नवा रायपुर/छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में बड़ा प्रशासनिक भूचाल:”स्वास्थ्य पर सुधार या सियासी सर्जरी?”छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने गुरुवार को एक झटके में स्वास्थ्य महकमे की चाभी घुमा दी। मंत्रालय के आदेश क्रमांक ESTB-102(1)/312/2025 के तहत 34 वर्षों से टिके चिकित्सकों के स्थानांतरण और नवीन पदस्थापन के आदेश जारी किए गए। इसमें कई जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), संभागीय संयुक्त संचालक, सिविल सर्जन, तथा उप संचालकों की जिम्मेदारियाँ पुनः वितरित की गई हैं।
इस आदेश ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को हिला कर रख दिया है। वर्षों से एक स्थान पर जमे चिकित्सकों को हटाकर नए जिम्मेदार चेहरे सामने लाए गए हैं। इस व्यापक फेरबदल को जहां कुछ लोग “संवेदनशील सेवा सुधार” मान रहे हैं, वहीं अंदरखाने इसे “सियासी संतुलन की सर्जरी” बताया जा रहा है।
सबसे चर्चित तबादले…
•डॉ.गार्गी यदु स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गरियाबंद अब उनको मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी धमतरी का दायित्व दिया गया है!
• डॉ. महेश सांडिया, जो अभी तक कांकेर में प्रभारी CMHO के रूप में पदस्थ थे, अब उन्हें प्रभारी संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, बस्तर का प्रभारी बनाया गया है।
• डॉ. स्वाति वंदना सिसोदिया स्त्री रोग विशेषज्ञ, पूर्व में उप संचालक संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं नवारायपुर पदस्थ थी, प्रभारी संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं बिलासपुर संभाग की बड़ी ज़िम्मेदारी संभालेंगी। यह परिवर्तन महिला नेतृत्व को और मजबूत करता है।
• डॉ. डी. के. तुर्रे सर्जरी विशेषज्ञ, जो नवा रायपुर में उप संचालक संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं पर पदस्थ थे,अब CMHO, कबीरधाम होंगे। यह नियुक्ति क्षेत्रीय अस्पतालों के सुदृढ़ीकरण के संकेत देती है।
• डॉ. रामचंद्र ठाकुर नेत्र रोग विशेषज्ञ जो प्रभारी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सा कोंडागांव अब कांकेर जिले का CMHO बनाकर भेजा गया है, जो संकेत देता है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों को अब प्रशासनिक भूमिकाएं दी जा रही हैं।
CMHO की नई फेहरिस्त…
• बिलासपुर – डॉ. शुभा गढ़वाल
• सक्ती – डॉ. पूजा अग्रवाल
• धमतरी – डॉ. गार्गी यदु
• महासमुंद – डॉ. पारितोष कुदेशिया
• बीजापुर – डॉ. कपिल कश्यप
• सुकमा – डॉ. रामकेश्वर कुशवाहा
• मुंगेली – डॉ. कृपाल सिंह कंवर
• बेमेतरा – डॉ. एस. आर. मंडावी
• बिल्हा – डॉ. प्रभात चन्द्र प्रभाकर
• बालोद – डॉ. महेश कुमार सूर्यवंशी
• कबीरधाम – डॉ. डी. के. तुर्रे
• राजनांदगांव – डॉ. एस. आर. मंडावी
संभागीय स्तर पर भी बदलाव…
संभागीय स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण फेरबदल हुए हैं। रायपुर, बस्तर और बिलासपुर संभागों में संभागीय कार्यक्रम अधिकारी के पदों पर नियुक्तियाँ हुई हैं।
• डॉ. कृष्ण कुमार नाग बस्तर से – अब रायपुर में संभागीय कार्यक्रम अधिकारी!
• डॉ. विजय फूलमाली रायपुर से – अब बिलासपुर में वही भूमिका निभाएँगे
• डॉ. स्वप्निल तिवारी कबीरधाम से –अब एमसीबी में 220 बिस्तरीय अस्पताल के अधीक्षक बने!
नवा रायपुर की चाल क्या कहती है?
स्वास्थ्य मंत्रालय सूत्रों की मानें तो यह फेरबदल केवल कार्यक्षमता नहीं बल्कि फील्ड फीडबैक नहीं सुशासन तिहार मे हुई जन शिकायतों भी मुद्दा हो सकता है !कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं राजनीतिक मुद्दा बन रही थीं।
गरियाबंद, सुकमा और बेमेतरा में CMHO के खिलाफ स्थानीय स्तर पर असंतोष और शिकायतें थीं। वहीं मुंगेली और कांकेर जैसे जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं में गति की कमी रिपोर्ट की गई थी।
कहीं इनाम तो कहीं नाराज़गी?
जिन डॉक्टरों को बड़े और चुनौतीपूर्ण जिलों का CMHO बनाया गया है, उन्हें सरकार का विश्वास प्राप्त हुआ है। उदाहरण के तौर पर डॉ. गार्गी यदु और डॉ. शुभा गढ़वाल को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है।
नाराजगी :
कुछ नाम जैसे डॉ.गार्गी यदु ,डॉ. यु.एस. नवरत्न, डॉ. प्रेमलाल मंडावी, डॉ. आशीषन मिंज इन लोगों को ऐसे जिलों में भेजा गया है जो इन लोगों के लिए चुनौती पूर्ण रहेगा!
स्वास्थ्य मंत्री की मंशा साफ – “परिणाम दो, वरना पद बदलेंगे”
स्वास्थ्य मंत्री के करीबी सूत्रों ने संकेत दिया है कि आगामी 3 महीने का कार्य आकलन इन सभी नवनियुक्त अधिकारियों पर किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री का स्पष्ट कहना है – “जनता की सेवा में शिथिलता बर्दाश्त नहीं। जिले में पद मिलने का मतलब है – 24×7 ऑन कॉल सेवा।”
जनता की उम्मीदें – अब बदलाव दिखना चाहिए…
इन फेरबदल के बाद अब निगाहें जिलों की स्वास्थ्य सेवाओं पर टिकी हैं। जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता, स्वास्थ्य शिविरों की नियमितता, और शिशु-मातृ मृत्यु दर पर अंकुश जैसे मुद्दों पर प्रशासनिक सुधार की उम्मीद की जा रही है।
फेरबदल केवल कागजों में नहीं रहना चाहिए…
स्वास्थ्य विभाग में यह तबादला आदेश प्रदेश में ‘स्वास्थ्य क्रांति’ का पहला कदम हो सकता है, बशर्ते यह जमीन पर नजर आए। केवल पदनाम बदलने से नहीं, ज़मीनी हालात बदलने से ही लोगों का विश्वास जीता जा सकता है।
https://jantakitakat.com/cg-suspend-शिक्षा-की-पवित्रता-पर-च/
आने वाले सप्ताहों में यह स्पष्ट होगा कि यह आदेश “प्रशासनिक मजबूरी” था या “राजनीतिक दूरदृष्टि”?


