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September 10, 2025 4:10 pm

CG-बलरामपुर में उम्मीदों की डिलीवरी:डीएमएफ मद ने रचा नया इतिहास — अब यहीं होगा गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित उपचार और प्रसव!

CG -बलरामपुर में उम्मीदों की डिलीवरी:डीएमएफ मद ने रचा नया इतिहास — अब यहीं होगा गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित उपचार और प्रसव!

Balrampur/छत्तीसगढ़ —”अब हमें अंबिकापुर नहीं जाना पड़ेगा… हमारे अपने जिले में ही सब सुविधा मिल गई है!” — ये शब्द थे 25 वर्षीय नीलम मिंज के, जो हाल ही में बलरामपुर जिला अस्पताल में सुरक्षित सिजेरियन ऑपरेशन के बाद स्वस्थ बेटे की माँ बनीं।

यह सब मुमकिन हुआ है मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के स्पष्ट निर्देश और डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) फंड के दूरदर्शी उपयोग से। बलरामपुर जैसे आदिवासी बहुल और अपेक्षाकृत पिछड़े जिले के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। वर्षों से खाली पड़े स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद को भर दिया गया है, और इसकी गूंज पूरे जिले में सुनाई दे रही है।

एक लम्बेअरसे से इंतज़ार का अंत!
बलरामपुर जिला अस्पताल में लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। गर्भवती महिलाओं को प्रसव या जटिलताओं की स्थिति में 70–100 किलोमीटर दूर अंबिकापुर जाना पड़ता था, जिससे जान का जोखिम और आर्थिक बोझ दोनों बढ़ जाते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

बलरामपुर जिला में डीएमएफ मद से नियुक्त किए गए डॉ. शुभम मित्रा (DNB) ने अपनी सेवाएं आरंभ कर दी हैं। उन्होंने अस्पताल में बंद पड़े सर्जरी विभाग को पुनः शुरू कर दिया है और पहले ही सप्ताह में एक जटिल ऑपरेशन कर के अपनी योग्यता और सेवा भाव का प्रमाण दे दिया है।

एक माँ, एक मिशन — सुरक्षित जीवन की ओर!
बलरामपुर की नीलम मिंज की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों महिलाओं की प्रतीक है जो अब तक जोखिमों में जीती आई थीं। जब नीलम को प्रसव के समय कठिनाई हुई, तो सामान्य प्रसव संभव नहीं था। पहले इस तरह की स्थिति में महिला को अंबिकापुर रेफर किया जाता था — समय, संसाधन और जीवन तीनों दांव पर लगते थे। लेकिन इस बार डॉ. शुभम मित्रा ने जिला अस्पताल में ही सफल ऑपरेशन कर एक नया इतिहास रच दिया।

बलरामपुर के अस्पताल में हुई सर्जरी सफल रही, नीलम और उनका बेटा दोनों स्वस्थ हैं। बच्चे का वजन 3.2 किलोग्राम है और डॉक्टरों की निगरानी में है। इस घटना ने न केवल चिकित्सा सुविधा का स्तर बढ़ाया है, बल्कि जिलेवासियों के दिल में नए भरोसे का संचार भी किया है।

डीएमएफ मद — अब केवल खनिज का नहीं, जीवन का स्रोत!
डीएमएफ का उद्देश्य खनिज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को सुधारना है, और बलरामपुर में इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बाद जिला प्रशासन ने डीएमएफ के पैसों को प्रत्यक्ष जनहित में उपयोग करना शुरू किया है।

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बलरामपुर के कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने साझा रूप से यह सुनिश्चित किया कि डीएमएफ मद का प्रयोग केवल योजनाओं के कागज़ी कामों तक सीमित न रहकर जमीनी बदलाव का माध्यम बने।

सिविल सर्जन की प्रतिक्रिया: “यह जिले की ऐतिहासिक उपलब्धि है”
बलरामपुर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. शशांक गुप्ता ने कहा:

“बलरामपुर जिले में स्त्री रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति केवल एक डॉक्टर की उपलब्धता नहीं, बल्कि मातृत्व की सुरक्षा का वादा है। अब सभी गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव की सुविधा यहीं उपलब्ध होगी। यह बलरामपुर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।”

बलरामपुर की जनता में उत्साह और संतोष:- 
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगर तक महिलाओं और उनके परिवारजनों में इस नई सुविधा को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। मांग का बोझ उठाती महिलाओं को अब इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। यह सुविधा खासकर उन गरीब और दूरदराज़ क्षेत्रों की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है, जिनके पास परिवहन, समय या पैसे की कमी है।

एक शुरुआत, कई उम्मीदें…
अब सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ एक शुरुआत है? ज़िला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पहल को और विस्तार देने की योजना में हैं। आने वाले समय में और विशेषज्ञ डॉक्टर, नर्स, तकनीकी उपकरणों की व्यवस्था के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।

“बलरामपुर जैसे ज़िले में उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधा केवल सपना नहीं, अब हकीकत बन रही है।” — स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।

जब संकल्प मिले संधि से, तो चमत्कार होते हैं!
बलरामपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं है, यह एक संवेदनशील और मानवीय हस्तक्षेप है। यह दिखाता है कि जब सरकारी नीतियाँ ज़मीनी सच्चाइयों से जुड़ती हैं, और नेतृत्व का दृष्टिकोण स्पष्ट होता है, तब बदलाव संभव होता है।

डीएमएफ मद से नियुक्त इस एक डॉक्टर ने न केवल ऑपरेशन किया, बल्कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में नया जीवन फूंक दिया है। बलरामपुर अब माताओं की चीख नहीं, नवजात शिशुओं की किलकारियाँ सुन रहा है।

 

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