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July 23, 2025 10:47 pm

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CG Breakingफर्जी सर्टिफिकेट सिंडिकेट पर मुंगेली पुलिस का करारा प्रहार:”फर्ज़ीवाड़े का फुल स्टॉप, मुंगेली पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र गिरोह का किया पर्दाफाश, BSF में भर्ती के नाम पर चल रहा था इंटरस्टेट खेल!”

CG Breaking फर्जी सर्टिफिकेट सिंडिकेट पर मुंगेली पुलिस का करारा प्रहार:”फर्ज़ीवाड़े का फुल स्टॉप, मुंगेली पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र गिरोह का किया पर्दाफाश, BSF में भर्ती के नाम पर चल रहा था इंटरस्टेट खेल!”

मूल निवास के बहाने मिला नौकरी में बोनस, लेकिन पुलिस की नज़र से नहीं बच पाए जालसाज!’

मुंगेली/छत्तीसगढ़ के शांत और सामान्य नजर आने वाले जिले मुंगेली में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिसने न सिर्फ स्थानीय पुलिस की चौकसी को प्रमाणित किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि कानून की नजरें कभी सोती नहीं!

मुंगेली में यह मामला एक ऐसे अंतर्राज्यीय गिरोह का है, जो फर्जी दस्तावेज तैयार कर युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का गोरखधंधा चला रहा था। गिरोह का मकसद सिर्फ पैसे कमाना नहीं था, बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों में सेंध लगाने जैसा गंभीर अपराध था।

कैसे हुआ खुलासा?

मुंगेली दिनांक 06 जून 2025 को पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के नेतृत्व में उस वक्त हलचल मच गई जब दो व्यक्ति — योगेन्द्र कुमार और प्रशांत राजपूत — मुंगेली पुलिस कार्यालय पहुंचे। ये दोनों अपने साथ एक युवक विशाल पिता यशपाल सिंह के चरित्र सत्यापन की बात कर रहे थे और खुद को ग्राम कंतेली का निवासी बता रहे थे।

मुंगेली पुलिस को इनकी गतिविधियां कुछ संदिग्ध लगीं। सवालों के जवाब में घबराहट, कागजों में असंगति और गांव वालों की गवाही ने इनकी साजिश की पोल खोल दी।

सच्चाई जानने मुंगेली पुलिस पहुंची गांव:- 
पुलिस ने तत्काल मामले की संवेदनशीलता को भांपते हुए उप पुलिस अधीक्षक मुंगेली नवनीत पाटिल के नेतृत्व में साइबर सेल एवं थाना लालपुर की टीम गठित की। टीम सीधे ग्राम कंतेली पहुंची और वहां के सरपंच प्रतिनिधि, कोटवार और ग्रामवासियों से पूछताछ की।

परिणाम चौंकाने वाला था — ना तो ‘विशाल’ नाम का कोई युवक वहां रहता था और ना ही योगेन्द्र या प्रशांत को कोई जानता था।

उत्तर प्रदेश कनेक्शन – अलीगढ़ और आगरा से जुड़े तार!

• जांच के बाद दोनों संदिग्धों ने खुद स्वीकार किया कि:- 

• योगेन्द्र कुमार, उम्र 29 वर्ष, निवासी अंडला थाना खैर, जिला अलीगढ़ (उ.प्र.)

• प्रशांत राजपूत, उम्र 30 वर्ष, निवासी डौकी थाना डौकी, जिला आगरा (उ.प्र.)

ये दोनों 02 जून 2025 को उत्तर प्रदेश से बिलासपुर आए और होटल अम्बे पैलेस में रुके थे। उन्होंने विशाल नामक युवक, जो फतेहाबाद (उ.प्र.) का रहने वाला है, के फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाकर उसे 171-BN BSF में नियुक्त करवाने की योजना बनाई।

क्या-क्या मिला जप्त में?
मुंगेली पुलिस ने होटल में छापा मारा तो गिरोह के पास से निम्नलिखित संदिग्ध और फर्जी दस्तावेज बरामद किए:-

• फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र

• नोटरी का कोरा प्रमाण पत्र

• दाखिल-खारिज की प्रतियाँ

• सरकारी सील

• कूटरचित प्रमाण पत्र

• 03 मोबाइल फोन

BSF में नौकरी के बदले फर्जी प्रमाण पत्र – मिलते हैं 5 बोनस अंक:- 

जानकारी के अनुसार, भारत सरकार द्वारा केंद्रीय बलों की भर्ती में एसआरई (SRE) जिलों के निवासियों को 5 अंकों की छूट मिलती है। इसी लाभ को पाने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों के युवक छत्तीसगढ़ के एसआरई जिलों, जैसे कि मुंगेली, के फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं।

इस गिरोह ने ठीक यही किया — विशाल नामक युवक को मुंगेली निवासी दिखा कर BSF भर्ती में लाभ दिलवाया गया।

मुंगेली पुलिस ने मामला दर्ज किया, जेल की राह पर आरोपी:- 
इन दोनों आरोपियों के खिलाफ थाना लालपुर में अपराध क्रमांक 103/2025 के तहत निम्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया:

• धारा 318(4) बीएनएस – जालसाजी

• धारा 338 बीएनएस – धोखाधड़ी

• धारा 336(3) बीएनएस – फर्जी दस्तावेज बनाना

• धारा 340(2) बीएनएस – सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर

• धारा 3(5) बीएनएस – संगठित अपराध

दोनों आरोपियों को 07 जून 2025 को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में भेज दिया गया है। गिरोह में शामिल अन्य एजेंटों और मास्टरमाइंड्स की तलाश जारी है।

कड़ी निगरानी, साहसिक कार्यवाही – पुलिस की जीत:- 
इस पूरे प्रकरण में थाना लालपुर, साइबर सेल और जिला विशेष शाखा की टीम ने महत्पूर्ण भूमिका निभाई। अगर समय रहते यह साजिश उजागर नहीं होती, तो न जाने कितने फर्जी दस्तावेजों के सहारे देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग चुकी होती।

पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की अपील:
जनता से अनुरोध है कि किसी भी प्रकार के संदेहास्पद गतिविधियों की जानकारी तत्काल पुलिस को दें। फर्जी दस्तावेज बनवाना और उनका उपयोग करना गंभीर अपराध है, और ऐसे कृत्यों में लिप्त पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”

सवाल अब भी जिंदा हैं…

क्या विशाल वाकई BSF में नियुक्त हो चुका है?

कितने और उम्मीदवारों ने इसी तरह की फर्जी प्रक्रिया अपनाई है?

गिरोह का असली मास्टरमाइंड कौन है?

मुंगेली की इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि डिजिटल युग में अपराध की चालें भी डिजिटल और चतुर हो चुकी हैं, लेकिन चौकस पुलिस तंत्र, तकनीक और सूचना की ताकत ने इस घिनौने जालसाजी के जाल को तोड़ कर रख दिया है।

https://jantakitakat.com/2025/06/08/cg-breakingप्रेम-की-राह-में-कुचले-गए/

“फर्जीवाड़े की नींव चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो, सच और सतर्कता की नज़र उसे ढहा ही देती है!”

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