Raipur “शोषण का ठेका बंद करो!” – कॉल मी सर्विस के खिलाफ छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का गरजता प्रदर्शन,,,,,,,,,,
पत्रकारों से मारपीट और कर्मचारियों के शोषण पर बवाल, ठेका निरस्त करने की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन!
Raipur/छत्तीसगढ़ के रायपुर में बहुचर्चित डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर रायपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार, कर्मचारियों के शोषण और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारों से की गई बदसलूकी के खिलाफ आज छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर आया। अस्पताल परिसर में संघ ने जोरदार सांकेतिक प्रदर्शन किया और कॉल मी सर्विस का ठेका तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर अधीक्षक सह संयुक्त संचालक को ज्ञापन सौंपा।
रायपुर में प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। संघ का आरोप है कि विगत 8-10 वर्षों से कॉल मी सर्विस नामक एजेंसी अस्पताल प्रशासन से मिलीभगत कर सफाई, सुरक्षा और अन्य सेवाओं का ठेका प्राप्त करती आ रही है।
रायपुर के पत्रकारों से दुर्व्यवहार पर बना चिंगारी:-
चेतन सिन्हा, प्रांतीय सचिव, छ.ग. प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने बताया कि कुछ दिन पहले अस्पताल में तैनात कॉल मी सर्विस के बाउंसरों ने पत्रकारों के साथ न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि मारपीट भी की, जो कि लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा, “पत्रकारों से मारपीट असहनीय है, संघ इसकी कड़ी निंदा करता है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग करता है।”
कॉल मी सुपरवाइजर की दहशत और भ्रष्टाचार की परतें:- संघ का आरोप है कि इस एजेंसी के द्वारा सुपरवाइजर और बाउंसर आए दिन सफाई कर्मचारियों और अन्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण आम बात बन चुकी है। चेतन सिन्हा ने यह भी खुलासा किया कि सुपरवाइजर देव बिसेन तीन बार जेल जा चुका है, बावजूद इसके वह अभी भी इसी पद पर बना हुआ है।
संघ ने आरोप लगाया हैं कि कार्यकर्ताओं से जबरन काम कराया जाता है और वेतन पूरा नहीं दिया जाता। यहां तक कि कर्मचारियों से ड्रेस के नाम पर ₹10,000 और नौकरी देने के लिए ₹50,000 की अवैध वसूली की जाती है।
सुरक्षा के नाम पर शराबखोरी!
संघ ने यह गंभीर आरोप भी लगाया कि रात्रि में गार्ड रूम को शराबखोरी का अड्डा बना दिया गया है। अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थल पर ऐसी गतिविधियां न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं।
महिला स्व सहायता समूहों को दें जिम्मेदारी:-
संघ की प्रमुख मांग है कि कॉल मी सर्विस का ठेका तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए और इसकी जगह अनुभवी महिला स्व सहायता समूहों को यह कार्य सौंपा जाए, जिससे पारदर्शिता, ईमानदारी और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
रायपुर में संघ की चेतावनी और एकजुटता:-
संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप ले सकता है। संघ के इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए।
•इस आंदोलन में संघ के संरक्षक ओ.पी. शर्मा के निर्देशन में प्रमुख पदाधिकारी जैसे –
•प्रदीप बोगी (कार्यकारी प्रांताध्यक्ष)
•एस.पी. देवांगन (महामंत्री)
•आर.पी. यादव (प्रांतीय सचिव)
•अमृत निषाद (अध्यक्ष, एम.एल.टी. प्रकोष्ठ)
•सतीश पसेरिया (अध्यक्ष, चतुर्थ श्रेणी प्रकोष्ठ)
•एल.पी. बनर्जी, खोमन पटेल, हरिशंकर साहू, एस.के. कन्नौजे, बालकृष्ण आदि शामिल रहे।
रायपुर में सवालों के घेरे में अस्पताल प्रशासन
प्रदर्शनकारियों ने यह भी सवाल उठाया कि 0 प्रतिशत कमीशन पर कोई भी ठेकेदार कैसे वर्षों तक सेवा प्रदान कर सकता है? इसका सीधा मतलब है कि अंदरखाने भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच आवश्यक है।
रायपुर संघ की आगे की रणनीति
संघ ने कहा है कि यह केवल एक सांकेतिक प्रदर्शन है। अगर जल्द ठेका निरस्त कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई, तो आगे आंदोलन को राज्य स्तर तक फैलाया जाएगा। आने वाले दिनों में संघ मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर इस विषय पर दबाव बनाएगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने अस्पताल में जारी भ्रष्ट व्यवस्था और पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर दी है। प्रदर्शन केवल शुरुआत है – यदि प्रशासन नहीं जागा, तो यह आंदोलन और तेज़ हो सकता है।क्योंकि दुनिया के चौथे स्तंभ के सब जिस तरह की दुर्व्यवहारता कि गई है वह अमान्यनीय है क्योंकि पत्रकार दर्पण का कार्य करता है हमेशा न्याय की लड़ाई में आगे रहता है अगर पत्रकारों के साथ प्राइवेट एजेंसियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है तो शर्म की बात है जिसकी निंदा हम करते रहेंगे जब तक जब तक न्याय नहीं मिलेगा।