“ऑनलाइन कार्य का बोझ नहीं उठाएंगे स्वास्थ्य संयोजक! – तकनीकी समस्याओं से जूझते कर्मचारियों ने CMHO को सौंपा विरोध का ज्ञापन”,,,
दुर्ग | जिले के ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ ने मंगलवार को अपनी मांगों और तकनीकी परेशानियों को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मनोज दानी को एक विस्तारपूर्वक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान संघ के दर्जनों पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद रहे और स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य संयोजकों पर तकनीकी कार्यों का अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है, जो उनकी मूल जिम्मेदारियों के दायरे में नहीं आता।
संघ के जिला अध्यक्ष प्रवीण रात्रे ने बताया कि वर्तमान में शासन द्वारा स्वास्थ्य संयोजकों से विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन एंट्री कार्य करवाए जा रहे हैं, जिनमें टीकाकरण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, कोविड-19 रिपोर्टिंग सहित अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों की प्रविष्टियां शामिल हैं। इन कार्यों को करने के लिए विशेष कंप्यूटर प्रशिक्षण या तकनीकी दक्षता आवश्यक है, जो स्वास्थ्य संयोजकों की मूल शिक्षा और प्रशिक्षण का हिस्सा नहीं है।
स्वास्थ्य सेवा या तकनीकी सेवा?
ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों की नियुक्ति का मूल उद्देश्य क्लीनिकल और नर्सिंग संबंधी सेवाएं प्रदान करना है। उनका दायित्व राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन, मरीजों की देखभाल, टीकाकरण और प्राथमिक उपचार जैसी सेवाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे में कंप्यूटर आधारित डेटा एंट्री जैसे कार्यों को उनके ऊपर थोपना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे उनके प्राथमिक कर्तव्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
तकनीकी समस्याएं बनी सिरदर्द:- संघ ने यह भी बताया कि फील्ड में कार्यरत कर्मचारियों को समय पर इंटरनेट सुविधा, तकनीकी सहायता और उपयुक्त डिवाइस उपलब्ध नहीं कराए जाते। कई बार पोर्टल धीमे चलते हैं या अपडेट नहीं होते, जिससे ऑनलाइन एंट्री करना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन समस्याओं की जानकारी पहले भी प्रशासन को दी गई थी, लेकिन कोई ठोस हल अब तक नहीं निकला है।
संगठन ने रखी ठोस मांगें:- स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ ने ज्ञापन के माध्यम से निम्नलिखित मुख्य मांगें रखी हैं!
•सभी ऑनलाइन एंट्री कार्य प्रशिक्षित डाटा एंट्री ऑपरेटरों से कराए जाएं।
•तकनीकी समस्याओं के समाधान हेतु नियमित समीक्षा बैठक आयोजित की जाए।
•स्वास्थ्य संयोजकों के कार्य उत्तरदायित्व में संशोधन कर उन्हें मूल सेवाओं तक सीमित किया जाए।
•जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक ऑनलाइन कार्यों से असमर्थता जताई जाएगी और इसकी विधिवत जानकारी शासन को दी जाएगी।
सक्रिय उपस्थिति और समर्थन:- इस ज्ञापन सौंपने के दौरान संघ के समस्त पदाधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इनमें पंकज राठौर, राकेश सार्वा, उत्तरा साहू, चित्रसेन, अंशुमान, टेमन, यशवंत, चंद्रकांत, प्रदीप, नीलकमल, ज्योति, कविता, चेतना, योगेश्वरी, चंद्रमणि मलिक, ललिता सहित जिले के सभी ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी शामिल थे। सभी ने एक स्वर में संगठन की मांगों का समर्थन किया और कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान आवश्यक है।
शासन स्तर पर वार्ता की मांग:- संघ ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर शासन स्तर पर प्रतिनिधियों से चर्चा की जाए ताकि व्यावहारिक समाधान निकल सके। कर्मचारियों का कहना है कि वे स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्ध हैं, लेकिन उनसे ऐसे कार्य कराना जिनके लिए न तो प्रशिक्षण मिला है और न ही संसाधन, व्यावहारिक नहीं है।
निष्कर्ष :- यह ज्ञापन न केवल कर्मचारियों की नाराजगी का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि फील्ड में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारी किन चुनौतियों से जूझ रहे हैं। तकनीकी कार्यों का दबाव उन्हें उनके मूल दायित्वों से भटका रहा है। ऐसे में प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और एक व्यवहारिक समाधान प्रस्तुत करे, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं भी बाधित न हों और कर्मचारियों का मनोबल भी बना रहे।