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October 13, 2025 11:47 pm

ज़हरीले कफ सिरप का सौदागर हिरासत में, मध्य प्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी से मचा भूचाल।

ज़हरीले कफ सिरप का सौदागर हिरासत में:मध्य प्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी से मचा भूचाल।

Bhopal /देश को झकझोर देने वाले जानलेवा  कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में आखिरकार मध्य प्रदेश पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। लापरवाहियों और काले कारोबार के अंधेरे जाल में उलझी इस साजिश की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। पुलिस ने “श्रीसन मेडिकल्स” (SRESAN MEDICALS) के मालिक रंगनाथन (Ranganathan) को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी कोई साधारण गिरफ्तारी नहीं… बल्कि उन दर्जनों परिवारों की चीखों का जवाब है, जिन्होंने इस ज़हरीली सिरप के कारण अपने प्रियजनों को खोया।

कफ सिरप से कब्र तक की साजिश!
स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की विशेष जांच टीम पिछले कई दिनों से फरार आरोपियों की तलाश में थी। जिस “कोल्ड्रिफ” कफ सिरप को लोगों ने राहत की दवा समझ कर गले से उतारा… वही सिरप मौत का घूंट बन गया। कई बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ने के बाद सरकार हरकत में आई। जब जांच की परतें खुलीं तो सामने आया — इस सिरप में खतरनाक रसायनों की मात्रा मानक से कई गुना अधिक पाई गई।

इस भयावह साजिश का मुख्य कड़ी रंगनाथन को पुलिस ने बुधवार देर रात दबोचा। जैसे ही गिरफ्तारी की खबर फैली, पूरे स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई। शहर भर में चर्चाएं तेज हो गईं — “कितनों की मौत का जिम्मेदार है ये?”

20 हज़ार का इनाम और बनी SIT — शुरू हुई ‘शिकार’ की तलाश!
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी के फरार मालिकों पर इनाम घोषित किया था। किसी भी व्यक्ति को अगर आरोपियों की जानकारी होती तो उसे 20,000 रुपये का नकद इनाम दिया जाना था। इतना ही नहीं — इस मामले की तह तक जाने और दोषियों को पकड़ने के लिए एक विशेष SIT टीम भी बनाई गई।इसी टीम की दिन-रात की मेहनत का नतीजा है कि रंगनाथन अब पुलिस की गिरफ्त में है। सूत्रों के अनुसार, रंगनाथन से लंबी पूछताछ की जा रही है ताकि इस नेटवर्क में छिपे बाकी खिलाड़ियों तक भी पुलिस पहुंच सके।

“रंगनाथन सिर्फ एक नाम नहीं, ये पूरे रैकेट का ‘कड़ी’ है” — पुलिस अधिकारी!
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया —“रंगनाथन को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। शुरुआती पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। ऐसा लगता है कि कोल्ड्रिफ सिरप में मिलावट सिर्फ एक ‘गलती’ नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी। इसके पीछे पूरा नेटवर्क काम कर रहा था।”

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रंगनाथन से कंपनी के अन्य फरार निदेशकों, मिलावट करने वाले तकनीकी कर्मचारियों और सप्लाई चेन से जुड़े दलालों के बारे में पूछताछ की जा रही है।

दवा या जहर? — स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही पर भी उठे सवाल!
इस कांड ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नींव हिला दी है। “कोल्ड्रिफ कफ सिरप” कई महीनों से खुलेआम बाजार में बिक रही थी। सवाल यह है — क्या स्वास्थ्य विभाग ने कभी इन सिरप का सैंपल जांचा? अगर समय रहते कार्रवाई होती तो शायद कई जानें बच जातीं।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बयान जारी कर कहा —

“यह एक शर्मनाक घटना है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। जिन अधिकारियों ने निगरानी में लापरवाही की है, उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होगी।”

अब क्या होगा आगे? — पूरे देश की निगाह SIT पर!
इस मामले में SIT की टीम तेजी से कार्रवाई में जुटी है। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही कंपनी के फरार मालिकों को भी पकड़ा जाएगा और इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इस जहरीली सिरप की सप्लाई दूसरे राज्यों में भी की गई थी।

“रंगनाथन की गिरफ्तारी सिर्फ शुरुआत है, असली खेल तो अब सामने आएगा।” — SIT अधिकारी ने कहा।

सरकार भी सतर्क — दवा कंपनियों की देशभर में जांच शुरू!
केंद्र और राज्य सरकार इस मामले को ‘मॉडल केस’ बनाकर कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश जारी किया है कि दवा कंपनियों का तुरंत सैंपल टेस्ट किया जाए और किसी भी संदिग्ध उत्पाद की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए।

जनता में गुस्सा — “दवा में ज़हर… अब चुप नहीं रहेंगे!”
घटना के बाद राजधानी सहित कई जिलों में नागरिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए —

•“ज़हर बेचने वालों को फांसी दो!”
•“दवा में ज़हर नहीं, ज़हर में दवा मिली!”

गुस्साई भीड़ ने प्रशासन से मांग की कि दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

अंतिम शब्द — एक गिरफ्तारी, लेकिन न्याय बाकी है!
रंगनाथन की गिरफ्तारी से को उम्मीद की एक हल्की किरण मिली है, लेकिन इंसाफ की राह अभी लंबी है। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, उनके लिए यह मामला सिर्फ ‘दवा’ का नहीं… बल्कि ‘ज़िंदगी और मौत’ का है।

अब सबकी निगाहें SIT और अदालत पर टिकी हैं — क्या इस कांड के असली गुनहगारों को सजा मिलेगी? क्या स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से भरोसा लौटेगा?

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