टैरिफ बम से दहला वैश्विक व्यापार! ट्रंप का अटैक मोड: 14 देशों पर भारी टैक्स की मार, भारत को दी राहत की ख़बर!
वाशिंगटन/नई दिल्ली।दुनिया की सबसे बड़ीअर्थव्यवस्था अमेरिका ने जब अपनी मुट्ठी कसनी शुरू की, तो वैश्विक बाजार में सनसनी फैल गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार रात एक ऐसा ऐलान किया, जिसने 14 देशों की नींद उड़ा दी। बांग्लादेश, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर ट्रंप ने फोड़ दिया टैरिफ बम, और ऐलान कर दिया कि अब समझौता न करने वाले देशों को भारी-भरकम टैक्स देना होगा।
लेकिन इसी धमाकेदार ऐलान के बीच भारत को मिली एक गुड न्यूज, जिसने उम्मीद की एक नई किरण जगा दी। ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ बड़ा व्यापार समझौता होने ही वाला है और दोनों देश बहुत करीब हैं इस डील को फाइनल करने के।
व्हाइट हाउस से आई दोहरी गूंज: धमकी और दोस्ती!
यह बयान उस समय आया जब ट्रंप, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मेजबानी कर रहे थे। माहौल तो कूटनीतिक था, लेकिन ट्रंप का लहजा पूरी तरह व्यावसायिक और चेतावनी भरा था। उन्होंने साफ कर दिया – “अमेरिका अब व्यापार में ढील नहीं देगा। जो देश हमारे साथ निष्पक्ष व्यापार नहीं करेंगे, वे भुगतेंगे।”
ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका ने ब्रिटेन और चीन के साथ पहले ही समझौते कर लिए हैं। लेकिन जिन देशों से उम्मीद नहीं है, उन्हें लेटर ऑफ टैरिफ थमा दिया गया है।
टैरिफ की तलवार: कौन-कितना झेलेगा टैक्स?
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर 14 देशों को भेजे गए पत्रों की तस्वीरें साझा कीं।
इन देशों पर 1 अगस्त से निम्नलिखित टैरिफ दरें लागू होंगी:-
•थाईलैंड और कंबोडिया: 36%,
•बांग्लादेश और सर्बिया: 35%,
•म्यांमार और लाओस: 40%,
•इंडोनेशिया: 32%,
•दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया: 30%,
•मलेशिया, कजाकिस्तान, जापान और दक्षिण कोरिया: 25%,
हर एक पत्र में चेतावनी दी गई है – “अगर आपने अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स बढ़ाया, तो हम और सख्त हो जाएंगे। अगर नीतियों में सुधार हुआ, तो राहत संभव है।”
1 अगस्त की डेडलाइन: उलटी गिनती शुरू।
गौरतलब है कि ट्रंप ने 2 अप्रैल में ही 50% तक के टैरिफ की चेतावनी दी थी। पहले यह डेडलाइन 9 जुलाई थी, लेकिन शेयर बाजार की गिरावट और वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल के कारण इसे बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया गया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा – “राष्ट्रपति ट्रंप व्यापार को लेकर गंभीर हैं, लेकिन उन्हें यह भी पता है कि बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है। इसलिए उन्होंने थोड़ा वक्त और दिया है।”
भारत को मिला ‘टैरिफ ट्रैप’ से बचने का रास्ता!
इन सबके बीच भारत को लेकर ट्रंप के सकारात्मक रुख ने नई उम्मीदें जगाई हैं। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा – “हम भारत के साथ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते के करीब हैं। यह डील दोनों देशों के लिए बेहद फायदेमंद होगी।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटे, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और डिजिटल डेटा जैसे मुद्दों पर लंबे समय से चर्चा चल रही है। ट्रंप का यह आश्वासन दर्शाता है कि भारत को इस नए टैरिफ तूफान से छूट मिल सकती है।
वैश्विक बाज़ार में हलचल।
ट्रंप की इस नई रणनीति ने वैश्विक व्यापार को एक बार फिर अस्थिर कर दिया है। कई छोटे-छोटे देश जो अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं, अब बातचीत की मेज पर बैठने को मजबूर हैं। एशियाई शेयर बाजारों में हल्की गिरावट देखी गई और विदेशी निवेशकों में भी असमंजस का माहौल बन गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की यह “टैरिफ डिप्लोमेसी” सिर्फ आर्थिक हथियार नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव का भी एक तरीका है। ट्रंप आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले वैश्विक ताकतों को यह संदेश देना चाहते हैं कि “अमेरिका फर्स्ट” अब सिर्फ नारा नहीं, नीति है।
अब सभी की नजरें 1 अगस्त पर टिकी हैं। क्या इन 14 देशों में से कुछ अमेरिका की शर्तें मान लेंगे? क्या भारत के साथ ऐतिहासिक व्यापार समझौता वाकई आकार लेगा?
सवाल कई हैं, लेकिन एक बात तय है — डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बता दिया है कि वे फैसले टेबल पर नहीं, धमाके के साथ लेते हैं!
“जहां एक ओर भारत को मिली डील की सौगात, वहीं 14 देशों पर टूटी टैक्स की आफत – ट्रंप का टैरिफ बम दुनिया की नीतियों को हिला रहा है। क्या भारत इस व्यापारिक तूफान में अपनी नैया पार लगाएगा? आने वाला वक्त बताएगा!”