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September 10, 2025 4:01 am

“तुमगांव में शर्मसार करने वाला काला सच! देह व्यापार के अड्डे पर ग्रामीणों का धावा – चार महिलाएं रंगे हाथ पकड़ी गईं,युवक फरार!”

“तुमगांव में शर्मसार करने वाला काला सच:देह व्यापार के अड्डे पर ग्रामीणों का धावा – चार महिलाएं रंगे हाथ पकड़ी गईं, युवक फरार!”

Mahasamund/छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के शांत और सरल गांव तुमगांव में उस समय सनसनी फैल गई जब ग्रामीणों ने एक गुप्त देह व्यापार अड्डे पर धावा बोल दिया। यह अड्डा लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था, लेकिन आज गांव वालों का सब्र जवाब दे गया। उन्होंने खुद कमान संभालते हुए उस अड्डे पर छापा मारा और वहां से चार महिलाओं को आपत्तिजनक स्थिति में रंगे हाथों पकड़ लिया।

सूत्रों के हवाले यह महिला अगल अलग जिला और और अलग राज्य की हैं जिसमे रायपुर, अंबिकापुर, धमतरी एवं महाराष्ट्र से है और जिस मकान में यह धंधा चल रहा था यह मकान किसी अनीता ढीढी नामक महिला का बताया जा रहा है और यह महिला पहले भी देह व्यापार वाले मामले अंदर जा चुकी है।

ग्रामीणों ने तत्काल इस शर्मनाक गतिविधि की सूचना स्थानीय पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और महिलाओं को थाने ले जाया गया। ग्रामीणों के अनुसार, जैसे ही ग्रामीण अड्डे में प्रवेश किया, चार युवक खिड़की और पर्दे से कूदकर भाग निकले। यह घटना इलाके में सनसनी फैला गई और तुमगांव में गुस्से और आक्रोश की लहर दौड़ पड़ी है।

आक्रोश में ग्रामीणों ने क्यों उठाया कड़ा कदम?
ग्रामीणों का कहना है कि यह अड्डा काफी समय से चल रहा था। कई बार स्थानीय प्रशासन और पुलिस को इसकी सूचना दी गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह देखकर गांववासियों ने खुद ही इस ‘शर्म की दुकान’ को बंद करने की ठानी।

एक बुजुर्ग ग्रामीण का कहना था –

“हमारे गांव में चल रहे इस गंदे काम को हम सब ग्रामीण बंद कराने पूर्ण रूप से तत्पर हैऔर हम सभी ग्रामीण  हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रहेंगे। अब अगर हम भी चुप रहते, तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करती।”

नगर पंचायत अध्यक्ष की पीड़ा – “सच बोलने की सजा मिली!”
इस घटना से कुछ दिन पहले ही तुमगांव नगर पंचायत अध्यक्ष बलरामकांत साहू ने इस अवैध धंधे की शिकायत लेखबद्ध ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन को दी थी। उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस धंधे के खिलाफ आवाज उठाई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उन पर ही मामला दर्ज कर लिया गया।

ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत में कहा:

“अगर पुलिस इस गंदगी को साफ नहीं करेगी तो हम सब मिलकर तुमगांव की इस देह व्यापार की गंदगी को साफ करेंगे। क्योंकि कुछ दिन पहले हमारे नगर के नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा इस मुहिम को ज्ञापन के द्वारा उठाया गया था लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज कर के उनको ही जेल के अंदर बंद कर दिया गया।

कानून का डर या मजाक?
अब बड़ा सवाल यह उठता है – क्या तुमगांव में चल रहे इस देह व्यापारियों को कानून का कोई डर नहीं है?
या फिर प्रशासन की लापरवाही ने उन्हें बेलगाम बना दिया है?

जिस अड्डे पर यह धंधा चल रहा था, वह तुमगांव के NH – 53 नेशनल हाईवे स्थित एक का मकान में चल रहा था, जहां अक्सर संदिग्ध गतिविधियों की खबरें आती थीं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि देर रात तक वहाँ अजनबी लोगों का आना-जाना बना रहता था, जिससे उन्हें शक हुआ और अंततः आज उन्होंने कार्रवाई की।

पुलिस की कार्रवाई पर ग्रामीणों को भरोसा।
पुलिस ने चार महिलाओं को हिरासत में लिया है, लेकिन अड्डे से भागे हुए युवकों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। गांव वालों का आरोप है कि अगर पुलिस पहले चेत जाती, तो आज इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।घटना की सूचना मिलते ही तुमगांव की जनता में आक्रोश ज्यादा था जिसको नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिभा पांडे थाना पहुंची और भीड़ को शांत किया उनके द्वारा बताया गया कि अभी उन महिलाओं से पूछताछ जारी है पूछताछ करने के बाद ही कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

क्या न्याय मिलेगा?
तुमगांव की जनता अब इंसाफ की मांग कर रही है। उनका कहना है कि अगर जल्द से जल्द दोषियों को सजा नहीं दी गई, तो वे सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। खासकर जब एक जनप्रतिनिधि को ही प्रताड़ित किया जाए, तो आम आदमी किससे उम्मीद करे?

तुमगांव की आक्रोशित ग्रामीण महिलाओं ने कहा:

“हमने अपने बच्चों के भविष्य के लिए आवाज उठाई है। हमें डर नहीं है – अब या तो ये धंधा बंद होगा, या फिर हम प्रशासन को चैन से नहीं बैठने देंगे।”

तुमगांव की यह घटना सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है। क्या सच बोलने वालों को सजा मिलनी चाहिए? क्या अवैध धंधों पर रोक लगाने के लिए जनता को खुद पहल करनी पड़ेगी?

अब वक्त है कि प्रशासन और पुलिस आंखें खोले, नहीं तो ऐसे अड्डे सिर्फ तुमगांव में ही नहीं, हर कोने में पनपते रहेंगे।

तुमगांव की जनता ने हिम्मत दिखाई है, अब देखना ये है कि कानून अपनी जिम्मेदारी निभाता है या फिर केवल कागजों पर कार्रवाई होती है।

यह खबर एक चेतावनी है – कि जब कानून की चुप्पी लंबे समय तक खिंचती है, तो जनता की आवाज गूंज बनकर उठती है।
अब देखना ये है कि ये गूंज किसी बदलाव में तब्दील होती है या नहीं।

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