रायपुर /मुंगेली जिला की पुलिस द्वारा 8 घंटे, 4 बच्चियाँ की पताशाजी से एक मिशन मुंगेली पुलिस ने रच दिया रेस्क्यू का रियल-लाइफ थ्रिलर”जिसमें एक माँ की आंखों में आंसू थे, पर डर के नहीं – राहत के थे।जब शुक्रवार की सुबह जब मुंगेली जिले के ग्राम पेटुलकापा के लोग रोज़ की तरह अपने काम पर निकलने को तैयार हो रहे थे, तब गांव में एक खबर बिजली की तरह फैल चुकी थी — चार नाबालिक छात्राएं स्कूल से लौटते समय लापता हो गईं!
गांव का माहौल एक झटके में तनाव और आशंका से भर गया। चारों बालिकाएं, कक्षा आठवीं से दसवीं तक की छात्राएं, गुरुवार दोपहर स्कूल से तो निकली थीं – लेकिन घर कभी नहीं पहुंचीं।
बच्चियों की माओं की रोती आंखों और कांपती आवाज़ों में एक ही सवाल था — “हमारी बेटियाँ कहां हैं?”
पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया –ऑपरेशन मुस्कान की दस्तक!
जैसे ही गुमशुदगी की सूचना थाने में पहुंची, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने वक्त गंवाए बिना विशेष रेस्क्यू टीम के गठन के आदेश दिए।
“हर मिनट क़ीमती है, हर सेकेंड में उम्मीद झूल रही है” — यही सोचकर ‘ऑपरेशन मुस्कान’ की शुरुआत हुई।
मुंगेली जिला के थाना पथरिया, थाना सरगांव, और साइबर सेल की संयुक्त टीम को अलर्ट पर डाल दिया गया। साथ ही, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग, और बस स्टैंड/रेलवे स्टेशन निगरानी के निर्देश दिए गए।
साइबर सेल ने जोड़ा बिंदु से बिंदु:- रेस्क्यू ऑपरेशन के नायक बने — साइबर सेल प्रभारी सुशील बंछोर और उनकी टीम।
उन्होंने तकनीक की शक्ति को इंसानी संवेदनाओं के साथ जोड़कर उस डिजिटल धागे को पकड़ लिया, जिससे सच्चाई तक पहुंचा जा सके।
मोबाइल लोकेशन का आखिरी संकेत बिलासपुर बस स्टैंड के पास मिला। तुरंत वहां तैनात टीम को अलर्ट किया गया।सभी संभावित रूट्स पर नाकाबंदी कर दी गई। स्टेशन परिसर में हर बच्ची की तस्वीर लेकर पुलिस बल बारीकी से जांच में जुट गया।
रातभर चला सर्च ऑपरेशन — और फिर…
जब अधिकांश लोग नींद में थे, पुलिस की टीमें नींद और थकान से लड़ते हुए पूरी रात तलाश में लगी रहीं।और आखिरकार, रात करीब 2 बजे, बिलासपुर बस स्टैंड के प्लेटफॉर्म नंबर-3 के पास चारों बालिकाएं सकुशल मिल गईं।उनके चेहरे पर थकान थी, आंखों में घबराहट लेकिन वो ज़िंदा और सुरक्षित थीं।जैसे ही यह सूचना पेटुलकापा गांव में पहुंची, मानो पूरे गांव ने चैन की सांस ली।
जब बेटियाँ लौटीं, तो एक गांव रो पड़ा…
जब पुलिस टीम बालिकाओं को लेकर गांव पहुंची, माओं ने अपनी बेटियों को देखकर किसी फिल्मी सीन से भी ज़्यादा भावुक दृश्य बना दिया।
“बेटा! तू ठीक तो है?”
“माँ! मैं वापस आ गई…”
हर गले लगना, हर आंसू — पुलिस की मेहनत को एक इमोशनल पुरस्कार दे रहे थे।
पुलिस अधीक्षक का सराहनीय संदेश
पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल ने इस पूरी कार्यवाही को एक मिशन की संज्ञा देते हुए कहा!
“यह सिर्फ एक रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं था — यह समाज के भरोसे और विश्वास की रक्षा का युद्ध था। पुलिस अब सिर्फ कानून की रखवाली नहीं करती, यह मानवता की प्रहरी भी है।”
मुंगेली पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने ऑपरेशन में शामिल थाना बल, साइबर सेल और विशेष दस्तों को बधाई दी और कहा कि ‘ऑपरेशन मुस्कान’ जैसी पहलें ही पुलिस और जनता के बीच की खाई को पाट सकती हैं।
ऑपरेशन मुस्कान — नाम में ही है उम्मीद की झलक
‘ऑपरेशन मुस्कान’ एक ऐसा अभियान है, जो खोए हुए बच्चों को उनके घर तक वापस लाने का संकल्प है।
इस बार, यह ऑपरेशन सिर्फ एक तकनीकी कार्यवाही नहीं, बल्कि एक भावनात्मक युद्ध बन गया — जिसमें जीत मासूमियत की हुई, मानवता की हुई।
चार बेटियाँ वापस लौटीं — मगर साथ में लौटीं चार घरों की धड़कनें, एक गांव की नींद, और एक समाज की उम्मीद।
नायकों की पहचान वर्दी से होती है!
मुंगेली पुलिस फिल्मों में ही नहीं, असली जिंदगी में भी हीरो होते हैं — और मुंगेली पुलिस ने ये सिद्ध कर दिया।उनकी तत्परता, मानवीयता और तकनीकी दक्षता ने यह सुनिश्चित किया कि चार मासूमों की दुनिया फिर से सुरक्षित हो जाए।
मुंगेली पुलिस की यह सफलता एक यादगार अध्याय बन गई — और एक बार फिर सिद्ध हो गया कि जब वर्दी संकल्प लेती है, तो “मुस्कान लौटती है… डर नहीं।”
“जिनके पास कुछ खोने का डर होता है, उनके लिए पुलिस सिर्फ एक संस्था नहीं — सबसे बड़ी उम्मीद होती है।”