CG News-शिक्षा की नई सुबह: नगरदा स्कूल को मिला जीवविज्ञान शिक्षक, वर्षों की प्रतीक्षा हुई समाप्त!”
सक्ती/छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों एक सजीव परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। वर्षों से शिक्षक की बाट जोह रहे नगरदा के विद्यार्थियों के चेहरों पर अब उम्मीद की चमक लौट आई है। कारण है — राज्य शासन द्वारा चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण अभियान के तहत नगरदा के शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल को मिला जीवविज्ञान का शिक्षक। यह केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि उस उजाले की पहली किरण है जिसकी उम्मीद में अनेक ग्रामीण विद्यार्थी टकटकी लगाए बैठे थे।
शिक्षा व्यवस्था को मिला नया जीवन!
नगरदा के स्कूल में वर्षों से जीवविज्ञान शिक्षक की अनुपस्थिति ने विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिए थे। जीवविज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय की पढ़ाई बिना शिक्षक के केवल किताबों के भरोसे हो रही थी। प्रयोगशालाएँ वीरान पड़ी थीं, मॉडल धूल खा रहे थे और विद्यार्थियों के मन में विज्ञान को लेकर जिज्ञासा के स्थान पर भ्रम घर करता जा रहा था। लेकिन अब इस बदलाव ने वहाँ नई चेतना का संचार किया है।
विद्यालय के प्राचार्य छतराम सिदार ने हर्षपूर्वक बताया:- “यह नियुक्ति हमारे स्कूल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। लंबे समय से जीवविज्ञान के अभाव में विद्यार्थी पीछे रह जाते थे। अब यह बदलाव न केवल पढ़ाई को मजबूती देगा, बल्कि विद्यार्थियों की सोच को भी नया आयाम देगा।”
युक्तियुक्तकरण की नीतिगत सफलता:- शिक्षकों की समुचित पदस्थापना के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण अभियान की यह एक सफल मिसाल है। इस नीति के तहत जहां जरूरत है, वहाँ शिक्षक भेजे जा रहे हैं। शहरी और ग्रामीण स्कूलों के बीच की खाई को पाटने की इस पहल को अब वास्तविक सफलता मिलने लगी है।
राज्य सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वही गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध हो जो शहरी स्कूलों में दी जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में यह पहल न केवल शिक्षकों की कमी को दूर कर रही है, बल्कि शिक्षा को समावेशी और न्यायसंगत बना रही है।
शक्ति जिला के विद्यार्थियों के चेहरों पर लौटी मुस्कान!
नगरदा स्कूल की छात्रा पूनम यादव कहती हैं,
“अब हमें महसूस हो रहा है कि हम भी बड़े सपने देख सकते हैं। पहले तो हम सिर्फ किताब पढ़ते थे, कुछ समझ नहीं आता था। अब जब सर क्लास में पढ़ाते हैं, तो विज्ञान समझ में आता है और मजा भी आता है।”
वहीं कक्षा 12वीं के छात्र विनोद राम कहते हैं,
“मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, लेकिन जब स्कूल में बायोलॉजी का ही टीचर नहीं था तो रास्ता अधूरा सा लगता था। अब मैं पूरे आत्मविश्वास से पढ़ाई कर पा रहा हूँ।”
शिक्षक के आने से बदली कक्षा की तस्वीर!
नगरदा स्कूल में अब जीवविज्ञान की कक्षा न केवल नियमित हो रही है, बल्कि प्रयोगशाला में गतिविधियाँ भी शुरू हो चुकी हैं। प्रयोग आधारित शिक्षा ने विद्यार्थियों की रुचि बढ़ा दी है। शिक्षक की उपस्थिति से पढ़ाई को जो स्थायित्व मिला है, उसने न केवल शैक्षणिक स्तर को ऊँचा किया है, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भी जगाया है।
प्रशासन का सहयोग और संकल्प!
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य, शिक्षा विभाग के अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि सभी ने इस परिवर्तन का स्वागत किया है। जिला शिक्षा अधिकारी सरोजनी साहू ने कहा,”शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधर सकती है जब हर विषय के लिए प्रशिक्षित शिक्षक हों। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से हम यही सुनिश्चित कर रहे हैं। नगरदा स्कूल का यह उदाहरण दिखाता है कि यदि नीति सही हो और क्रियान्वयन ठोस, तो परिवर्तन निश्चित है।”
एक बदलाव जो सिर्फ शुरुआत है!
यह नियुक्ति केवल नगरदा स्कूल की समस्या का समाधान नहीं, बल्कि राज्य भर के स्कूलों में एक नई उम्मीद की शुरुआत है। सरकार की यह नीति यदि इसी प्रकार पूरी दृढ़ता से लागू होती रही, तो भविष्य में कोई भी छात्र केवल इसलिए अपने सपनों से वंचित नहीं रहेगा कि उसे शिक्षक उपलब्ध नहीं था।
मुख्यमंत्री को मिला जनसमर्थन!
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना अब रंग लाने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की दिशा में आ रहे इस बदलाव ने राज्य सरकार की योजनाओं को जनसमर्थन भी दिलाया है। सोशल मीडिया पर लोग इस कदम की सराहना कर रहे हैं और अन्य क्षेत्रों में भी त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
जनता की आवाज, सरकार का संकल्प!
यह सफलता केवल सरकार की नहीं, बल्कि उन हजारों विद्यार्थियों की है जो हर दिन बेहतर शिक्षा का सपना लेकर स्कूल आते हैं। यह परिवर्तन दर्शाता है कि जब सरकार और जनता दोनों एक दिशा में सोचते हैं, तो बदलाव न केवल संभव है, बल्कि प्रभावशाली भी होता है।नगरदा स्कूल में जीवविज्ञान शिक्षक की नियुक्ति कोई सामान्य खबर नहीं, बल्कि यह उस नीतिगत सोच का प्रतिफल है जो शिक्षा को केवल आंकड़ों में नहीं, ज़मीनी हकीकत में बदलने का संकल्प रखती है।
यह शुरुआत है उस भविष्य की, जहाँ हर बच्चा, चाहे वह किसी भी कोने में क्यों न हो, समान अवसर पा सकेगा — और यही है शिक्षा का असली उद्देश्य।
“नगरदा की दीवारों पर अब सिर्फ ज्ञान की गूंज नहीं, बल्कि भविष्य की थाप भी सुनाई देती है!”