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September 10, 2025 6:29 pm

CG Breaking”12 साल का इंतज़ार, अब होगा न्याय: ‘प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा’ की हुंकार से हिली शिक्षा व्यवस्था, 9 जून को हाईकोर्ट में होगा ऐतिहासिक फैसला!”

CG Breaking “12 साल का इंतज़ार, अब होगा न्याय: ‘प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा’ की हुंकार से हिली शिक्षा व्यवस्था, 9 जून को हाईकोर्ट में होगा ऐतिहासिक फैसला!”

“प्राचार्य विहीन विद्यालयों की काली स्याही से अब शिक्षा व्यवस्था को मिलेगी उजास की रौशनी!”

Raipur/छत्तीसगढ़ में प्रदेश में लम्बे समय से ठहर चुकी स्कूल शिक्षा व्यवस्था को गति देने और स्कूलों को योग्य नेतृत्व दिलाने की दिशा में निर्णायक मोड़ आ गया है। “छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” और “छत्तीसगढ़ राज्य सर्वशासकीय सेवक अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” एवं  सहयोगी संगठन “छत्तीसगढ़ प्रगतिशील एवं नवाचारी शिक्षक महासंघ” (Chhattisgarh Progress and Innovative Teachers Federation CGPITF)ने मिलकर वह बिगुल फूंका है, जिसकी गूंज अब मंत्रालय की दीवारों को पार कर न्यायालय की चौखट तक पहुँच चुकी है।

“छत्तीसगढ़ में 12 वर्षों की चुप्पी अब चीख बनकर उभरी”:- 
छत्तीसगढ़ में विगत 12 वर्षों से लंबित प्राचार्य पदोन्नति न सिर्फ शिक्षकों के भविष्य को अंधेरे में डाले हुए है, बल्कि स्कूलों की प्रशासनिक गुणवत्ता पर भी भारी असर डाल रही है। इस विषय को लेकर एक समर्पित संघर्षकर्ता के रूप में उभरे हैं प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह, जिनकी अगुवाई में बीते 4 और 5 जून को एक प्रतिनिधिमंडल ने नवा रायपुर स्थित महानदी भवन और इंद्रावती भवन में शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।

“सिर्फ ज्ञापन नहीं, यह था एक चेतावनी पत्र!”

सतीश प्रकाश सिंह और उनके सहयोगियों ने सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, संचालक लोक शिक्षण संचालनालय, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को न केवल ज्ञापन सौंपा बल्कि एक करारा संदेश दिया — कि अब विलंब और बहाने नहीं, बल्कि त्वरित निर्णय और न्याय चाहिए।

ज्ञापन में माँग की गई कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद जून माह में ही काउंसलिंग और पदस्थापना की प्रक्रिया पूरी की जाए, ताकि हजारों नियमित व्याख्याता एवं प्रधान पाठकों को प्राचार्य का न्यायोचित दर्जा मिल सके।

“सेवानिवृत्ति की कगार पर टूटते सपने”:- 

सतीश प्रकाश सिंह ने यह भी उजागर किया कि हर महीने 150 से 200 वरिष्ठ व्याख्याता और प्रधान पाठक सेवा से रिटायर हो रहे हैं, बिना कभी प्राचार्य बन पाने की संतुष्टि के। 35-40 वर्षों की सेवा के बाद यदि कोई शिक्षक उस सम्मानजनक पद को न छू सके, तो यह न सिर्फ उनके मनोबल पर आघात है बल्कि राज्य की पूरी शिक्षा व्यवस्था के लिए शर्मनाक स्थिति है।

“हाई कोर्ट में होगा इतिहास – 9 जून 2025 को निर्णायक फैसला”:- प्राचार्य पदोन्नति से जुड़े मामलों में अब सारे प्रदेश की निगाहें दिनांक 9 जून 2025 पर टिक गई हैं। इस दिन माननीय हाई कोर्ट छत्तीसगढ़, बिलासपुर में इस बहुप्रतीक्षित मुद्दे पर फैसला आना है, जो हजारों शिक्षकों की तक़दीर लिखेगा।

सतीश प्रकाश सिंह ने स्पष्ट किया कि जैसे ही न्यायालय का फैसला आता है, शासन को बिना विलंब के जून महीने में पदोन्नति की काउंसिलिंग और पदस्थापना करनी होगी।

“संगठन की संकल्पशक्ति: न्याय नहीं मिला तो आंदोलन होगा तेज़!”

“छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” ने सिर्फ ज्ञापन सौंपने या मौखिक निवेदन तक ही खुद को सीमित नहीं रखा है। इन वर्षों में कई विधिक पहलुओं पर अधिवक्ताओं के साथ मिलकर काम किया गया, न्यायालय में मजबूत पक्ष रखा गया और सरकार को बार-बार चेताया गया कि अब और अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

“शिक्षा व्यवस्था को चाहिए स्थायी कप्तान”:- प्रदेश भर के स्कूलों में सैकड़ों विद्यालय ऐसे हैं जहां स्थायी प्राचार्य नहीं हैं। नतीजतन, शिक्षकों में नेतृत्व की कमी है, और विद्यार्थियों को प्रशासनिक शिथिलता का सामना करना पड़ रहा है। सतीश प्रकाश सिंह ने स्पष्ट कहा —

https://jantakitakat.com/2025/06/05/cg-breakingसात-सौ-शिक्षक-महारथी-बे/

“विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में कसावट लाने के लिए स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नितांत आवश्यक है। यह केवल शिक्षकों के हक़ की बात नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की शिक्षा के भविष्य की बात है।”

“अधिकारियों का मिला समर्थन – अब फैसला सरकार के पाले में”:- छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के सचिव एवं अन्य अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि हाई कोर्ट के निर्णय के उपरांत प्राचार्य पदोन्नति में कोई देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी कानूनी अड़चनों का निवारण कर, न्यायालय के निर्देशों के अनुसार त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

“बैठक में तय होगी अगली रणनीति”:- संगठन की आगामी रणनीति तय करने के लिए दिनांक 9 जून 2025 को सुबह 9 बजे इंडियन कॉफी हाउस, उच्च न्यायालय परिसर, बिलासपुर में बैठक बुलाई गई है। इसमें प्रदेश भर से पदोन्नति की आस लगाए शिक्षक भाग लेंगे और अगले कदमों पर निर्णय लेंगे।

अब निर्णायक घड़ी है:- छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति की12 वर्षों से चली आ रही यह लड़ाई अब अपने आखिरी मोड़ पर है। न्याय की उम्मीद, आंदोलन की तपिश और संगठन की दृढ़ता अब एकजुट हो चुकी हैं।
अब प्रदेश में स्कूलों को नेतृत्वहीनता के अंधकार से निकालकर नेतृत्वयुक्त उजाले की ओर ले जाने का वक्त है।
प्राचार्य पदोन्नति केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, यह एक शिक्षकीय सम्मान और न्याय की प्रतीक है — जो अब और नहीं टाली जा सकती!

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