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September 10, 2025 4:35 pm

पटवारी की करतूत बेनकाब: ACB ने रिश्वतखोरी में दबोचा, किसान की हिम्मत से खुला भ्रष्टाचार का काला सच!

पटवारी की करतूत बेनकाब: ACB ने रिश्वतखोरी में दबोचा, किसान की हिम्मत से खुला भ्रष्टाचार का काला सच!

Balrampur/छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से एक बड़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर कर दिया है। वाड्रफनगर तहसील के पंडरी गांव में पदस्थ पटवारी मोहन सिंह को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि उसने एक किसान से जमीन बंटवारे के नाम पर ₹13,000 की रिश्वत मांगी थी। किसान की साहसिक शिकायत और ACB की फुर्तीली कार्रवाई ने इस मामले को अंजाम तक पहुंचाया।

कैसे शुरू हुआ रिश्वत का खेल?
पंडरी गांव का एक साधारण किसान, अपनी पैतृक जमीन के बंटवारे के लिए महीनों से तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहा था। नियमानुसार यह प्रक्रिया सहज और पारदर्शी होनी चाहिए थी, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ों में जकड़े पटवारी मोहन सिंह ने इसे अपने “धंधे” का जरिया बना डाला।

किसान ने जब आवेदन दिया तो पटवारी ने बार-बार तारीखें टालना शुरू किया। कभी “दस्तावेज अधूरे” बताए गए, तो कभी “ऊपर से आदेश नहीं आया” जैसी बहानेबाजी हुई। अंततः पटवारी ने खुलकर कहा कि बिना ₹13,000 की रकम दिए जमीन का बंटवारा संभव नहीं। किसान के मना करने पर उसने साफ शब्दों में काम करने से इनकार कर दिया। यही वह पल था जब किसान ने ठान लिया कि वह अब इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएगा।

किसान की शिकायत और ACB की रणनीति!
किसान ने सीधे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संपर्क किया और पूरी घटना बताई। ACB ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सबसे पहले शिकायत की पुष्टि की। पटवारी के लगातार पैसों की मांग करने के सबूत मिलने के बाद जाल बिछाने की योजना तैयार हुई।

बुधवार सुबह, SDP प्रमोद कुमार खेस के नेतृत्व में टीम पंडरी गांव पहुंची। किसान को नोटों के साथ भेजा गया और तय योजना के अनुसार जैसे ही किसान ने पैसे पटवारी को सौंपे, उसी क्षण ACB की टीम हरकत में आ गई। कुछ ही सेकंड में पटवारी मोहन सिंह को दबोच लिया गया। उसके पास से रिश्वत की पूरी रकम भी बरामद हुई।

कार्रवाई से तहसील में मचा हड़कंप!
पटवारी की गिरफ्तारी की खबर लगते ही तहसील और आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया। वर्षों से किसानों और आम जनता को परेशान करने वाले भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए यह कार्रवाई एक कड़ा संदेश साबित हुई। कार्यालय में चर्चा होने लगी कि “अब शायद रिश्वत के दिन लद गए हैं।”

ग्रामीणों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि इस तरह की सख्त कार्रवाई से आम आदमी का भरोसा सरकारी तंत्र पर लौट सकता है। कई लोगों ने तो यह तक कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, अभी कई ऐसे पटवारी और बाबू हैं जो इसी तरह किसानों से अवैध वसूली कर रहे हैं।

ACB की सख्त चेतावनी!
ACB अधिकारियों ने प्रेस से बात करते हुए साफ कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ एक मिसाल है। भविष्य में यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी आम जनता से काम कराने के नाम पर पैसे की मांग करेगा, तो उसके खिलाफ तत्काल सख्त कदम उठाए जाएंगे।

अधिकारियों ने यह भी बताया कि आरोपी पटवारी मोहन सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया जाएगा। आगे की जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या इसके तार किसी बड़े नेटवर्क से जुड़े हैं या यह पटवारी अकेले ही खेल खेल रहा था।

किसान की हिम्मत बनी मिसाल!
इस पूरी घटना का असली नायक वह किसान है, जिसने डरने के बजाय आवाज उठाई। अक्सर देखा जाता है कि लोग डर, संकोच या झंझट के डर से रिश्वत देकर चुप हो जाते हैं, लेकिन इस किसान ने अपनी हिम्मत से न केवल अपने लिए न्याय पाया बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी हौसला दिया है।

ग्रामीणों ने किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर हर नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह खुलकर सामने आए, तो समाज से इस बुराई को खत्म करना मुश्किल नहीं होगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ा जनाक्रोश!
गांव-गांव में इस घटना की चर्चा हो रही है। लोग कह रहे हैं कि “सरकारी दफ्तर में काम कराने के लिए बिना रिश्वत दिए फाइलें चलती ही नहीं।” यह मामला भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ फेंकने की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।कई किसान संगठनों ने ACB की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और मांग की है कि इसी तरह अन्य विभागों में भी छापे मारे जाएं।

बलरामपुर में पटवारी की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की उस सोच पर प्रहार है, जिसने वर्षों से आम जनता को लाचार बना रखा था। यह घटना आने वाले समय में उन सरकारी कर्मचारियों के लिए चेतावनी है जो अपनी जिम्मेदारी भूलकर जनता को परेशान कर रहे हैं।

किसान की शिकायत और ACB की त्वरित कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि अगर जनता जागरूक हो और साहस दिखाए, तो भ्रष्टाचार की सबसे मजबूत जड़ें भी हिल सकती हैं।

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