महासमुंद में दिखा अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का अनोखा संगम… राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य पथ संचलन, गुजराती समाज ने पुष्पवर्षा कर किया ऐतिहासिक स्वागत!
Mahasamund/राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आज महासमुंद शहर में ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने हर नागरिक के हृदय में देशभक्ति की ज्वाला जगा दी। शहर की सड़कों पर कदमताल करते सैकड़ों स्वयंसेवक, उनके अनुशासित कदम और वेशभूषा ने मानो शहर को राष्ट्रगौरव की भावना से सराबोर कर दिया।
यह केवल एक पथ संचलन नहीं था… यह था अनुशासन, एकता और राष्ट्रभक्ति का जीवंत प्रतीक — एक ऐसा क्षण, जिसने महासमुंद के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से अपनी जगह दर्ज कर ली।
भव्य पथ संचलन में उमड़ा जनसैलाब!
सुबह से ही शहरवासी घरों की छतों, गलियों और चौक-चौराहों पर जुटने लगे थे। जैसे ही स्वयंसेवकों का अनुशासित काफ़िला मुख्य मार्ग से आगे बढ़ा, माहौल “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के जयघोष से गूंज उठा। सफ़ेद शर्ट, खाकी पेंट और सुनियोजित कतारों में चलते स्वयंसेवकों का दृश्य देखकर हर नागरिक के चेहरे पर गर्व की लहर दौड़ गई।
मार्ग शहर के प्रमुख रास्तों से होकर गुजरा और जगह-जगह नागरिकों एवं सामाजिक संस्थाओं ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया। पूरा महासमुंद मानो राष्ट्रगौरव के उत्सव में डूब गया हो।
गुजराती समाज ने किया ऐतिहासिक स्वागत!
पथ संचलनजैसे ही मनीष मिष्ठान भंडार बग्गा स्टोर चौक के पास पहुंचा, गुजराती समाज की ओर से स्वयंसेवकों का भव्य स्वागत किया गया। समाज के सैकड़ों सदस्य पारंपरिक परिधान में खड़े होकर स्वयंसेवकों पर पुष्पवर्षा करने लगे। रंग-बिरंगी आतिशबाज़ी ने पूरे माहौल को और भी देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
समाज के वरिष्ठजनों और युवाओं में अपार उत्साह देखने को मिला। सबकी एक ही जुबान थी — “यह सिर्फ़ संघ का जश्न नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का गौरव है।”
“100 वर्ष — राष्ट्र निर्माण की गाथा”!
गुजराती समाज के प्रमुख संजय भाई राजा, जसवंत भाई मेहता, मोहन भाई राठौर, राजकुमार राठौर, मनीष सरवैया, लोकेश दावड़ा, मनीष खिलोसिया, सीरीस भाई गंडेचा, मेहुल सूचक, हितेश चौहान, हसमुख भाई सोनी, उपेंद्र रावल, भाविन गंभीर और उदित राठौर सहित बड़ी संख्या में समाज के सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने इसे संघ के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण बताया।
संजय भाई राजा ने कहा — “संघ ने 100 वर्षों में देश को एकता, अनुशासन और सेवा की शक्ति से जोड़ने का काम किया है। महासमुंद शहर इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनकर गर्व महसूस कर रहा है।”
देशभक्ति में डूबा शहर — नागरिकों की उमड़ी भीड़
पथ संचलन को देखने के लिए बच्चे, युवा, बुजुर्ग — सभी सड़क किनारे एकत्र हुए। हर किसी के हाथ में तिरंगा था और आंखों में गर्व की चमक। कई परिवार घरों की छतों से फूल बरसाते नज़र आए। कार्यक्रम के दौरान कहीं भी अफरातफरी नहीं, बल्कि अनुशासन और शांति की मिसाल देखने को मिली।
नागरिकों ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों का यह अनुशासित पथ संचलन नई पीढ़ी को प्रेरित करने वाला है। शहरवासियों ने संघ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा — “जहां अनुशासन होता है, वहीं राष्ट्र मजबूत होता है।”
कार्यक्रम ने जगाई नई ऊर्जा — युवाओं में उत्साह!
पथ संचलन के दौरान युवाओं में विशेष जोश देखने को मिला। कई छात्र-छात्राएं और स्वयंसेवक इस ऐतिहासिक पल को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करते नजर आए। यह दृश्य मानो यह कह रहा था कि “राष्ट्रभक्ति किसी एक संगठन की नहीं… पूरे भारत की धड़कन है।”
शांति और अनुशासन के साथ हुआ समापन!
कार्यक्रम का समापन शहर के प्रमुख मार्गों पर अनुशासन और उत्साह के बीच हुआ। पूरा माहौल भारत माता की जय के नारों से गूंजता रहा। पथ संचलन न केवल एक कार्यक्रम बना बल्कि महासमुंद शहर के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया।