कब्र से निकाला गया शव, गांव बना रणभूमि: धर्मांतरण पर मचा हंगामा, चर्च में तोड़फोड़, प्रशासन सन्न!”
Kanker/छत्तीसगढ़ का एक शांत गांव में अंतिम संस्कार की एक धार्मिक परंपरा ने ऐसा तूफान खड़ा कर दिया कि पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। कांकेर जिला के नरहरपुर थाना क्षेत्र के जामगांव में सोमवार को उस वक्त स्थिति विस्फोटक हो गई जब लगभग 1000 ग्रामीणों की भीड़ ने चर्च पर धावा बोलते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी, लाठियां भांजी गईं, घरों के दरवाजे तोड़े गए और अंततः एसडीएम की मौजूदगी में कब्र खुदवाकर शव बाहर निकाला गया।
यह घटना न केवल सांप्रदायिक तनाव की भयावह तस्वीर पेश करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि धर्मांतरण के मुद्दे किस कदर गांवों के सामाजिक ताने-बाने को हिला सकते हैं।
धर्म और अंतिम इच्छा के बीच फंसी मौत!
मामला शुरू होता है जामगांव निवासी 40 वर्षीय सोमलाल राठौर की मौत से। लंबे समय से बीमार चल रहे सोमलाल ने तीन साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था और अपनी मृत्यु से पहले परिजनों से यह इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार ईसाई रीति-रिवाज से हो। परिजनों ने उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए 27 जुलाई को गांव के ही एक किनारे पर उन्हें दफनाया।
लेकिन जैसे ही गांव वालों को इसकी भनक लगी कि एक ईसाई का शव गांव में दफनाया गया है, विरोध की चिंगारी धधक उठी। गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने इसे “धार्मिक अशुद्धता” बताकर मोर्चा खोल दिया और कहा कि “हिंदू गांव में ईसाई परंपरा से शव दफनाना स्वीकार्य नहीं है।”
हिंसक हो उठा विरोध, चर्च में तोड़फोड़!
सोमवार सुबह गांव में कोहराम मच गया। लाठी-डंडों से लैस भीड़ चर्च पर टूट पड़ी। देखते ही देखते खिड़कियां- दरवाजे चकनाचूर हो गए, ईसाई धर्मग्रंथ बाहर फेंक दिए गए और वहां मौजूद लोगों को धमकाया गया। चर्च में मौजूद कुर्सियां, बाइबल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को तहस-नहस कर दिया गया।
भीड़ सिर्फ चर्च पर ही नहीं रुकी, वे उन घरों पर भी टूट पड़े जहां ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग रहते थे। महिलाओं और बच्चों की चीखें गूंज उठीं, पुलिस बल दौड़ाया गया लेकिन तब तक हालात बेकाबू हो चुके थे।
प्रशासन की कड़ी निगरानी में कब्र खोदकर शव निकाला गया!
बवाल इस कदर बढ़ गया कि एसडीएम और पुलिस अधीक्षक खुद गांव पहुंचे। माहौल को शांत कराने के लिए कब्र खुदवाई गई और शव को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इस कार्रवाई को देखते हुए ग्रामीणों ने तालियां बजाकर स्वागत किया और प्रशासन को चेताया कि शव को गांव से बाहर ही दफनाया जाए।
कांकेर के कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि यह कार्रवाई मृतक के बड़े भाई की शिकायत पर की गई है, जिसमें आशंका जताई गई थी कि सोमलाल की हत्या कर शव को दफनाया गया है। इस आधार पर शव को बाहर निकालकर मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया।
पुलिस ने बढ़ाई सख्ती, उपद्रवियों की पहचान शुरू!
कांकेर के पुलिस अधीक्षक आईके एलिसेला ने बताया कि गांव में पुलिस की भारी तैनाती की गई है और ड्रोन कैमरों के माध्यम से वीडियो फुटेज खंगाले जा रहे हैं। उपद्रव फैलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने अब तक चार नामजद और दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एसपी ने स्पष्ट कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले, हिंसा फैलाने वाले और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
ग्रामीणों का तर्क: गांव की शुद्धता खतरे में!
जामगांव के कुछ ग्रामीणों का कहना है कि ईसाई परंपरा से शव का गांव में दफनाया जाना ‘गांव की पवित्रता’ के खिलाफ है। उनका दावा है कि इससे गांव में “अपशकुन” फैलेगा और धार्मिक नियमों का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन ने इस मामले में कठोर निर्णय नहीं लिया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
ईसाई समुदाय में भय और असुरक्षा!
वहीं, ईसाई समुदाय गहरे भय और सदमे में है। चर्च से जुड़े एक सदस्य ने कहा, “हम वर्षों से यहां शांतिपूर्वक रह रहे हैं, लेकिन आज ऐसा लग रहा है जैसे हमें हमारे धर्म के लिए सजा दी जा रही है।”
राजनीतिक हलकों में भी हलचल!
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय विधायक और विपक्षी दलों ने भी मोर्चा खोल दिया है। कुछ नेताओं ने इसे प्रशासन की विफलता बताया है और मांग की है कि इस संवेदनशील मसले पर सभी पक्षों को साथ बैठाकर समाधान निकाला जाए।
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धर्म, परंपरा और संवेदनशीलता के इस त्रिकोण में फंसी यह घटना न केवल सांप्रदायिक तनाव की चेतावनी देती है, बल्कि एक बड़े सामाजिक विमर्श की भी मांग करती है। यह मामला केवल अंतिम संस्कार का नहीं, धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक सहिष्णुता और प्रशासनिक दृढ़ता की परीक्षा भी बन चुका है।
अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस बवाल पर पूर्ण विराम लगा पाएगा, या यह चिंगारी और भी गांवों को जला देगी?