/kc edits /

September 10, 2025 10:31 pm

CG Breaking”गोपनीयता की आड़ में लोकतंत्र पर हमला”:पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव का तीखा प्रहार—”भाजपा सरकार का नया फरमान: अब मीडिया भी ‘पास’ लेकर बोले!”

Raipur/छत्तीसगढ़ की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने मौजूदा भाजपा सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गोपनीयता की आड़ में लोकतंत्र पर हमला किया जा रहा है पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव द्वारा तीखा प्रहार करते हुये “भाजपा सरकार के नया फरमान की निंदा करते हुये बोले अब मीडिया भी ‘पास’ लेकर सरकारी अस्पताल में जाएगी!सरकार अब लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमादा है। मीडिया पर शिकंजा कसना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि संविधान के खिलाफ सीधा हमला है।

सिंहदेव ने मीडिया से बात करते हुए खुलकर कहा कि राज्य में “गोपनीयता और प्रोटोकॉल” के नाम पर जो नए नियम थोपे जा रहे हैं, वो दरअसल सरकार की जवाबदेही से भागने की कवायद है।अगर मीडिया को प्रोटोकॉल लगाया गया तो जन जन तक स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित योजनाओं को जन जन तक कैसे पहुंचाया जाएगा!

छत्तीसगढ़ के मीडिया के लिए अस्पतालों में “नो एंट्री!”

छत्तीसगढ़ रायपुर के नवीनतम आदेशों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में अब मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। केवल पूर्व-लिखित अनुमति मिलने पर ही पत्रकार किसी रिपोर्टिंग के लिए अस्पताल परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। यही नहीं, कवरेज की समय-सीमा, विषयवस्तु और प्रक्रिया तक अब अस्पताल प्रशासन तय करेगा।

“किस लोकतंत्र में ऐसा होता है कि चौथे स्तंभ को बोलने के लिए भी इजाजत लेनी पड़े?”— सिंहदेव ने तल्खी से कहा।

“गोपनीयता” की आड़ या असफलताओं पर पर्दा?

सरकार का तर्क है कि यह नियम मरीजों की निजता की रक्षा के लिए लागू किए गए हैं। लेकिन सिंहदेव ने पलटवार करते हुए कहा,

“गोपनीयता ऑपरेशन थिएटर में हो सकती है, या पीड़ित परिवारों के लिए हो सकती है, लेकिन जनता से जुड़े सवालों पर पर्दा डालना सरासर तानाशाही है। जब मरीज खुद बोलना चाहता है, तो उसे चुप कराना नाजायज़ है।”

टी एस सिंहदेव ने कहा कि मीडिया अगर किसी अस्पताल में अव्यवस्था, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, या दवाइयों की कमी पर रिपोर्टिंग करता है, तो वह जनहित का कार्य कर रहा होता है, ना कि किसी की गोपनीयता का उल्लंघन।

“सच छुपाने से नहीं, सुधार से बनेगी व्यवस्था!”

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यदि कोई मीडिया संस्थान भ्रामक या गलत जानकारी प्रसारित करता है, तो भारतीय क़ानूनों में पहले से ही मानहानि, प्रेस परिषद, और आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।

“मगर इससे पहले ही मीडिया की आवाज़ को दबाना, प्रेस को एक ‘प्रोटोकॉल दफ्तर’ बना देना, बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है। ये तानाशाही की पहली सीढ़ी है।”

“मीडिया का प्रथम दायित्व जनता के प्रति है, सरकार के प्रति नहीं!”

सिंहदेव ने यह भी कहा कि मीडिया का अस्तित्व जनता की आवाज़ बनने में है, न कि सरकार की छवि सुधारने में। यदि मीडिया हर रिपोर्ट के लिए अनुमति लेने लगे, तो भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और शोषण जैसे विषय कभी सामने ही नहीं आ पाएंगे।

“ये नए आदेश नहीं, बल्कि मीडिया की रीढ़ तोड़ने की स्क्रिप्ट है। सवाल पूछने का अधिकार अगर छीन लिया जाए, तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं बचता।”

“अगर इलाज में गड़बड़ी है, तो मरीज खुद जानता है”:- टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि चाहे रिपोर्ट आए या ना आए, मरीज को यह भली-भांति पता होता है कि उसका इलाज किस स्तर का हो रहा है।

“सरकार जानकारी को रोककर सिर्फ जनता की आंखों पर पट्टी बांधना चाहती है, जबकि हकीकत तो वार्ड में तड़पते मरीज, दवा के लिए भटकते परिजन, और घंटों लापता डॉक्टर बता रहे हैं।”

“संवेदनशीलता बनाम सेंसरशिप”:- टी एस सिंहदेव ने कहां संवेदनशीलता और सेंसरशिप में फर्क होता है। अगर कोई पत्रकार पीड़ित की निजता को लेकर लापरवाही बरते, तो उस पर कार्रवाई जायज़ है। लेकिन पूरी मीडिया बिरादरी को संदेह की दृष्टि से देखना, उन्हें अस्पताल में घुसने से रोकना, यह लोकतंत्र का अपमान है।

“ये लोकतंत्र नहीं, डर का शासन है!”
टी.एस. सिंहदेव ने साफ कहा कि सरकार की यह नई नीतियां “भय का शासन” स्थापित करने का प्रयास हैं, जहाँ पत्रकार सरकार से सवाल न करें, रिपोर्टर जनता के दुख न दिखाएं, और अफसर जवाबदेह न बनें।

“एक तरफ सरकार दावा करती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार हो रहा है, तो फिर सच से इतना डर क्यों?”

• जनता की नजर में सवाल: क्या ये शुरुआत है सेंसरशिप की?

• छत्तीसगढ़ की जनता अब सवाल पूछ रही है—

• क्या यह निर्णय अस्पतालों तक सीमित रहेगा?

• क्या अब स्कूलों, पंचायतों, थानों और कार्यालयों में भी पत्रकारों को “पूर्व अनुमति” की आवश्यकता होगी?

• क्या सरकार हर सूचना को नियंत्रित कर ‘एकतरफा खबरों’ का दौर शुरू करना चाहती है?

कांग्रेस का अल्टीमेटम: लोकतंत्र के लिए सड़कों पर उतरेंगे!
टी.एस. सिंहदेव ने अंत में चेतावनी देते हुए कहा,

“अगर मीडिया पर यह अंकुश तुरंत नहीं हटाया गया, तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। यह सिर्फ पत्रकारों का मामला नहीं, यह आम जनता की आंख और आवाज़ का मामला है।”

उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी। “मौन नहीं रहेंगे, ये लड़ाई अब लोकतंत्र बचाने की है!”

छत्तीसगढ़ में गोपनीयता की आड़ में मीडिया पर नियंत्रण का यह विवाद अब एक बड़े आंदोलन की भूमिका लेता दिख रहा है। सरकार को अब स्पष्ट करना होगा—
क्या यह जनता के भले के लिए है या फिर जनता की आंखों पर पर्दा डालने की रणनीति?

क्योंकि जब मीडिया सवाल नहीं पूछेगा, तो जवाबदेही की उम्मीद भी दम तोड़ देगी।

https://jantakitakat.com/2025/06/18/baster-newsकोल्ड-स्टोरेज-क्रांति/

और जहाँ सवाल दम तोड़ दें, वहाँ लोकतंत्र नहीं, ‘आदेशों’ की सरकार होती है।

Leave a Comment

और पढ़ें

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें

error: Content is protected !!