोचा, सिर में गड़ाए दांत – खून से भीगा आंगन, कांप उठे लोग…”!
Raipur/राजधानी रायपुर का बिरगांव इलाका शनिवार रात एक दर्दनाक हादसे का गवाह बना। डेढ़ साल की मासूम अनाया पर आवारा कुत्तों ने ऐसा हमला किया कि पूरा मोहल्ला सन्न रह गया। बच्ची के सिर, चेहरे और शरीर पर गहरे जख्म हो गए। सिर में दांत धंस जाने से वह गंभीर हालत में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। घटना का दृश्य इतना भयावह था कि वहां मौजूद लोग कांप उठे और कुछ तो रो पड़े।
खेलते-खेलते पहुंच गई मौत के मुंह!
शनिवार शाम करीब छह बजे बिरगांव के वार्ड नंबर 29, गायत्री नगर में मजदूर परिवार अपने घर के बाहर बैठा था। उनकी नन्ही बच्ची अनाया मासूमियत से घर के बाहर में खेल रही थी। खेलते-खेलते वह कुछ कदम आगे बढ़ी ही थी कि अचानक झुंड में घूम रहे आवारा कुत्ते उस पर टूट पड़े। पलभर में चीख-पुकार मच गई।
बच्ची के चीखने की आवाज सुनकर मां-बाप और पड़ोसी दौड़े, लेकिन तब तक कुत्ते उसके सिर और चेहरे में दांत गड़ा चुके थे। मोहल्लेवालों ने लाठियां और पत्थर फेंककर कुत्तों को भगाया। खून से लथपथ अनाया को उठाकर तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
“खून से भीग गया मासूम का शरीर, कांप गए लोग”!
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मासूम का सिर और पूरा शरीर खून से भीग गया था। बच्ची रो भी नहीं पा रही थी, बस कराह रही थी। उस दृश्य को देख कर कई लोगों की रूह कांप गई। बच्चे अपने घरों में सहमकर छुप गए और बड़े-बुजुर्गों की आंखें नम हो गईं।
पहले उसे बिरगांव के निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां हालत नाजुक बताकर डॉक्टरों ने डीकेएस अस्पताल रेफर किया। रात होते-होते उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए आंबेडकर अस्पताल भेजा गया।
इलाके में गुस्से की लहर!
घटना के बाद पूरे मोहल्ले में गुस्सा फूट पड़ा। लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों का आतंक लंबे समय से है। रात में दर्जनों कुत्ते झुंड में घूमते हैं और राहगीरों पर हमला करते हैं। शिकायतें कई बार नगर निगम तक पहुंचाई गईं, लेकिन ठोस कार्रवाई कभी नहीं हुई।
गुस्साए लोगों का कहना है कि निगम की लापरवाही ही मासूम की जिंदगी पर भारी पड़ी है। “आज हमारी बच्ची घायल हुई है, कल किसी और की जान जा सकती है” – यह कहते हुए लोग भड़क उठे।
पार्षद ने भी मानी अव्यवस्था!
वार्ड पार्षद इकराम अहमद ने माना कि पूरे बिरगांव नगर निगम की यही स्थिति है। उन्होंने कहा – “यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे शहर की समस्या का आईना है। हर साल सैकड़ों लोग इन कुत्तों के हमलों के शिकार बनते हैं, लेकिन स्थायी समाधान कभी नहीं निकाला गया। निगम और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि शहर को सुरक्षित बनाया जाए।”
सवालों के घेरे में प्रशासन!
इस हादसे ने नगर निगम और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। राजधानी जैसे बड़े शहर में अगर बच्चे तक सुरक्षित नहीं हैं तो सुरक्षा व्यवस्था किस काम की? आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके आतंक को रोकने के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?
नगर निगम द्वारा हर साल नसबंदी और नियंत्रण का दावा किया जाता है, लेकिन धरातल पर तस्वीर अलग ही है। उल्टा, इनकी संख्या और हमले बढ़ते जा रहे हैं।
मासूम की कराह और शहर का खौफ!
बिरगांव की गलियों में अब भी शनिवार की चीखें गूंज रही हैं। हर घर का दरवाजा बंद है, हर मां अपने बच्चे को बाहों में कसकर पकड़े बैठी है। लोग कह रहे हैं कि रात में अब बच्चे बाहर नहीं निकल पाएंगे।मासूम अनाया अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है, और पूरा इलाका दुआओं में डूबा हुआ है। उसके छोटे-छोटे हाथों में पट्टियां बंधी हैं, सिर पर गहरी चोट है। मां-बाप की आंखें सूज चुकी हैं और मोहल्ले का हर शख्स इस त्रासदी से सहमा हुआ है।
यह घटना सिर्फ एक बच्ची की नहीं, पूरे समाज की सुरक्षा पर चोट है। यह सवाल है कि शहर में इंसान और जानवर साथ रहते हुए कब तक ऐसे हादसों का शिकार होते रहेंगे? नगर निगम और प्रशासन कब जागेगा?
बिरगांव में मासूम अनाया पर हुआ यह हमला आने वाले समय की चेतावनी है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो कल यह खून किसी और की गोद को सुना कर सकता है।